सेंट पीटर्सबर्ग, रूस। साहित्यिक-सांस्कृतिक शोध संस्था, मुंबई द्वारा आयोजित सप्ताह भर की साहित्यिक रूस-यात्रा के अंतिम चरण में यहाँ पांच रूसी विद्वानों के सान्निध्य में बहुभाषी काव्यसंध्या का आयोजन किया गया। राम संस्कृति को समर्पित इस काव्य संध्या की अध्यक्षता डॉ. वंदना प्रदीप ने की तथा संचालन डॉ. सत्यनारायण ने किया। स्थानीय संयोजक का दायित्व डॉ. लीना सरीन ने बखूबी निभाया। डॉ. प्रदीप कुमार सिंह ने संस्था के उद्देश्य और योजनाओं के बारे में बताया और कहा कि हिंदी तथा राम भारतीयता के दो पर्याय हैं।
मुख्य अतिथि के रूप में उपश्थित रशियन एकेडमी ऑफ साइंस की भारतविद प्रोफेसर डॉ.एलेना सोबोलेवा ने भारत रूस संबंधों की दृढ़ता की चर्चा जरते हुए दोनों देशोँ की वैश्विक चिंताओं को समान बताया और राम संस्कृति की प्रासंगिकता को रेखांकित किया।
विशिष्ट अतिथि डॉ. मारिया यकोलेवा ने भरतनाट्यम और राम संस्कृति के संदेश की चर्चा रूसी भाषा में की जिसका हिंदी अनुवाद डॉ. विश्वजीत विश्वास ने किया।
रूस में हिंदी अध्यापन के लिए समर्पित विदुषियों इरीना सोकोलोवा तथा यूलिया बेशुक ने धाराप्रवाह हिंदी बोलते हुए रूस में हिंदी शिक्षण की स्थिति के बारे में बताया तथा मौलिक हिंदी कविताओं के अलावा रूसी लोकगीत तथा उनका अनुवाद प्रस्तुत कर भारतीय कवियों का मन मोह लिया।
इस अवसर पर संस्था की ओर से पुष्पगुच्छ समर्पित कर सभी अतिथियों का स्वागतं-सत्कार किया गया तथा हिंदी, भोजपुरी, मराठी, संस्कृत, कोंकणी और पंजाबी भाषा में राम संस्कृति को समर्पित कविताएँ प्रस्तुत की गईं। डॉ. ऋषभ देव शर्मा, डॉ. पुष्प गुप्ता, रघुनाथ प्रसाद गुप्ता, डॉ. जगदीश प्रसाद शर्मा, शरद शिरोडकर, डॉ. मधुलता व्यास, डॉ. मीना ढोले, डॉ. सविता सिंह, कर्मा देवी, वीणा धमीजा, किंजल पटेल, डॉ. अमर ज्योति और विरंची आदि ने अपने काव्यपाठ द्वारा इस काव्यसंध्या को सफल बनाया।
चित्र परिचय :
सेंट पीटर्सबर्ग में संपन्न बहुभाषी काव्यसंध्या के अवसर पर रूसी और भारतीय कविगण।