हिंदी की सक्रिय संस्थाओं के अभाव को दूर करने की बड़ी पहल करते हुए भारतीय मूल की सभी संस्थाओं, फीज़ी के तीनों विश्वविद्यालयों, शिक्षा मंत्रालय व भारतीय उच्चायोग ने समन्वय स्थापित करते हुए राष्ट्रीय स्तर की हिंदी परिषद का गठन किया है। परिषद् का गठन हाल ही में फीज़ी के आर्य प्रतिनिधि सभा के मुख्यालय में हुई एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक के दौरान किया गया है।
फीजी में आर्यसमाज के सबसे वरिष्ठ नेता और फीजी सरकार में भारतीय मामलों के सचिव रहे भुवन दत्त इसके अध्यक्ष और भारतीय मूल के लोगों की बड़ी धार्मिक संस्था सनातन धर्म के सचिव और रेडियो एनाऊंसर वीरेन्द्र इस संस्था के सचिव निर्वाचित हुए हैं।
परिषद का निर्वाचन शिक्षा मंत्रालय के रमेश चंद द्वारा करवाया गया है। बा से पधारे वरिष्ठ हिंदी सेवी श्री आनंदी भाई , फीजी सेवाश्रम संघ, युवा के संयोजक श्री अखिलेश, मीडिया व्यक्तित्व और ई ताईकेई समाज के नेमानी जो प्रसिद्ध टेलिविजन एंकर भी हैं इसके उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए । सह-सचिव के रूप में हिंदी लेखक संघ, फीजी के जैनेन प्रसाद, शिक्षा मंत्रालय की श्रीमती श्यामला, फीजी नेशनल युनिवर्सटी में लेक्चरर श्रीमती सुभाषिनी निर्वाचित हुई। गुजराती समाज की जानीमानी हस्ती मनहर नारसी व विरखू भाई कोषाध्यक्ष व सह–कोषाध्यक्ष निर्वाचित हुए । लाईब्रेरियन के पद पर श्रीमती रोहिणी ( शिक्षा मंत्रालय) को निर्वाचित किया गया। युनिवर्सिटी ऑव साउथ पैसिफिक की श्रीमती इंदु चंद्रा, संगम के सदाशिव नायकर, शिश्रा मंत्रालय के रमेश चंद, फीजी नेशनल युनिवर्सिटी की श्रीमती विद्या सिंह व मास्टर नरेश युनिवर्सिटी ऑव फीजी की श्रीमती सुकेश बली व रीगेन्द्र लाल, वरिष्ठ हिंदी सेवी श्रीमती भिंडी, श्रीमती मनीषा रामरखा, हिंदी सेवी किरण माला सिंह, अजय सिंह, श्रीमती सरिता चंद, पंडित विज्ञान शर्मा बा के प्रसिद्द कवि श्री युसुफ, लंबासा की हिदी लेखिका श्रीमती प्रवीणा को समिति का सदस्य के रूप में मनोनीत किया गया। पहली बार किसी हिंदी संस्था में ई-ताऊकेई समाज और मुस्लिम समाज का भी प्रतिनिधित्व है।
विश्व भर के हिंदी प्रेमियों ने फीज़ी को इस सराहनीय कदम के लिए शुभकामनायें दी हैं। फीज़ी में हिंदी के प्रचार-प्रसार व परिषद के गठन के लिए फीज़ी उच्चायुक्त के अनिल शर्मा सांस्कृतिक सचिव (द्वितीय) का विशेष योगदान है। अनिल शर्मा की पिछले वर्ष फीज़ी उच्चायुक्त में नियुक्ति हुई थी। परिषद को भारतीय उच्चायोग का सहयोग प्राप्त है। देश में हिंदी की राष्ट्रीय संस्था खड़ा करने के प्रयास पूर्व में भारतीय उच्चायुक्त प्रभाकर झा व विनोद कुमार ने 2008 व 2011 में किए थे। यह प्रयास उसी कड़ी को आगे बढ़ाने का क्रम है।