Wednesday, November 13, 2024
spot_img
Homeभारत गौरवजहां कण-कण में बिखरी है ऋषि वाल्मिकी की स्मृतियां...!!

जहां कण-कण में बिखरी है ऋषि वाल्मिकी की स्मृतियां…!!

आधुनिकता के उच्चतम शिखर पर जहां आज भी मानव जीवन के चिह्न नदारद हो वहां सदियों पहले मानवीय दिनचर्या की उपस्थिति किसी को भी देवत्व प्रदान करने के लिए पर्याप्त है, क्योंकि अत्यंत दुर्गम क्षेत्र में सामान्य जीवन यापन व सात्विक क्रियाकलाप कोई सहज कार्य नहीं।

हम बात कर रहे हैं पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत नयाग्राम के तपोवन की। इस अत्यंत दुर्गम वन क्षेत्र में कुछ ऐसे अवशेष अब भी बचे हैं जो त्रेता युग की स्मृतियां प्रस्तुत करती है। लोक आस्था व जनश्रुति है कि भगवान श्रीराम द्वारा परित्याग किए जाने के बाद देवी सीता ने इसी तपोवन में अज्ञातवास व्यतीत किया था। वाल्मिकी की देख-रेख में लव-कुश यहीं पले-बढ़े थे।

कभी माओवादियों के चंगुल में रहे नयाग्राम के वनाच्छादित तपोवन को देख कर पहली नजर में लगता है मानो यह शाल, सागवान व विशाल बरगद पेड़ों का कोई देश है। आज भी निर्जन से नजर आने वाले इस घने जंगल में बीच-बीच में नजर आने वाला “हाथियों के गुजरने का मार्ग’ लिखा बोर्ड संकेत देता है कि आज भी यहां मानव जीवन सहज सरल नहीं है। इसी जंगल के बीच स्थित है तपोवन का वाल्मिकी आश्रम। जिसे देख कर आश्चर्यचकित हो जाना पड़ता है।

जनश्रुति के अनुरूप ही परिसर के भीतर लव-कुश मंदिर, वाल्मिकी समाधि और हवन कुंड आदि नजर आता है। सदियों पहले आखिर कौन रहता था यहां और किसके लिए संभव थी उपासना। आश्रम के पास ही सीता नाला स्थित है। अत्यंत क्षीण हो चुकी इस जलधारा का पानी इतना साफ है कि नीचे की मिट्टी भी साफ दिखाई पड़ती है। यही नहीं इस जलधारा का पानी हल्का पीलापन लिए हुए हैं।

ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान देवी सीता लव-कुश को इसी जलधारा में हल्दी का लेप लगा कर स्नान कराया करती थीं। इसी वजह से इस जलधारा का पानी आज भी पीला है। स्थानीय लोग बताते हैं कि इसकी बड़ी विशेषता यह है कि इसका पानी जहां पीलापन लिए हुए हैं, वहीं भीषण गर्मी में भी जब दूसरे नदी-नाले सूख जाया करते हैं, इसका पानी अजस्त्र रूप में बहता ही रहता है। जो प्रतिकूल परिस्थितियों में भूखे प्यासे असंख्य जीव-जंतुओं की तृष्णा को शांत करता है। इस स्थान पर वाल्मिकी हवन कुंड है। स्थानीय पुजारी काशीनाथ दास बताते हैं कि यह हवन कुंड सदियों से अविराम रूप से प्रज्जवलित है।

यही नहीं आश्रम परिसर से महज तीन किलोमीटर दूर हनुमानधुनी है। जनश्रुति है कि सीता के अज्ञातवास के दौरान भगवान हनुमान यहां ध्यान किया करते थे। हाथियों व जहरीले सांपों के आतंक के चलते यह स्थान आज भी इतना दुर्गम है कि दिन के वक्त भी कोई वहां जाने का साहस नहीं कर पाता। यहीं नहीं इस स्थान पर कभी दूध कुंड भी हुआ करता था। लोग बताते हैं कि यहां मिट्टी से दूध निकलता था। जिसे ध्यान करने आने वाले योगी पान भी करते थे। पिछले कुछ वर्षों से मिट्टी से दूध निकलना बंद हो गया है। समझा जाता है कि हाथियों के आने-जाने के फलस्वरूप भारी वजन से दब जाने से ऐसा हुआ। जनश्रुति तपोवन के नजदीक ही लव-कुश द्वारा अश्वमेघ का घोड़ा रोके जाने का दावा भी करती है। यही नहीं तपोवन में कई ऐसी चीजें है जिनके सीता व लव-कुश के अज्ञातवास का साक्षी होने का दावा किया जाता है। वर्ष 2008 से 2011 तक यह क्षेत्र पूरी तरह से माओवादियों के कब्जे में रहा था। वाल्मिकी आश्रम की पवित्रता जस की तस कायम रही।
——————————
——————————————————————
लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं।
————————————————————————————-
तारकेश कुमार ओझा, भगवानपुर, जनता विद्यालय के पास वार्ड नंबरः09 (नया) खड़गपुर ( प शिचम बंगाल) पिन ः721301 जिला प शिचम मेदिनीपुर संपर्कः 09434453934/9635221463

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार