इस बार हो रहे आम चुनाव मे करीब 90 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। इस बार का चुनाव खर्च के मामले में अमेरिका के चुनाव को भी पीछे छोड़ देगा।
एक मतदाता को वोट डालने के लिए मतदान बूथ पर लाने के लिए चुनाव आयोग काफी पैसा खर्च करता है। पिछले लोकसभा चुनाव में आयोग ने प्रति मतदाता 46 रुपये से अधिक खर्च किया था। इस बार यह आंकड़ा इससे अधिक होने जा रहा है।
1957 में हुए लोकसभा चुनाव में आयोग ने 5.9 करोड़ रुपये खर्च किए थे। यह अभी तक के हुए लोकसभा चुनाव में सबसे कम खर्चा था। वहीं 2014 के चुनाव में आयोग ने करीब 3870.35 करोड़ रुपये खर्च किए थे।
चुनाव आयोग का जो पैसा खर्च होता है वो मुख्यतः चार से पांच चीजों पर होता है। चुनाव के दौरान सुरक्षा व्यवस्था, पोलिंग स्टेशन की स्थापना, मतदान व मतगणना में लगे कर्मियों को भत्ता, अस्थाई तौर पर टेलिफोन लाइन की स्थापना, मतदाता की अंगुली पर लगाई जाने वाली अमिट स्यायी और अमोनिया पेपर खरीदना।
पहले लोकसभा चुनाव (1951-52) में जहां 20 करोड़ मतदाता थे, वहीं 2019 में यह आंकड़ा 90 करोड़ के पार चला गया है। यह अमेरिका, ब्राजील और इंडोनेशिया की जनसंख्या से भी ज्यादा है।
2019 का लोकसभा चुनाव इस बार सात चरणों में होगा। पहला चरण 11 अप्रैल को होगा और आखिरी चरण 19 मई को होगा। मतदान के नतीजे 23 मई को आएंगे। इस बार के चुनाव में आयोग ने मतदाताओं की सुविधा के लिए कई नई घोषणाएं भी की हैं।