नई दिल्ली। भ्रष्टाचार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका पर विचार हो गया तो भारत में भी भ्रष्टों की अब खैर नहीं होगी। दिल्ली में सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर कर मांग की है कि देश में आर्थिक अपराध से जुड़े मामलों में दोषियों के 1 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है, जिसे बढ़ाकर 10 से 50 साल किया जाए। साथ ही दोषी की 100 फीसदी सम्पत्ति जब्त की जाए।
उपाध्याय ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून, बेनामी संपत्ति एक्ट, फेरा, मनी लाउंड्रिंग एक्ट में बदलाव की मांग की है।उनके मुताबिक, आर्थिक अपराध पर अमेरिका में 10 साल से लेकर 150 साल तक की सजा दी जाती है। भारत में दोषी की केवल 10 फीसदी संपत्ति जब्त होती है, जबकि अमेरिका में 100 फीसदी सम्पत्ति जब्त कर ली जाती है।
अश्विनी उपाध्याय ने इस मामले में प्रधानमंत्री को भी पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट 1998, प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट 2002 और फॉरन कंट्रीब्युशन (रेगुलेशन) एक्ट 2010 काफी कमजोर है। अपराध प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 31 में इन कानूनों के तहत दोषी पाए जाने पर लगातार की बजाय एक साथ सजा देने का प्रावधान है।
इससे पहले कालाधन पर बनी एसआईटी के उपाध्यक्ष जस्टिस अरिजीत पसायत ने भी मनी लाउंड्रिंग एक्ट के दोषियों की सजा बढ़ाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार के दोषियों को 3 से 7 साल की सजा काफी कम है। जस्टिस पसायत ने अमेरिकी कानून का हवाला दिया था जिसमें ऐसे अपराधों के लिए 150 वर्षों तक की सजा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि एक रुपया चुराने वाले और तीन सौ करोड़ की मनी लाउंड्रिंग के आरोपी को एक ही कानून सजा देता है।