दुष्यंत कुमार ने कहा था-
“हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए ।”
पिछले कुछ दिनों से अखबारों की सुर्खिया नन्हीं कोपलों की चीखों से भरी हुई है । देश के किसी न किसी कोने से रोज कुकृत्य की खबर आती है। विरोध के स्वर पुरे देश में गुंजते है । पीड़िता के लिए न्याय की मांग की जाती है । और कुछ दिनो की गहमा- गहमी के बाद सब ठंडे बस्ते में चले जाते है । होता कुछ नहीं है, कुछ दिनो बाद फिर इसी तरह की घटना देश में होती है और फिर वही स्थिती बनती है । आखिर क्या वजह है, घटनाएँ कम होने की बजाए बढ़ती जा रही है?
धर्म और जाति से ऊपर उठकर सोचना होगा समाज को , कि आखिर क्यों कलियों को मसला जा रहा है, क्यों मनुष्य समाज से मनुष्यता के गुण पैशाचिक होते जा रहे है । क्यों माली ही कलियों को कुचल रहे है ?
इसका जवाब है हमारे हाथों में चौबिसों घंटे रहने वाला मोबाइल फोन ।
बचपन में हमें एक निबंध सिखाया गया था “विज्ञान वरदान या अभिशाप”, मोबाइल का आविष्कार निंदेह शुरुआत में किसी वरदान से कम नहीं था, लेकिन आज यह अभिशाप बन चुका है ।
हाल ही में उज्जैन में एक पॉच साल की बच्ची के साथ घिनौना कृत्य करने वाले अपराधी को जब पुलिस ने रिमांड पर लिया तो उसने बताया की घटना से पहले उसने मोबाइल पर अश्लील फिल्म देखी और फिर शराब पी कर मासुम के साथ दुष्कृत्य किया और उसकी हत्या करने के लिए नदी में फेक दिया ।
नि:संदेह इंटरनेट के माध्यम से विकास की नई कथाएँ लिखी जा रही है ,वहीं इस तरह के कुकृत्यों के लिए प्रेरित करने में भी इंटरनेट की ही भूमिका अहम है ।
जब मोबाइल में इंटरनेट नहीं था तब भी समाज में अश्लील फिल्में और किताबें थी लेकिन उस समय अश्लील फिल्म देखने वाले, किताबें पढ़ने वाले के मन में भय रहता था की कोई देख न ले । समाज में बदनामी होगी ।
जब से एंड्राइड मोबाइल का दौर आया है दुनिया सच में मुठ्ठी में आ गई । लेकिन ठीक उसी तरह जैसे फसल के साथ खरपतवार होती है, अच्छी और ज्ञानवर्धक सामग्री के साथ अश्लील और सामाजिक वैमनस्यता पैदा करने वाली खरपतवार भी बढ़ती जा रही है। और वर्तमान में यह स्थिती है कि सोश्यल साईड के नाम से जो वेबसाइड चल रही है उन पर हर तीसरी चौथी पोस्ट एडल्ट होती है । यूट्यूब जैसी कई साईडस् है जो हर घर में अश्लील विडियों पहुंचा रही है । माना कि वेबसाइड चलाने वालों का व्यवसाय है ,लेकिन ऐसे घातक व्यवसाय पर सरकारी रोक लगाना बेहद जरूरी है । जो व्यवसाय समाज के नैतिक मूल्यों की गिरावट का कारण हो उस व्यवसाय पर प्रतिबंध होना चाहिए ।
मोमबत्ती जलाकर, जुलुस निकाल कर विरोध करने या अपराधी को फांसी की मांग करने के साथ अपराध की मानसिक स्थिती जिससे पैदा हो उस पर प्रतिबंध लगाने की मांग जरुरी है ।
हाल ही एक जानकारी सामने आई की पिछले 15 साल में बलात्कार कर हत्या के जितने भी मामलों में मौत की सजा दी गई वे सारे अपराधी अभी तक जेल की रोटियां तोड़ रहे है । 15 साल से सजा पर अमल नहीं किया गया । कारण न्याय व्यवस्था का लचिला होना । आरोप सिद्ध होने के बाद निचली अदालतो के फैसलों पर फिर से बहस होना, दया याचिका के नाम पर राष्टपति के पास अपील करना और उस अपील पर धूल की परत जमने तक कोई विचार या निर्णय नहीं करना । जो की अपाधियों के मन से मौत की सजा के भय को खत्म कर देता है । जो भारतीय न्याय व्यवस्था की बड़ी कमजोरी है ।
समाज को आने वाले समय की भयवाह स्थिती बचाना है, नन्हीं मासुमों और महिलाओं को सुरक्षित जीवन देना है तो भारत सरकार को भारत में इंटरनेट पर चल रहीं पोर्न साइडों पर सख्ती से पाबंदी लगाना होगी । जब तक पोर्न वेबसाइट इंटरनेट पर है तब तक स्वच्छ समाज की कल्पना नहीं की जा सकती, स्वच्छ भारत का सपना हम सभी देख रहे है लेकिन यह तब संभव होगा जब हमारे समाज के मन और मस्तिष्क में स्वच्छता आएगी ।
(लेखक सामाजिक विषयों पर लिखते हैं और शाश्वत सृजन के नाम से एक वैचारिक व गंभीर हिंदी पत्रिका का संपादन भी करते हैं)
-संदीप सृजन
संपादक – शाश्वत सृजन
ए-99 वी. डी. मार्केट, उज्जैन
मो. 9406649733
Yes I also agree that all porn websites should be banned so that the dirty fertilizers should not enter into the mind of criminals.This way to be victims can be saved in our country.