बदलते भारत में लगातार हम विकास की ओर अग्रसर हैं, गांव और शहरों से लेकर, स्कूलों और बजारों में भी तबदीली आ रही हैं, शिक्षा के क्षेत्र में भी बदल रहा है हमारा देश।
तसव्वुर कीजिये उस दिन को जब देश के हर बच्चे के हाथ में टेबलेट होगा और वो नए भारत की इबारत लिख रहे होंगे जिसमें सभी शिक्षित हों, स्वस्थ हों और सम्मानित भी। और वो दिन दूर नही जब पूरा भारत डिजिटल होगा। आपको लिए चलते हैं वाराणसी जनपद में सारनाथ के पास बसे दो छोटे छोटे गावों मवैय्या और भैंसोड़ी में
ये दोनों ही गाँव डिजिटल इंडिया की नई इबारत लिख रहे हैं। नीम के पेड़ की छाँव में ज़मीन पर बिछी टाट पर बैठे वंचित तबके के ये बच्चे अत्याधुनिक टेबलेट-3 से पढ़ाई करते हैं। दोनों ही केंद्रों पर ये नज़ारा हर दिन सुबह देखने को मिलता है। ये वो बच्चें है जिनके अभिभावक किसी तरह से दो जून की रोटी का जुगाड़ कर पाते है।
दरअसल सारनाथ के पास मवइया में कोई स्कूल नहीं है, और भैसोड़ी में सरकारी स्कूल 2 किलोमीटर दूर है। ऐसे में ये बच्चे स्कूल नहीं जा पाते थे। स्वयं सेवी संस्था ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन ने वंचित और गरीब परिवारों के इन बच्चों को शिक्षित करने का फैसला किया।
संस्था ने वंचित तबके के बच्चों को टेबलेट के माध्यम से शिक्षित कर शिक्षण की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए दो शिक्षण केन्द्रों की स्थापना कीअपनी नई तरह की शिक्षा पद्धति के चलते वाराणसी के इन दोनो शिक्षा केन्द्रों की एक अलग ही पहचान बन रही है।अभिभावक भी खुश है, क्योंकि बच्चों को निःशुल्क शिक्षा मिल रही है।
लेकिन ये इतना आसान भी नहीं था। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए अभिभावको को समझा बुझा कर मनाया गया। और आज ये बच्चे टैबलेट और वाई-फाई से ABCD और क ख ग घ सीख रहे है। टैबलेट के जरिये बच्चों का मनोरंजन भी होता है।
वो ड्राइंग बनाते है, तो अच्छानुसार संगीत का आनंद भी उठाते है। इस तरह मनोरंजन के साथ बच्चों को शिक्षा दी जाती है। इलेक्ट्रानिक स्लेट पर अंग्रेजी-हिन्दी वर्णमाला, अंकगणित पढ़ते हुए इन बच्चों को देखना किसी रोमांच से कम नहीं है।
वाराणसी के मवइया और भैसोड़ी में संचालित हाईटेक शिक्षा केन्द्र ग्रामीण बच्चों को डिजिटल शिक्षा देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डि़जिटल इण्डिया के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण योगदान कर रहे है। ऐसे ही प्रयासो से भारतीय सामाज का सही मायने में डिजिटल सशक्तिकरण हो सकेगा।
साभार- डीडी न्यूज़ से