Thursday, December 26, 2024
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सामूहिकता और सामुदायिकता के लिए रंगमंच आवश्यक – डॉ पल्लव

नई दिल्ली। हिन्दू ‘मन, अरमान, लालसाएँ, उम्र की तलब सबके पास होती हैं। मेरे पास भी हैं। पर किस कीमत पर? जब-जब कुछ कहना चाहा है, सबने मजाक उड़ाई है। क्यों? क्योंकि सब आगे बढ़ गए हैं और मैं उसी गद्दी पर हूँ जहाँ मेरे अनपढ़ बाप दादा बैठते थे। सच मानो जुगनी, आज के मीटर सेंटीमीटर के युग में मैं वही पुराना गज, फुट, इंच हूँ जिसे लोग कब का भूल चुके हैं।’ टिल्लू के इस कथन के साथ नाटक ‘गज, फुट, इंच’ का समाहार हुआ और दर्शकों ने तालियों की गड़गड़ाहट से अभिनेताओं का उत्साहवर्धन किया। हिन्दू कालेज में हिंदी नाट्य संस्था ‘अभिरंग’ द्वारा नाटक प्रसिद्ध व्यंग्यकार के पी सक्सेना के नाटक का मंचन किया गया। ‘गज, फुट, इंच’ शीर्षक से मंचित इस नाटक में भारतीय समाज में धन कमाने की लोभी प्रवृत्ति के कारण व्यक्तित्व के दमन पर व्यंग्य किया गया है। नाटक में दिव्यांश प्रताप सिंह द्वारा पोखरमल, दृष्टि शर्मा द्वारा गुल्लो, कृतिका द्वारा जुगनी, आयुष मिश्र द्वारा टिल्लू, मोहित द्वारा युवक, श्रुति नायक द्वारा माँ, भानु प्रताप सिंह द्वारा साईदास का अभिनय दर्शकों ने बेहद पसंद किया।

दिव्यांश द्वारा पोखरमल की भूमिका में स्थानीय मुहावरों में संवाद अदायगी तथा टिल्लू की भूमिका में आयुष मिश्र के आंगिक अभिनय को दर्शकों ने लगातार तालियाँ बजाकर सराहना की। नेपथ्य में लोकेश, जूही शर्मा, चंचल, रितिका शर्मा, अजय, वज्रांग और आरिश ने विभिन्न कार्यों द्वारा मंचन में सहयोग दिया। अभिरंग के परामर्शदाता डॉ पल्लव ने अंत में अभिनेताओं का परिचय देते हुए कहा कि रंगमंच की गतिविधि युवाओं के व्यक्तित्व को बहुआयामी बनाती है और इससे उन्हें न केवल भावी जीवन में मदद मिलती है अपितु वे स्वयं भी बेहतर मनुष्य बन पाते हैं। उन्होंने अभिरंग के उद्देश्यों और संकल्पों के बारे में कहा कि नयी पीढ़ी में सामूहिकता और सामुदायिकता के लिए इस तरह की गतिविधियां सदैव उपयोगी रहेंगी। नाटक के प्रारम्भ में रितिका शर्मा ने नाटक की विषय वस्तु तथा नाटककार का परिचय दिया। अभिरंग के छात्र संयोजक लोकेश ने आभार ज्ञापन किया। हिन्दू कालेज के सभागार में इस अवसर पर हिंदी विभाग के अध्यक्ष अभय रंजन, आचार्य रचना सिंह, संस्कृत विभाग के डॉ विजय गर्ग, डॉ जगमोहन, पुस्तकालयाध्यक्ष संजीव शर्मा सहित बड़ी संख्या में शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित थे।

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