ऑस्ट्रेलिया निवासी प्रो. पंकज मोहन लिखते हैं:
आस्ट्रेलिया अगर हारता भी, तो इससे आस्ट्रेलिया के मनोबल पर कोई असर न पडता। आस्ट्रेलिया की प्रति व्यक्ति औसत आय 64,491 डालर है, जबकि भारत की प्रति व्यक्ति औसत आय 2381 डालर है। आस्ट्रेलिया अगर मैच हारता भी, तो यहां के विश्वविद्यालयों में पढ़ने या यहां बसने के इच्छुक भारतीयों की भीड़ में कमी न आती।
चाहे प्रतियोगिता हो, किसी खेल का मैच हो, या युद्ध हो, नैसर्गिक सहजता को जीवन में अपनाने वाले लोग ही अंततोगत्वा सफल होते हैं। दवाब में काम करने वाले लोग अपनी ताक़त का सही प्रदर्शन करने में असमर्थ होते हैं।
जब मैंने सुना, आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी स्टेडियम में भारत के प्रधानमंत्री के साथ बैठकर मैच देखने के आमंत्रण को स्वीकार नहीं किया और भारत-आस्ट्रेलिया द्विपक्षीय वार्ता मे भाग लेने के लिये भारत मे उपस्थित अपने एक म॔त्री को ही मैच देखने के लिये अहमदाबाद भेज दिया, मुझे लगा कि भारत को भी सत्ता के हर कल-पुर्जे को मैच के लिये लामबंद करने की जरूरत नहीं थी। अहमदाबाद के स्टेडियम को राष्ट्रवाद का धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र बनाने की जरुरत नहीं थी। इससे खिलाड़ियों पर मनोवैज्ञानिक दवाब पडता है।
वर्ल्ड कप फाइनल की जीत राष्ट्रीय गौरव की वैश्विक स्वीकृति के रूप मे देखने वाले भारतीयों के दिल में राष्ट्रवादी भावना का ज्वार उठा। आस्ट्रेलिया में ऐसा कुछ नहीं दिखा।
*जिस दिन भारत आर्थिक रूप से समृद्ध और राजनैतिक दृष्टि से सशक्त होगा और भारत शैक्षणिक और सांस्कृतिक रूप से समुन्नत होगा, वर्ल्ड कप के मैच को लोग बस मनोरंजन के रूप में देखेंगे।*
आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने ट्विटर पर बस कुछ शब्द लिखे, “@Patcummins30 और आस्ट्रेलियाई टीम को अद्भुत जीत की बधाई।”
कहीं पटाखा नहीं फूटा, फूलझडियां नहीं छोडी गयीं, चर्च की घंटियां नहीं बजी, टेलीविजन पर खिलाडियों के स्वजन-परिजन के इन्टरव्यू नहीं लिये गये। मेरे मकान के सामनेवाले मकान में कुछ भारतीय युवक एक साथ रहते हैं। आस्ट्रेलियन विकेट गिरने पर सिर्फ उन भारतियों ने ही शोर मचाया, अन्यथा अन्य दिन की तरह आज रात भी सर्वत्र शांति का साम्राज्य था।