ये एप हैं खतरा
डुओलिंगो
ट्रिप एडवाइजर
इनडीड
स्काई स्कैनर
प्रेग्नेंसी प्लस
माइग्रेन बडी
बाइबल प्लस
मुस्लिम प्रो
फेसबुक पर लगे यूजर्स का डाटा बेचने का आरोप अभी धुंधला भी नहीं हुआ था कि उसपर एक और आरोप लग गया है। इस बार फेसबुक पर डाटा चुराने का आरोप लगा है। इसको लेकर ब्रिटेन की संस्था चैरिटी प्राइवेसी इंटरनेशनल ने जर्मनी में काओस कंप्यूटर कांग्रेस में एक रिपोर्ट पेश की है। जिसमें बताया गया है कि फेसबुक उन मोबाइस यूजर्स की सूचनाओं को चुरा रहा है जो उसका इस्तेमाल तक नहीं करते हैं।
फेसबुक कई लोकप्रिय ऐप्स के जरिए यूजर्स का डेटा चुराता है। संस्था ने इसके लिए 1 से 50 करोड़ बार इंस्टाल किए गए 34 ऐप्स की जांच की। इनमें से 23 ऐप यूजर्स का डेटा फेसबुक को देते हैं।
इसलिए होता है डाटा चोरी
ज्यादातर एप डिवलेपिंग कंपनियां फेसबुक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके) का प्रयोग करती हैं। जितनी ऐप्स एसडीके के जरिए डेवलप हुई हैं, सभी फेसबुक से जुड़े हुए हैं। यूजर जितनी बार इन ऐप्स का इस्तेमाल करता है उतनी बार उसका डेटा फेसबुक तक पहुंचता है।
फेसबुक तक पहुंचता है यह डाटा
आपके मोबाइल फोन में सेव किए नंबर, फोटो-वीडियो, ई-मेल्स और आप किन-किन वेबसाइट्स पर क्लिक करते हैं और कितनी देर तक देखते या देख चुके हैं इसकी जानकारी फेसबुक के पास चली जाती है। इसके अलावा किस तरह की जानकारियों को खोजते हैं, यह डाटा भी फेसबुक के पास पहुंचता है। इस मामले पर फेसबुक का कहना है कि डेटा शेयरिंग यूजर और कंपनी दोनों के लिए ही फायदेमंद है। यह एक सामान्य अभ्यास है।
भाषा सिखाने वाला ऐप डुओलिंगो, ट्रैवल एंड रेस्टोरेंट एप, ट्रिप एडवाइजर, जॉब डेटाबेस इनडीड और फ्लाइट सर्च इंजन स्काई स्कैनर, प्रेग्नेंसी प्लस, माइग्रेन बडी, बाइबल प्लस और मुस्लिम प्रो उन 23 एप्स में शामिल है जिनके जरिए आपका डाटा फेसबुक तक पहुंच रहा है। संस्था ने बाकी की ऐप्स के नामों का खुलासा नहीं किया है।
इन एप्स के जरिए फेसबुक को यूजर के व्यवहार की जानकारी मिल जाती है। इन जानकारियों को बेचा भी जाता है। जिसके आधार पर यूजर को किस समय कौन सा विज्ञापन दिखाया जाए इसका फैसला होता है। इस रिपोर्ट पर गूगल का कहना है कि यूजर एड पर्सनलाइजेशन को डिसेबल कर सकते हैं जिससे कि उनकी जानकारियां गुप्त रहेंगी।