जयपुर। राजस्थान सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने मैकडॉनल्ड्स को अपने उत्पादों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए नोटिस भेजा है। स्वास्थ्य विभाग ने इस महीने खाद्य पदार्थों की नियमित जांच में पाया कि मैकडॉनल्ड अपने तीन उत्पादों मे लगातार 16 दिन से एक ही तेल इस्तेमाल कर रहा था।
मैकडॉनल्ड्स को भेजे गए नोटिस में कहा गया है कि जून महीने में रेस्ट्रॉन्ट से लिए गए तेल के नमूने की गुणवत्ता जांच में पाया गया है कि 1 जून से 16 जून तक लगातार एक ही तेल का उपयोग किया जा रहा था जबकि रेस्ट्रॉन्ट के मैनेजर और क्रू मेंबर्स ने खाद्य उत्पादों को अपनी गुणवत्ता जांच में ‘ओके’ रिमार्क दिया था।
अधिकारियों के मुताबिक, पंचबट्टी के मैकडॉनल्ड्स में जब उन्होंने छापा मारा तो पाया कि जो तेल इस्तेमाल हो रहा है वह लगातार गर्म होने की वजह से काला पड़ गया था। 360 डिग्री फॉरेनहाइट पर दिन भर यह तेल गर्म होता रहता है। जब यह तेल गर्म होकर कम हो जाता है तो इसी तेल में दूसरा तेल मिला दिया जाता है। लगातार 16 दिनों से यह तेल बदला नहीं गया था।
इस बात पर सभी हेल्थ एक्सपर्ट सहमत हैं कि तेल का दोबारा इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। राजस्थान कैंसर फाउंडेशन के प्रमुख डॉ. राकेश गुप्ता ने बताया, डीप फ्राइंग ऑइल इस्तेमाल करने से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। उच्च तापमान पर गर्म किए गए तेल के इस्तेमाल से कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाले कारक (जैसे पॉलिसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन एंड्राक्लाइमेड) शरीर में पहुंच जाते हैं।
मैकडॉनल्ड के प्रवक्ता से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, एक बात समझना जरूरी है कि भारत में तेल के इस्तेमाल के लिए कोई निर्धारित मानक नहीं हैं, फिर भी हमारी कोशिश रहती है कि हम मानकों और गुणवत्ता को ध्यान में रखें और हमारे सभी रेस्ट्रॉन्ट में सुरक्षित खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराए जाएं।
उन्होंने बताया, मैकडॉनल्ड इंडिया का एक बेहतर ऑइल मैनेजमेंट सिस्टम है और पिछले 60 सालों से हम लगभग 130 देशों में इसी सिस्टम का इस्तेमाल कर रहे हैं। हमारी गुणवत्ता जांच प्रक्रिया अच्छी है। इसमें हर रोज उत्पादों में उपयोग किए जा रहे तेल की गुणवत्ता की जांच की जाती है और सभी मानकों का पालन किया जाता है।
राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर खाद्य तेल लगातार गर्म होने से पूर्णत: ऑक्सीकृत हो जाता है तो यह स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
जांच में शामिल एक अधिकारी ने बताया, हमने इस्तेमाल किए गए तेल के नमूने जमा करा लिए हैं। हम लैब में जांच कर पता लगाएंगे कि इस तेल का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए कितना नुकसानदेह है। अगर तेल के नमूने जांच में फेल होते हैं तो मामला अदालत में जाएगा।
साभार- टाईम्स ऑफ इंडिया से