देश का हर संवेदनशील व्यक्ति इस मर्माहत कर देने वाली घटना से दुःखी है, आप इस मुद्दे पर किसी भी संजीदा व्यक्ति से बात कीजिए सकी पहली प्रतिक्रिया यही होती है ऐसी दुर्घटना, ऐसा हादसा देश के नेताओँ मंत्रियों और अफसरों के घर के लोगों के साथ क्यों नहीं होता, उनके साथ नहीं होता इसीलिए देश का आम आदमी नरपिशाचों की दरिंदगी से लेकर पुलिस, डॉक्टर से लेकर सरकारी तंत्र में हर जगह मौजूद धृतराष्ट्रों से अपमानित होता है।
देश के किसी भी आम आदमी के साथ होने वाली कोई भी जघन्य घटना मीडिया के लिए टीआरपी है, नेताओं के लिए बयान देने का सुनहरा मौका है और पुलिस से लेकर पूरी व्यवस्था के लिए एक बेहद मामूली घटना है।
ऐसे में अगर पीड़ित परिवार का मुखिया रो-रोकर यह कह रहा है कि अगर तीन महीने में मुझे न्याय नहीं मिला तो मैं और मेरा परिवार आत्महत्या कर लेगा। जिस आदमी की आँख में शर्म और स्वाभिमान हो वही ऐसी बात कर सकता है। लेकिन हमारा इस परिवार को सुझाव है कि वह आत्म हत्या करने की भूल कतई न करे। इस देश के मक्कार नेताओं, मंत्रियों, अफसरों और सनसनी परोसने वाले मीडिया को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा कि एक परिवार ने अपने आत्म सम्मान की खातिर आत्म हत्या कर ली।
आप चाहे कितना भी कुछ कर लो आपके साथ जो हादसा हुआ है, उससे मानवता भले ही शर्मसार हुई है नेताओं को, राजनतिक दलों को यूपी के चुनाव के लिए मुद्दा मिल गया है। ये आपकी पीड़ा को चुनाव के लिए भुनाएँगे, आपके साथ हुए हादसे को कचोरी समोसे की तरह हर गली से, हर मंच से, हर मुकाम से बेचेंगे।
आप एक मध्यमवर्गीय परिवार हैं और सवर्ण समाज के हैं तो आपके साथ हुआ हादसा इस देश के नेताओं और व्यवस्था के लिए बस मगर के आँसू रोने का एक बहाना है। उनको तो आपके साथ जो भी कुछ हुआ है उसे वोट में बदलना है, जो भी चीज वोट में बदल सकती है, वो नेताओँ के लिए कीमती है।
जिस प्रदेश के मुख्य मंत्री का पिता बलात्कार को लेकर ये बयान देता हो कि बच्चे हैं उनसे गल्ती हो जाती है, उस प्रदेश में अगर बुलंद शहर जैसे कांड नहीं होंगे तो क्या होगा।
आप ये गल्ती से भी मत सोचना कि ये व्यवस्था, ये कानून , कानून की रखवाली का चोगा पहने ये बड़े बड़े वकील तुम्हारा साथ देंगे, इसी उत्तर प्रदेश में निठारी कांड हुआ और उस कांड का सरगना साफ बच गया।
इस देश का आम मध्यमवर्गीय, गरीब और मेहनतकश आदमी इस देश की व्यवस्था के आगे चाहे वो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सत्ता के अधीन हो या लुंज-पुंज मनमोहन सिंह की सत्ता के अधीन रही हो, या मायावती की सत्ता के अधीन रही हो या अखिलेश यादव की सत्ता के अधीन हो, उनके लिए ऐसे हादसे एक दिन की घटना है, लोक सभा, राज्य सभा,विधान सभा में हंगामा है, टीवी पर दिया हुआ बयान है, सियासत है, अफसरों के साथ मीटिंग है, हेलीकॉप्टर में, हवाई जहाज में उड़कर बाढ़ का निरीक्षण है, हमारे-तुम्हारे लिए इनके पास न समय है, न था, न रहेगा। क्योंकि तुम वोट बैंक की भीड़ नहीं जुटा सकते हो। तुम एक मध्यमवर्गीय परिवार हो जो ईमानदारी से सरकार का हर टैक्स चुकाता है और हर सरकारी ऑफिस में धक्के खाता है।
और ये टीवी चैनल वाले जिस तरह से हर घटना पर स्यापा करते हैं जरा इनसे भी सावधान रहना, क्योंकि ये ही अपने यहाँ इन्हीं सरकारों की मदद से बड़े बड़े कान्क्लेव आयोजित करके, इन्हीं मुख्य मंत्रियों को बुलाकर, जनता की आदालत लगाकर, प्रायोजित सवाल पूछकर इनकी दो दो कौड़ी की बातों पर कोट पैंट और टाई पहनकर बैठे भाड़े के टट्टुओं से ऐसी तालियाँ बजवाएंगे कि तुम्हारे कान के परदे फट जाएंगे।
हे बुलंद शहर के पीड़ितों तुम्हारे दर्द, तुम्हारी पीड़ा, तुम्हारे जीवन के एक एक क्षण की मर्मातंक वेदना तुमको ही भोगना है, तुम अपने आपको बुलंद करो और अपने अंदर वो आत्मविश्वास, साहस और चेतना पैदा करो कि इन बलात्कारियों के साथ ही, राजनेताओं, मुख्यमंत्रियों, पुलिस, अदालत, कानून के तथाकथित रखवालों से जूझ सको, क्योंकि ये सब एक बार फिर उस भयावह हादसे के खौफनाक क्षणों को कुरेद-कुरेद कर तुम्हारी आत्मा को, तुम्हारे स्वाभिमान को नष्ट करने का हर संभव प्रयास करेंगे।
आश्चर्य है कि एक अखलाक को लेकर पुरस्कार वापसी वाली जो गैंग सक्रिय हुई थी वो अचानक कहाँ गायब हो गई। उत्तर प्रदेश सरकार ने जिन 56 लोगों को यश भारती पुरस्कार देकर उपकृत किया है, उनमें से एक भी माई का लाल उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री को पुरस्कार वापस करने नहीं गया।