ज़्यादा पुरानी बात नहीं जब कुछ सामान ख़रीदने पर जेब से पैसे निकालकर देने होते थे. फिर ज़माना बदला और मोबाइल फ़ोन ही जेब बन गया. इससे पहले शुरुआत में बड़े खर्च के लिए क्रेडिट-डेबिट कार्ड इस्तेमाल होते थे, लेकिन मोबाइल ने ऐसा विकल्प दिया कि छोटे खर्च के लिए नोट या सिक्कों का इस्तेमाल कम होता चला गया. और अब ये इतना बढ़ गया है कि मोबाइल पेमेंट के खिलाड़ियों की जंग तेज़ हो रही है. बातचीत का नया और असरदार ज़रिया बनने वाले वॉट्सऐप ने जब से इस मैदान में कूदने का एलान किया, पुराने दिग्गजों में चिंता बढ़ गई है.
नोटबंदी के दौर में अपने ग्राहकों में गज़ब का उछाल देखने वाले पेटीएम की चिंताएं बढ़ने लगी हैं और इसकी वजह है वॉट्सऐप का डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में उतरने की घोषणा. इससे भारत के डिजिटल पेमेंट बाज़ार में विस्तार आएगा, लेकिन पेटीएम के वर्चस्व को नुकसान होगा.
मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक पेटीएम के पास क़रीब 30 करोड़ रजिस्टर्ड यूज़र हैं, लेकिन अगर फ़ेसबुक का वॉट्सऐप अपने 23 करोड़ यूज़र को पेमेंट करने का आसान ज़रिया देता है और वो इसे पसंद करते हैं तो खेल बदल सकता है. वैसे भी पेटीएम की तुलना में वॉट्सऐप के ग्राहक ज़्यादा सक्रिय रहते हैं.
वॉट्सऐप ने हाल में कुछ यूज़र के लिए यूनिफ़ाइड पेमेंट इंटरफ़ेस (UPI) प्लेटफ़ॉर्म आधारित पेमेंट ऑन ट्रायल शुरू किया था. उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही वो सभी ग्राहकों के लिए इसे शुरू कर सकती है.
हाल में देश के सबसे बड़े ऑनलाइन पेमेंट प्लेटफ़ॉर्म पेटीएम ने वॉट्सऐप पर आरोप लगाया था कि वो अपनी सेवा को अपने 20 करोड़ ग्राहकों तक सीमित कर ग़लत ढंग से भारत के कैशलेस ट्रांजैक्शन बाज़ार में दाख़िल होने की कोशिश कर रहा है.
पेटीएम के फ़ाउंडर विजय शेखर शर्मा का कहना है कि वॉट्सऐप ने वॉल्ड गार्डन सर्विस मुहैया कराते हुए नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है. फ़ेसबुक के फ़्री बेसिक्स विचार से इसकी तुलना करते हुए शर्मा ने एक ट्वीट में कहा था कि ‘ये यूनिफ़ाइड पेमेंट इंटरफ़ेस के लिए ख़तरनाक है, जो बैंकों के बीच कैश ट्रांसफ़र का ज़रिया देता है.’
वॉट्सऐप से पेटीएम इसलिए भी घबराया हुआ है क्योंकि उसकी पेमेंट सर्विस काफ़ी सरल और साधारण बताई जाती है.
वॉट्सऐप का एक यूज़र उसी प्लेटफ़ॉर्म पर मौजूद दूसरे यूज़र को आसानी से पैसा भेज सकता है. वो वर्चुअल पेमेंट ऐड्रेस के रूप में फ़ोन नंबर का इस्तेमाल कर रहा है. वॉट्सऐप यूज़र को ओला या उबर यूज़र की तरह लेन-देन करते वक़्त अलग से लॉगइन की ज़रूरत नहीं होगी.
नवंबर 2016 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोषणा की थी तो लोग पसंद या मजबूरी की वजह से इंटरबैंकिंग पेमेंट करने वाले यूपीआई की तरफ़ मुड़े थे. और उस दौर में पेटीएम के ग्राहकों की संख्या अचानक बढ़ी थी.
वॉट्सऐप के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट दीपक अबॉट ने ब्लूमबर्ग से कहा, ”ये पेटीएम और वॉट्सऐप के बीच की लड़ाई नहीं है. मामला ये है कि एनपीसीआई ने कुछ दिशा-निर्देश तय किए हैं, जिनका पालन नहीं किया गया. ये उसे नाजायज़ फ़ायदा पहुंचाने जैसा है.”
वॉट्सऐप पेमेंट इस्तेमाल करने के लिए आपके पास भारत के कंट्री कोड वाला फ़ोन नंबर होना चाहिए और यूपीआई को सपोर्ट करने वाला बैंक में खाता. ये नंबर वही होना चाहिए, जो आपने बैंक अकाउंट से लिंक कराया है.
पेटीएम का कहना है कि वो प्रतिस्पर्धा नहीं बल्कि नाजायज़ फ़ायदा मिलने का विरोध कर रही है. मसलन, वॉट्सऐप ट्रायल सर्विस को लॉगइन सेशन और आधार बेस्ड पेमेंट की ज़रूरत नहीं है.
पेटीएम को लगता है कि लॉगइन की ज़रूरत ख़त्म करना वॉट्सऐप पेमेंट को सिक्योरिटी रिस्क पर लाना है. कुछ ऐसा जैसे सभी को ‘ओपन एटीएम’ दे दिया गया हो.
दीपक अबॉट का कहना है, ”सभी यूपीआई ऐप्स में ऐप पासवर्ड की ज़रूरत होती है ताकि यूज़र को पासवर्ड रिसेट करने या लॉगआउट करने का अवसर दिया जा सके. लेकिन वॉट्सऐप में पासवर्ड या लॉगआउट जैसा कुछ नहीं. ये अंत में सभी को ऑथेंटिफ़िकेशन के सिंगल फ़ैक्टर के साथ पैसा भेजने का मौका देगा.”
फ़ेसबुक की ये सर्विस लोगों को फ़ोन नंबर वीपीए बनाने का मौका दे रही है न कि कोई मुश्किल सा वेब ईमेल एड्रेस. इसके अलावा बीटा स्टेज में ग्राहकों को सेवाओं के लिए एनरॉल कराना होता है जबकि वॉट्सऐप के मामले में ये सभी को यूं ही मिल रहा है.
साभार- http://www.bbc.com/ से