· यह कैलेंडर – तिनका तिनका डासना- नाम की एक बड़ी परियोजना का हिस्सा
· इस अनूठे कैलेंडर में डासना से जुड़े कलात्मक और साहित्यिक अंशों को समेटा गया है
· कैलेंडर का मुख्य आकर्षण दीवार की एक बेहद खास 3-डी पेंटिंग जिसे डासना के बंदी विवेक स्वामी ने बनाया है।
· ऐसी दीवार जो पहले कभी, कहीं नहीं बनी
· दीवार में बंदियों को अक्सर याद आने वाले कुछ नाम और बिंब हैं। इनमें आरुषि तलवार का नाम भी।
· तिनका तिनका डासना प्रोजेक्ट की संस्थापक जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नन्दा
देश की चर्चित जेल डासना में तिनका तिनका डासना की थीम से एक अनूठे कैलेंडर को रिलीज किया गया है। तिनका तिनका डासना देश की किसी भी जेल की एक अभिनव श्रृंखला का नाम है। कैलेंडर, दीवार, गाने से लेकर कविता और फिर एक नई तरह की किताब तक यह प्रयोग जेल के कैदियों की सृजनात्मकता को सामने लाने का दुनिया का अपनी तरह का पहला प्रयास है। पहली कड़ी है – कैलेंडर।
6 पन्नों के इस कैलेंडर को रिलीज करते हुए जेल अधीक्षक शिव प्रकाश यादव ने कहा कि इस कैलेंडर ने जेल के जीवन में उम्मीद भरने का अनूठा काम किया है। सभी 6 पन्नों में उत्तर प्रदेश, खास तौर से डासना जेल, के रचनात्मक प्रयोगों को केंद्र में रखा गया है। यह कैलेंडर और इस कैलेंडर में दिख रही प्रमुख दीवार वर्तिका नन्दा के कांसेप्ट पर आधारित है। दीवार को विशाखापत्तनम के रहने वाले विवेक स्वामी ने चार और बंदियों के साथ मिलकर बनाया है। विवेक डासना में बंदी है। वह 3 डी पेंटिंग मे माहिर है लेकिन उससे भी बड़ी बात यह कि पेंटिंग और रंगों को लेकर उसकी समझ लाजवाब है।
इस बड़ी योजना पर काम अगस्त 2015 में शुरू किया गया गया था। जेल अधिकारियों की इजाज़त से जेल के मुख्य केंद्र में एक पीली पड़ी दीवार का चुनाव किया गया, रंग मंगवाए गए और इस दीवार पर पेंटिंग का काम शुरू किया गया।
वर्तिका नन्दा ने बताया कि दीवार पर बनाई गई यह पेंटिग करीब 10 साल तक इसी तरह बनी रहेगी। इस पेंटिंग का एक सिरा अंधेरे में है जहां चांद और सितारे दिन में जगमगाते दिखेंगे। दूसरे सिरे में उस गाने का एक अंश है जिसे वर्तिका ने लिखा है पर बंदियों ने गाया है। इसके ठीक ऊपर चमकता हुआ सूरज है। बीच में दस नाम हैं। ये वे नाम हैं जो चुने गए इन दस बंदियों की यादों में शामिल हैं। इनमें कोई किसी की पत्नी है, किसी की मां, किसी की बेटी, किसी का भाई। इनमें एक नाम आरुषि तलवार का भी है। आरुषि के माता-पिता –राजेश और नुपूर – इसी जेल में बंदी हैं। इन दसों नामों को दस प्रतीकों में घोल कर लिखा गया है। जेलों की व्याख्या करने वाले इन दस प्रतीकों का चुनाव भी बहुत सोच कर किया गया है। इनमें एक नीली आंख है, एक ख़त, एक दीया, एक पत्ता, एक चाबी, एक ताला, एक माला, एक घड़ी, एक फोटो फ्रेम और एक खिड़की। ये सभी वे बिंब हैं जो जेलों की जिंदगी से जुड़े हैं।
पेंटिंग के एक सिरे में घने अंधेरे में चमकते चांद और सितारे और दूसरे सिरे में पूरी ऊर्जा से दमकता सूरज कैदियों के लिए झिलमिलाती उम्मीद की लालटेन है। यहां दिन में चांद बहुत-से तारों के मौजूद रहेगा और रात में सूरज चमकता दिखेगा।
यह कैलेंडर – तिनका तिनका डासना – की बड़ी योजना का पहला हिस्सा है। जेल को उम्मीद और सृजनात्मकता से जोड़ने की कड़ी में अभी कई प्रयोग सामने लाए जाएंगे। इस दीवार को विवेक स्वामी सहित 4 चित्रकारों ने पूरा किया। इनके नाम हैं- किशन, संजय और दीपक।
इस दीवार को विशाखापत्तनम के रहने वाले विवेक स्वामी ने बनाया है। जिस दिन दीवार बन कर पूरी तरह से तैयार हुई, उसी दिन वह रिहा भी हुआ। यह अजीब बात है कि बाहर जाने की खुशी में इस दीवार के छूटने का गम उसके साथ चलता हुआ गया लेकिन वह यह भी जानता है कि यह दीवार आने वाले समय में उसके लिए कई नए दरवाजे खोल देगी।
दीवार के अलावा इस कैलेंडर में जेल में हाल के दिनों में किए गए नए प्रयोगों की भी झलक है। इसमें वह गाना भी प्रमुखता से रखा गया है जो वर्तिका नन्दा ने जेल के कैदियों के लिए लिखा है और अब यह गाना जेल का आधार गीत है।
डासना जेल के अधिकारी शिव प्रकाश यादव, आर एस यादव, शिवाजी यादव और आनंद पांडे जैसे अधिकारी बंदियों को लगातार प्रोत्साहित करते रहे हैं। उत्तर प्रदेश जेलों के महानिरीक्षक श्री देवेंद्र सिंह चौहान और एडीजी शरद कुलश्रेष्ठ का इस योजना के साथ लगातार सहयोग रहा है। छ पन्नों का यह कैलेंडर अब डासना जेल में उपलब्ध है।
वर्तिका नन्दा के मुताबिक तिनका तिनका डासना की यह पहली कड़ी है। अभी बहुत कुछ सामने लाया जाना बाकी है जिसमें साहित्य भी होगा और पत्रकारिता भी।
तिनका तिनका भारतीय जेलों पर वर्तिका की एक अनूठी श्रृंखला का नाम है जिसमें वे हर बार किसी एक जेल पर काम करेंगी। वे मीडिया और साहित्य के ज़रिए महिला अपराधों के प्रति जागरूकता लाने के लिए भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी से 2014 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति भवन में स्त्री-शक्ति पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी हैं।2013 में विमला मेहरा के साथ संपादित उनकी किताब तिनका तिनका तिहाड़ का विमोचन तत्कालीन गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने किया था। यह किताब लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्डस में शामिल है। 2015 में तिनका तिनका तिहाड़ – शीर्षक से लिखे वर्तिका के गाने को तिहाड़ जेल में पुरूष और महिला कैदियों पर फिल्माया गया। इस फिल्म का विमोचन लोक सभा अध्यक्ष श्रीमती सुमित्रा महाजन ने मई में संसद भवन में अपने कक्ष में किया। 2015 में ही वर्तिका ने कैदियों के लिए देश के पहले ख़ास सम्मानों की शुरूआत की। बतौर संस्थापक, तिनका तिनका इंडिया अवार्ड्स, वे हर साल राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर जेलों में सृजन कर रहे बंदियों को पुरस्कार देंगीं।
तिनका तिनका की अनूठी श्रृंखला के जरिए वर्तिका ने स्थापित किया है कि मीडिया का सकारात्मक इस्तेमाल भी हो सकता है। एक महिला होने के बावजूद वर्तिका ने खौफ देती जेलों के अंदर जाकर कैदियों के मनोबल को बढ़ाया है। इसके तहत वे मानवाधिकार और मीडिया को देश की अलग-अलग जेलों से जोड़कर कर नए प्रयोग कर रही हैं। जेलों में कला और साहित्य के साथ मीडिया प्रशिक्षण भी।