Thursday, November 28, 2024
spot_img
Homeजियो तो ऐसे जियोस्कूल जाने के लिए 12 किमी पैदल चलना पड़ता था, अब नौकरी...

स्कूल जाने के लिए 12 किमी पैदल चलना पड़ता था, अब नौकरी छोड़ बच्चों को पढ़ाने का संकल्प

खुद स्कूल जाने के लिए 12 किलोमीटर पैदल जाने का सफर करने वाले एक किसान पुत्र अब स्वयं स्कूलों में जाकर विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करने के काम में जुटे हैं। 28 साल के इस युवक ने प्राइवेट नौकरी छोड़कर सेवा को अपना जज्बा बनाया आैर अब तक सैकड़ों विद्यार्थियों को हाईटेक शिक्षा का प्रशिक्षण दे चुके हैं।

यह युवक हैं खाचरौद तहसील के गांव बरखेड़ा के रहने वाले अर्जुन (आर्यन) चतुर्वेदी। अर्जुन बीएससी की पढ़ाई के बाद गुजरात में एक मीडिया हाउस में हिंदी विभाग के प्रोडक्शन मैनेजर बने लेकिन बचपन से जुड़ी कुछ यादें उन्हें कसोटती रहती। अर्जुन ने बताया गांव में स्कूल नहीं होने के कारण बचपन में उन्हें 12 किलोमीटर दूर स्कूल जाना पड़ता था। कोई साधन नहीं होने के कारण सुबह 4 बजे उठकर वह पैदल स्कूल निकल जाते हैं। स्कूल नहीं होने के कारण उनके कई साथी स्कूली शिक्षा तक से वंचित रह गए। यही कारण रहा कि अर्जुन 2007 में नौकरी छोड़कर वापस गांव आ गए आैर एक सोसायटी बनाकर बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने के कार्य में जुट गए। वह स्कूलों के अलावा झुग्गी बस्तियों में जाकर बच्चों को शिक्षित करने का काम करते हैं। साथ ही स्कूलों में एक दिनी कार्यशाला भी लेते हैं। जिसमें विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारियां, आत्मविश्वास बनाए रखना, नए कोर्स, तनाव से दूर रहने के तरीके, समाज में विद्यार्थियों की भूमिका सहित अन्य जानकारियां देते हैं। अर्जुन के इस कार्य में अब उनके साथ 30 अन्य युवाओं की टीम भी तैयार हो चुकी है। अर्जुन विद्यार्थियों के बीच जाकर कार्यशाला लेकर उन्हें प्रशिक्षित करते हैं।

अर्जुन ने बताया जनवरी में वह मूकबधिर, दिव्यांग आैर ब्लाइंड विद्यार्थियों के लिए तीन महीने का फ्री कोर्स शुरू करेंगे। इसमें विद्यार्थियों को ग्राफिक्स डिजाइनिंग, ऑडियो-वीडियो एडिटिंग, फैशन डिजाइनिंग, कम्युनिकेशन स्किल्स, स्पोकन इंग्लिश सहित अन्य विषयों पर आधारित शिक्षा दी जाएगी। इसमें 500 छात्राएं आैर 100 मूकबधिर भी शामिल रहेंगे। इस कोर्स के लिए संबंधित विषयों के विशेषज्ञ शिक्षकों द्वारा शिक्षा दी जाएगी लेकिन किसी भी विद्यार्थी से शुल्क नहीं लिया जाएगा।

साभार- https://www.bhaskar.com से

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार