महाराव उम्मेद सिंह का स्टेडियम में स्मैक विरोधी अभियान की चहल – पहल थी। चारों ओर 70 से अधिक ट्रेक्टर,ट्रक,मिनीबस,टेंपों में स्मैक मुक्ति के संदेशों की सुंदर – सुंदर झांकियां सजी थी। इनमें कहीं बैनर और कहीं नाट्य मंडलियां स्मैक छोड़ो, कोटा को स्मेक मुक्त बनाओ,स्मैक से मुक्ति का संकल्प लेना है,कोटा को स्मेक मुक्त बनाना है जैसे सन्देश प्रसारित कर रही थी रंग बिरंगी और सजी -धजी झांकियां। स्टेडियम के मुख्य पवेलियन के सामने जमा थे शहर के सभी दलों के जन प्रतिनिधि, सभी धर्मो के धर्म गुरु, समाजसेवी, गणमान्य नागरिक, सभी संस्थाओं और स्माजों के प्रतिनिधि ,स्कूलों और कॉलेजों के विद्यार्थी। एक अच्छा खासा स्मैक विरोधी मेला जुड़ा था। पत्रकार, फोटोग्राफर, न्यूज़ चेनल प्रतिनिधि पूर्ण रूप से सक्रिय थे हर पल की गतिविधियों को कैद करने के लिए।
दो – तीन खुले वाहनों को कुछ लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ सजाया गया था। इनमें समाज का नेतृत्व करने वाले जन प्रतिनिधि, धर्म गुरु आदि बैठ कर शहर में निकलने वाले स्मैक विरोधी यात्रा की अगुवाई कर रहे थे। प्रमुख अतिथियों और तत्कालीन जिला कलेक्टर तपेंद्र कुमार के उद्बोधन के बाद यात्रा शहर में नागरिकों तक स्मैक विरोधी सन्देश पहुंचाने के लिए रवाना किया गया। पूरे शहर में करीब 30 किलोमीटर में नागरिकों तक ” जागृति ” नाम से शुरू हुए स्मैक मुक्ति अभियान का संदेश पहुंचा।
आज जब की तम्बाकू मुक्ति दिवस है, मुझे याद हो आता है वह स्मैक मुक्ति अभियान जिसे कोटा में कई साल पहले उस समय के जिला कलेक्टर तपेंद्र कुमार की कड़ी मेहनत, पूरी तैयारी के साथ उनकी पहल और प्रेरणा पर चलाया गया था। समाज के सभी वर्गो की सक्रिय भागीदारी जोड़ने के लिए एक माह तक अलग – अलग बैठकें की गई। कई समितियों का गठन कर दायित्व सौंपे गए। समाजसेवियों का एक कोर समूह बनाया गया। मोजीज लोगों से प्रथक से भी चर्चा की गई। हर वर्ग और समूह को साथ जोड़ा गया।
प्रयासों का परिणाम एक विशाल स्मैक मुक्ति मेले और जागृति यात्रा के रूप में अभियान की शुरुआत हुई। एक ऐसा माहौल बना जिसकी गूंज पूरे राजस्थान में पहुंची। कोटा में नशा विरोधी इस आयोजन ने पिछले कई रिकार्ड तोड़ दिए। चल पड़ा जागृति अभियान हर दिन कोई न कोई जन जागृति के कार्यक्रम होने लगे। व्यापक जागृति के बाद स्मैक मुक्ति शिवरों का आयोजन जन सहयोग से किया गया। कई शिविर आयोजित हुए और काफी लोगों ने स्मैक से तौबा की और वे इसका नशा छोड़ने में आगे आए। ऐसे व्यक्तियों के परिवार वाले भी खुश हुए, उनके घरों में खुशी का माहौल बना। मीडिया के लोगों ने भी इस अभियान में कंधे से कंधा मिला कर प्रशासन का सहयोग किया और नशा मुक्त होने वालों एवं छोड़ने का संकल्प लेने वालों के प्रसंगों को कहानियां बना कर औरों को भी प्रेरित किया। कोटा में शायद वह पहला अवसर था जब नशा मुक्ति के खिलाफ इतना व्यापक जन समर्थन देखा गया।
इधर जन जागृति और शिविर उधर पुलिस ने धरपकड़ की कार्रवाई कर अभियान को सार्थक बनाया।करीब एक साल तक चली यह गतिविधियां। एक प्रशासक समाजसेवी के रूप में रास्ता दिखा गया पर हम ही है जो इसे आगे नहीं बढ़ा पाए।
वर्ष 1992-93 में जिला कलेक्टर तपेंद्र कुमार की नशा विरोधी मुहिम में जन सम्पर्क अधिकारी के रूप में मुझे भी सक्रिय भागीदारी निभाने का सुअवसर प्राप्त हुआ। तत्कालीन एडीएम – सिटी धर्मेन्द्र भटनागर ने सम्भाल रखी थी बागडोर। समाजसेवी डॉ.एम.एल.अग्रवाल, डॉ.आर.सी.साहनी, महावीर चंद भंडारी, स्काउट एवं गाइड संगठन के यज्ञ दत्त हाड़ा प्रमुख रूप से जागृति अभियान के सेनानी बने। ऐसे कई लोग और संस्थाएं भी प्रमुख रहें। अभियान में उत्कृष्ट कार्य करने वालों का स्वाधीनता दिवस पर सम्मान भी किया गया।
** “जागृति अभियान” स्मैक विरोधी था,क्या ही अच्छा हो ऐसा अभियान तंबाखू के विरोध में चलाया जाए।- डॉ.प्रभात कुमार सिंघल।
फोटो — सेवा निवृत आइएएस, तपेद्र कुमार