प्रागेतिहासिक काल के आलनिया के शैल चित्रों से लेकर अधुनातन उभरते चंबल रिवर फ्रंट और चम्बल में क्रुज संचालन राजस्थान के कोटा शहर को दुनिया के पर्यटन नक्शे पर लाने की दिशा में, पर्यटन विकास की बयार चल पड़ी है। कोटा में भी विश्व के कोने-कोने से सैलानी आयें और चंबल के असीम सौन्दर्य के साथ-साथ सांस्कृतिक विरासत से रूबरू हो, इस भावना के साथ कोटा उत्तर के विधायक एवं राज्य सरकार के नगरीय विकास और स्वायत शासन मंत्री शांति धारीवाल एक सपना संजो कर पर्यटन की बयार के सूत्रधार बने हैं। वह समय अब दूर नहीं जबकि पर्यटन विकास का उगता सूरज अपना उजाले से दुनिया के सेलानियों को आलोकित करेगा और संसार के पर्यटन मानचित्र पर चमकेगा।
पर्यटन की बहती बयार में कोटा-बून्दी लोकसभा क्षेत्र के सांसद और देश की सब से बड़ी पंचायत संसद के लोक सभा अध्यक्ष ओम बिड़ला इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, कोटा में एयरपोर्ट तथा चम्बल नदी में क्रूज संचालन के लिए सतत रूप से प्रयासरत हैं।आज जबकि लाखों स्टूडेंट्स देश के कोने-कोने से कोचिंग के लिए आते हैं, उनके माता-पिता भी आते हैं, ऐसे में हवाई सेवा और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं। एयरपोर्ट की सुविधा उपलब्ध करा कर बिड़ला पर्यटन को नए पंख लगाने के सूत्रधार बन जाएंगे। पर्यटन के क्षेत्र में वह दिन स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा जब कोटा में एयरपोर्ट शुरू होगा और चम्बल नदी पर क्रूज दौड़ेंगे।
पर्यटन विकास की बहती बयार में उभर रही चम्बल रिवर फ़्रंट और ऑक्सीज़न पार्क की विश्व स्तरीय कल्पनाएं, उभर रहा है शहर का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और व्यवस्थित रूप, जिसकी कभी कल्पना भी किसी ने नहीं की थी। जयपुर से आने वाला कोटा का प्रवेश क्षेत्र हेरिटेज लुक में उभर रहा है। यहाँ से रेलवे स्टेशन तक पूरा मार्ग अकल्पनीय ख़ूबसूरत हो कर भारत के स्वतंत्रता आंदोलन और कोटा के योगदान की झलक से लुभायेगा। जगह-जगह विकसित हो रहे फ्लाई ओवर, अंडर पास, पार्किंग स्थलों से शहर की यातायात व्यवस्था तो बेहतर बनेगी है साथ ही शहर की सुंदरता में वृद्धि हो कर पर्यटन विकास की दिशा में सहायक होंगे।
देश के कई रिवर फ्रंटस को पीछे छोड़ते हुए कई गुणा अद्भुत और नायाब और विश्व स्तरीय होगा चम्बल रिवर फ़्रंट। कोटा बैराज से नयापुरा चम्बल रिवर फ़्रंट में चंबल माता चर्मण्यवती की 40 फीट ऊंची प्रतिमा, दो दर्जन घाटों पर राजस्थान की संस्कृति एवं स्थापत्य शैली की झलक वाली संरचनाएं, गीता के श्लाेकाें पर आधारित स्कल्पचर्स, जवाहर घाट पर जवाहर लाल नेहरू को समर्पित एक फ्रीडम टावर, , साहित्य घाट पर तुलसीदास, प्रेमचंद, गालिब की रचनाएं एवं एक लाइब्रेरी, हिस्ट्री पार्क में शक्ति और भक्ति की प्रतीक रानी हाड़ी, पन्नाधाय की कहानी, महाराणा घाट पर मेवाड़, मारवाड़, शेखावाटी, छतरी घाट पर लाल पत्थर का बड़ा नंदी, सिंह-घड़ियाल घाट पर सिंह ओर घड़ियालों के स्कल्पचर्स, दुनिया की सबसे बड़ी घड़ी, म्यूजिकल घाट, म्यूजिक ज़ोन, बच्चों के लिए वाॅटर गेम जाेन, हैंडीक्राफ्ट बाजार, फ़ूड कोर्ट में कई देशों के लजीज व्यंजन की सुविधा के साथ-साथ जगह-जगह ख़ूबसूरत उद्यान, म्यूजिकल फव्वारे एवं राेशनी की अनूठी रचनाएं आकर्षण का केंद्र होंगी। हेलीकॉप्टर राइड एवं नोकायन के मनोरंजन सेलानियों को लुभाएंगे। डेस्टिनेशन मैरिज के लिए देश का नया आकर्षण होगा।जाएंगी जो पर्यटकों को लुभायेगा। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट इस लिये महत्वपूर्ण है कि इसकी प्रकृति प्रेमियों की बड़ी मांग पूरी होगी और शहरवासियों को एक नया प्राकृतिक पर्यटन स्थल देखने को मिलेगा।
ऑक्सिज़ोन पार्क एक और उभरता प्राकृतिक पर्यटन स्थल सेलानियों के लिए एक और बड़ा केंद्र बिंदु होगा। झालावाड़ रोड पर स्थित आईएल कॉलोनी की 30 हेक्टेयर भूमि पर विकसित किये जा रहेंऑक्सिज़ोन पार्क में विभिन्न प्रजाति के सुंदर सजावटी एवं फूलदार 10 हज़ार पेड़- पौधे लगाए जा कर पक्षियों के लिए संरक्षित स्थान, जलाशय,हेल्थ ज़ोन,आर्ट हिल जैसी संरचनाएं बनाई जा रही हैं। दुनिया भर के प्रकृति प्रेमियों के लिए ऑक्सिज़ोन आकर्षण का नया केंद्र होगा।
पर्यटन विकास के भागीरथ प्रयासों की बुनियाद भारत के पहले सेवन वंडर्स पार्क के रूप में रख चुके हैं धारीवाल, जिसमें विश्व के सात आश्चर्य की प्रतिकृति स्मारकों की झलक एक जगह देखी जा सकती है। आज यह पार्क फ़िल्म शूटिंग के लिये उभर रहा है। छत्रविलास उद्यान, गणेश उद्यान, चंबल उद्यान, हाड़ौती यातायात उद्यान एवं शहीद पार्क शहर के आकर्षण हैं।
पर्यटन आधार की दृष्टि से कोटा में आलनिया नदी के शैलाश्रयों के शैल चित्र, प्राचीन कंसुवा महादेव मंदिर, अंचल की संस्कृति को दर्शाने वाले ब्रज विलास राजकीय संग्रहालय एवं गढ़ महल स्थित महाराव माधोसिंह संग्रहालय, किशोर सागर, जगमंदिर, क्षरबाग की छतरियां, कोटा बैराज,भीतरिया कुंड,अधर शिला, अभेडा महल एवं पुरातत्व महत्व का चन्द्रेसल मठ प्रमुख पर्यटक स्थल हैं। विभिन्न धर्मो के कई आस्था स्थल भी दर्शनीय हैं। दशहरा मेला एवं चंबल एडवेंचर फेस्टिवल पर्यटकों का अनन्य आकर्षण हैं।
कोटा के आसपास चंबल के किनारे गेपरनाथ, केशवरायपाटन मन्दिर,कैथून का विभीषण मन्दिर,चारचौमा में गुप्त कालीन महादेव मंदिर, बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर, जवाहर सागर बांध, बाड़ोली मन्दिर, राणाप्रताप सागर बांध, भैंसरोडगढ़ एवं मुकुन्दरा राष्ट्रीय अभयारण्य एवं बाघ रिजर्व दर्शनीय स्थल हैं। कोटा शहर से मात्र 35 किमी.दूरी पर पर्वतों की गोद में बसा बूंदी पहले से ही पर्यटन मानचित्र पर बून्दी शैली के चित्रों से विश्व में पहचाना जाता हैं। खरीदारी के लिए कैथून में बुनकरों द्वारा हथकरघे पर बनी कोटा डोरिया साड़ी प्रसिद्ध है।
ठहरने के लिये फाइव स्टार होटल सहित हर बजट के होटल एवं भोजन के लिये अच्छे रेस्तरां उपलब्ध हैं। इनमें भारतीय भोजन सहित कई देशों के लजीज व्यंजन उपलब्ध है। कोटा पहुँचने के लिए निकटतम एयरपोर्ट 245 किमी.दूर जयपुर के सांगानेर में उपलब्ध है। कोटा दिल्ली–मुम्बई रेल मार्ग का प्रमुख जंक्शन है। बस द्वारा कोटा राज्य एवं राज्य के बाहर प्रमुख स्थलों से जुड़ा है। स्थानीय स्तर पर टेक्सी,ऑटो आदि सुविधाएं उपलब्ध हैं।
पर्यटन की बयार में उभरते विश्व स्तरीय पर्यटन स्थल और किये जा रहे प्रयास कोटा को पर्यटन क्षेत्र में एक नया डेस्टिनेशन बनाएंगे। ऐसे में कोटा में एयरपोर्ट की सुविधा से पर्यटन के प्रयासों को पंख लग जाएंगे। पर्यटन विपणन की दिशा में भी विशेष भागीरथी प्रयासों की दरकार है, जिस पर अभी से विचार कर कदम उठाए जाने आवश्यक हैं।
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लेखक एवं पत्रकार
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कोटा, राजस्थान
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