Monday, December 23, 2024
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संघ के नेता श्री कृष्ण गोपाल ने कहा, रोजगार खत्म होने का कारण नई वैज्ञानक खोजें

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान’ का नारा दिया था। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैज्ञानिकों को इनोवेशन के लिए प्रोत्‍साहित कर रहे हैं। ऐसे में आरएसएस के एक प्रभावशाली नेता ने रोजगार के अवसर खत्‍म होने के लिए वैज्ञानिकों की नई खोज को जिम्‍मेदार ठहराया है। आरएसएस के सह सर कार्यवाह डॉक्‍टर कृष्ण गोपाल ने कहा कि नए प्रयोगों से पूंजी का केंद्रीकरण हो गया है। विश्व की साढ़े तीन अरब से ज्‍यादा की आबादी के बराबर की संपत्ति मात्र आठ लोगों के पास है। भारतीय संस्कृति पर उन्होंने कहा कि विश्व के जानेमाने अर्थशास्त्रियों ने लिखा है कि मौजूदा हालात से बचना है तो भारत का दर्शन और विचार को जानें। कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत देश की शक्ति अध्यात्म है। पश्चिमी सभ्यता और संस्‍कृति को अपनाने के मुद्दे पर उन्‍होंने कहा क‍ि यह गति पकड़ेगी, लेकिन जितनी जरूरत हो उतना ही इससे लिया जाना चाहिए। उनके अनुसार, आज पूरी दुनिया भारतीय संस्‍कृति की ओर उम्‍मीद से देख रही है।

श्री कृष्ण गोपाल हरदा जिले (मध्‍य प्रदेश) के टिमरनी में गुरुवार रात को भाऊ साहेब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यानमाला के तहत लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने व्याख्यानमाला के अंतिम दिन वर्तमान सभ्यता का संकट विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संस्कृति आत्मा है और सभ्यता शरीर है। सभ्यताएं आएंगी और जाएंगी, लेकिन उनमें संस्कृति विद्यमान रहनी चाहिए। आज सभ्यता हमसे हमारा बहुत कुछ मूल्यवान देन रही है। पारिवारिक मूल्य समाप्त हो रहे है। सुविधाएं आई है पर सांस्कृतिक मूल्य खो रहे हैं। सहनशीलता समाप्त हो रही है। एक ओर सम्पन्नाता बढ़ रही है। दूसरी ओर अवसाद बढ़ रहा है।

श्री कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत पूरे विश्व में अपने अध्यात्म की वजह से ही खड़ा है। कृष्‍ण गोपाल का यह बयान ऐसे समय सामने आया है, जब देश में रोजगार के नए अवसरों की स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही है। पूर्व में आरएसएस से जुड़े संगठन इसको लेकर नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा कर चुकी है। कृष्‍ण गोपाल ने पिछले साल कहा था क‍ि भारत में भेदभाव और छुआछूत का कोई इतिहास ही नहीं रहा है। उनके मुताबिक ये चीजें हजारों साल पूर्व भारत में आई थीं। उस वक्‍त एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्‍होंने कहा था कि जब ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश तीनों इंसान में ही मौजूद हैं तो फिर इंसानों में भेदभाव कैसा। उनके मुताबिक, ऋषि-मुनियों ने कभी भी इस चीज का जिक्र नहीं किया। कृष्‍ण गोपाल ने कहा कि हिंदू हर इंसान का भला सोचता है, वो किसी का बुरा नहीं सोचता।

उन्होंने कहा, सभ्यता मस्तिष्क में और संस्कृति ह्दय में उन्नत होती है। संस्कृति के प्रति हमारा दृष्टिकोण नहीं बदलना चाहिए। सभ्यता सुविधाएं जुटाएगी संस्कृति उनमें सुगंध भरेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. गोरख परूलकर ने की। कार्यक्रम का संचालन विनोद विश्वकर्मा ने किया। अतिथियों का स्वागत किराना व्यवसायी अनिल जैन ने किया। आभार डा. विवेक भुस्कुटे ने व्यक्त किया। लगातार 26 वर्षों से हो रही इस व्याख्यानमाला में नगर सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से हजारों की संख्या में युवा पहुंचे। जिसमें अनेक दिग्गज जनप्रतिनिधी व समाजसेवी भी शामिल रहे।

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