नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने रविवार को भारतीय भाषाओं का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार को यह सही नीति बनानी चाहिए कि बच्चों की प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या किसी अन्य स्थानीय भाषा में ही हो। इसके साथ ही अधिकारीयों की बैठक में भारतीय भाषाओं के समर्थन, संरक्षण और बढावा देने की जरूरत पर एक प्रस्ताव पारित किया गया। इसमें यह भी कहा गया कि टेक्नोलॉजी और मेडिसिन के साथ-साथ अन्य सभी फैक्ल्टी की उच्च शिक्षा की प्रवेश परीक्षाओं में बैठने वाले अभ्यर्थियों के पास उनके स्थानीय भाषाओं का ऑप्शन होना चाहिए।
शिक्षा संबंधी सामग्री का माध्यम भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध होनी चाहिए। आरएसएस ने नीट (NEET) और यूपीएससी (UPSC) परीक्षाओं के अब भारतीय भाषाओं में भी शुरू होने का स्वागत करते हुए कहा कि सभी अन्य प्रवेश परीक्षाओं के लिए भी यह विकल्प उपलब्ध होना चाहिए।
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा द्वारा पारित प्रस्ताव में आरएसएस ने कहा कि देश में प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा या अन्य स्थानीय भाषा में होनी चाहिए। इसके लिए अभिभावकों को भी अपना मन बनाना चाहिए और सरकार को इस संबंध में उचित नीतियां तथा जरूरी प्रावधान करने चाहिए।
आरएसएस ने यह भी कहा कि सभी सरकारी और न्यायिक कामों के लिए भी स्थानीय भाषाओं को भाव देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी भाषा अहमियत देने के बजाए भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। स्थानीय भाषाओं के प्रयोग में गिरावट पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि कई भाषाएं और बोलियां विलुप्तप्राय हैं जबकि कई अन्य संकटग्रस्त हैं। आरएसएस ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को सभी भाषाओं, बोलियों के संरक्षण और बढावे के लिए कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही आरएसएस ने यह भी कहा कि वह विभिन्न ज्ञान हासिल करने के लिए विश्व की अन्य भाषाएं सीखने भी जरुरी है।