एकता और अनुशासन के लिए समर्पित राष्ट्रीय कैडेट कोर यानी एनसीसी स्कूल और कॉलेज के दौर की ज़िंदगी का एक अनोखा मंच है। यह अनुशासन और देश भक्ति की भावना को आत्मसात करने का बड़ा अवसर है। नयी पीढ़ी को आने वाले कल के जिम्मेदार नागरिकों के रूप में तैयार करने में इस विशाल संगठन की अविस्मरणीय भूमिका है।
भारत में राष्ट्रीय कैडेट कोर विद्यालयों, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों के कैडेटों का स्वैच्छिक संगठन है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय कैडेट कोर दिवस प्रत्येक वर्ष नवम्बर माह के चौथे रविवार को मनाया जाता है। इस वर्ष यह दिवस 25 नवम्बर को है। इधर यह जानना सचमुच रोमांचक होगा कि पहले अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर 9.5 लाख एनसीसी छात्रों ने देश के 1805 सेंटरों पर योग किया था।
स्मरण रहे कि एनसीसी का आधिकारिक गान – कदम मिला के चल को 1963 में स्वीकृति मिली और रक्षा मंत्रालय के अनुमोदन के साथ 1969 में इसका पंजीकरण किया गया। वर्ष 1974 में यह महसूस किया गया कि यह एनसीसी गीत युवाओं में वैसा प्रभाव उत्पन्न करने में सक्षम नहीं है और इसको बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए एक लगातार प्रक्रिया आरंभ हो गयी, सभी निदेशालयों से उपयुक्त गीत भेजने को कहा गया, 107 गीत मिले, जिनमें से आठ गीतों को एक अधिकारी मंडल द्वरा चुना गया तथापि, इस मंडल के जज, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. नगेन्द्र को ये आठों गीत स्तरीय नहीं लगे। उन्हीं की सलाह पर यह काम ए.आई.आर. दिल्ली के नाटक प्रभाग के मुख्य निर्माता चिरंजीत को सौंपा गया। सन् 1976 में उनके द्वारा लिखे गये गीत को अनुमोदन प्राप्त हुआ। यह जानना सचमुच रोचक है कि महाराष्ट्र निदेशालय को कहा गया कि श्री राजकपूर की मदद से, बॉम्बे फिल्म प्रभाग इस गीत को संगीतबद्ध और रिकॉर्ड करें, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया क्योंकि श्री राजकपूर अपनी फिल्म सत्यम् शिवम् सुन्दरम् बनाने में व्यस्त थे और फिल्म प्रभाग के स्टूडियो का नवीकरण कार्य चल रहा था। बाद में दिल्ली के एक प्रख्यात कवि श्री महिंदर सिंह बेदी को एक गीत लिखने का अनुरोध किया गया। यह प्रयास भी सफल नहीं हो पाया।
लगभग इसी समय एनसीसी महानिदेशालय के स्वतंत्र प्रयास से फिल्म प्रभाग ने एनसीसी -एक कैडेट की डायरी नाम से एक वृत्त चित्र के निर्देशक को इस फिल्म के लिए एक उपयुक्त गाने की तलाश थी। उन्होंने 1968-69 में चंडीगढ के एक युवा महोत्सव के दौरान हम सब हिंदी हैं नाम का गीत पहली बार सुना और इस गीत को उन्होंने अपनी फिल्म में शामिल कर लिया। यह गीत लोकप्रिय हुआ और आने वाले कई महानिदेशकों ने गणतंत्र दिवस शिविरों में इसे बार-बार बजाया। 1980 में इसके शब्द हिंदी को बदल कर भारतीय कर दिया गया।
भारत में एनसीसी का गठन 1948 के राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम के साथ हुआ था। इसे 15 जुलाई 1948 को रेज़ किया गया था। हमें हमेशा याद रखना होगा कि पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान, एनसीसी रक्षा की दूसरी पंक्ति थी। कैडेट्स की अहम भूमिका इतिहास के दर्ज़ है। एनसीसी कैडेटों ने नागरिक रक्षा अधिकारियों के हाथों में काम किया और सक्रिय रूप से बचाव कार्य और यातायात नियंत्रण में हिस्सा लिया। दुश्मनों की खोज खबर लेने में भी मदद की।
गुजरते वक्त के साथ नए दौर की मांग को ध्यान में रखते हुए रक्षा की दूसरी पंक्ति होने की बजाय, एनसीसी पाठ्यक्रम ने नेतृत्व विकास तथा व्यक्तित्व विकास के गुणों पर अधिक बल दिया। सामाजिक सेवा और युवा प्रबंधन जैसे अन्य क्षेत्रों को अधिक महत्व दिया गया। एनसीसी सामाजिक सरोकार के लिहाज़ से अपनी अलग पहचान लगा। देश के युवाओं में चरित्र, साहचर्य, अनुशासन, नेतृत्व, धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण, एडवेंचर की भावना एवं निस्वार्थ सेवा के आदर्श का विकास करना। मूलतः इस स्वैच्छिक और शैक्षिक संगठन का उद्देश्य है – देश के युवाओं में चरित्र, साहचर्य, अनुशासन, नेतृत्व, धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण, साहस की भावना एवं निस्वार्थ सेवा के आदर्श का विकास करना। जीवन के हर क्षेत्र में नेतृत्व प्रदान करने एवं राष्ट्र की सेवा के लिए हमेशा उपलब्ध संगठित, प्रशिक्षित एवं प्रोत्साहित युवा मानव संसाधन तैयार करना। सशस्त्र सेनाओं में अपना कैरियर शुरु करने के लिए युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए उचित परिवेश उपलब्ध कराना। एन सी सी का अधिचिह्न एनसीसीअक्षरों से युक्त स्वर्णांकित क्रेस्ट है, जिसकी पृष्ठभूमि में लाल, नीला तथा हल्का नीला रंग है।
जो युवा भारतीय सेना में शामिल होकर देश सेवा को अपना करियर बनाना चाहते हैं, उनके लिए कॉलेज लाइफ में एनसीसी एक बढ़िया माध्यम बन सकता है।
एनसीसी से बनती करियर की कुछ संभावनाएं इस तरह हैं -राज्य और केंद्र सरकार की नियुक्तियों में एनसीसी कैडेट को मिलती है प्राथमिकता। एनसीसी के सी सर्टिफिकेट प्राप्त कैडेट्स के लिए इंडियन मिलेट्री एकेडमी में सीटें रिजर्व होती हैं। एनसीसी बी या सी सर्टिफिकेट प्राप्त कैडेट्स को शॉर्ट सर्विस कमीशन में सीडीएस की लिखित परीक्षा नहीं देनी पड़ती। कई कॉर्पोरेट कंपनियां एनसीसी के सर्टिफिकेट धारी को प्राथमिकता देती हैं। आर्म्ड फोर्सेस और पैरामिलेट्री फोर्सेस में एनसीसी सी सर्टिफिकेट धारी को विशेष छूट दी जाती है। कुछ सीटें उनके लिए रिजर्व होती हैं। नेवी के हर कोर्स में छूट हर कोर्स में होती है।
विदेश जाने के अवसर भी मिलते हैं। हर साल एनसीसी यूथ एक्चेंज प्रोग्राम के तहत चुनिंदा कैडेट्स को विदेश भेजा जाता है। इससे कैडेट्स को वहां की संस्कृति और सभ्यता को समझने का मौका मिलता है। कैडेट्स कई तरह की प्रतियोगिता में भी हिस्सा लेते हैं। गणतंत्र दिवस पर हर साल निकलने वाली परेड के लिए भी एनसीसी कैडेट्स का चयन किया जाता है। नेशनल कैडेट कोर के छात्र झंडे की तरह ही अलग-अलग रंग की वर्दी भी पहनते है – खाकी सेना के लिए, सफेद नौसेना के लिए और हल्की नीली वायु सेना के लिए होती है। आपको बता दें कि एनसीसी समूह का नेतृत्व ‘लेफ्टिडेंट जनरल’ रैंक के अधिकारी द्वारा किया जाता है। बेशक अगर आप स्कूल या कॉलेज लाइफ में ही एक सैनिक की तरह साहसिक खेलों के साथ अनुशासन रहने का पाठ सीखना चाहते हैं तो एनसीसी एक बहुत अच्छा माध्यम बन सकता है।
(लेखक शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव में हिंदी विभाग में हैं)
मो. 9301054300