हाल ही में राजधानी दिल्ली स्थित इण्डिया हैबीटेट सेंटर में गैर-सरकारी संगठन साक्षी द्वारा एक संगीतमय संध्या ‘शाम-ए-ग़ज़ल’ का आयोजन किया गया। डाॅ. मृदुला टंडन के नेतृत्व में आयोजित की गयी इस संगीतमय संध्या में समकालीन युग के प्रख्यात कवियों द्वारा लिखी नई ग़ज़ल को प्रतिभाशाली गायक शकील अहमद ने अपने गायन से प्रस्तुत करते हुए उपस्थित मेहमानों को मंत्र-मुग्ध किया।
इस कार्यक्रम में शकील अहमद ने फरहत शहजाद, ममता किरण, लक्ष्मी शंकर बाजपेयी, आलोक श्रीवास्तव व सलाहुद्दीन हक अबुसरीम सरीम जैसे कवियों की नई ग़ज़लों को अपने अंदाज में प्रस्तुत किया, जिसके चलते यह शाम अपने आप में खास बन गयी।
कवियों व शकील अहमद की रचनाओं में वर्तमान समय के अनुभवों व हालातों पर चुटीले अंदाज में शेरो-शायरी पर श्रोताओं की वाह-वाही और भाव-विभोर करती ग़ज़ल का अनुभव अपने आप में जबरदस्त था। उन्होंने सभी उस्तादों की दो-दो ग़जलों को प्रस्तुत किया। जिनमें ‘ग़ज़ल नज़रे समा रह रहा हूं, दिलों पर बादशाहत कर रहा हूं..’, ‘घर का कायम है मगर…’, ‘मंजिलों पर नहीं है नज़र आजकल…’ आदि प्रमुख रहीं।
कार्यक्रम हेतु चुने गये पांचों कवि अपने सशक्त कला-कौशल हेतु जाने जाते हैं, जिसका नज़ारा उनकी रचनाओं में भरपूर देखने को मिला। सभी ने ग़ज़ल को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने हेतु
एक सराहनीय अंदाज में प्रयास किया।
बतौर कलाकार शकील अहमद ने अपने अंदाज व कला-कौशल से श्रोताओं दिलों पर अनूठी छाप छोड़ी है। रागदारी व साहित्य की समझ के साथ-साथ हिन्दी व उर्दू के शब्दों का पर्याप्त उच्चारण भी उनकी शैली की विशेषता है, जिसके चलते उनको सुनना एक खूबसूरत अहसास बना जाता है और हर गीत ऐसा लगता है मानो दिल से बात कर रहा है।
मौके पर डाॅ. मृदुला टंडन ने बताया कि ग़ज़ल का अपना अंदाज है, इसकी खूबसूरती समझना और बखूबी इसको प्रस्तुत कर पाना अपने आप में अद्भुत कला है। हमारा यह कार्यक्रम एक प्रयास है जहां हमारी कोशिश युवा पीढ़ी व अन्य को अपनी तहजीब व कला-संस्कृति से जोड़ने की है। यह वह कला है जो आपसी लगाव, प्यार व स्नेह की भावना जगाती है।
ग़ज़ल सम्राटों के बीच अपने लेखन की छाप छोड़ने वाले फरहत शहजाद ने कहा कि आज के माहौल में जहां हर जगह तनाव, हिंसा जैसी स्थिति है उसमें ऐसे कार्यक्रम अपना सशक्त योगदान दे सकते हैं क्योंकि यह सिर्फ संगीतमय मनोरंजक कार्यक्रम नहीं है, यह एक सोच, एक पहल है संस्कृतियों को प्रचारित करने की, इसकी समझ युवाओं के बीच पहुंचाने की। प्यार, स्नेह, छेड़छाड़, दिल को छूने वाला अंदाज कला के माध्यम से ही मिलता है और ऐसे प्रयास के लिए साक्षी व डाॅ. मृदुला टंडन बधाई के पात्र हैं।
मशहूर शायर आलोक श्रीवास्तव की ग़ज़लों को खूब सराहा गया। उनकी ग़ज़लों को आवाज़ देने वाले दिग्गजों में जगजीत सिंह, पंकज उद्धास तो शामिल हैं ही, उनके अतिरिक्त सदी के सबसे बड़े नायक अभिताभ बच्चन साहब की आवाज़ में भी इनके नगमें सुनने को मिले हैं।
फरहत शहजाद दुनिया के अकेले ऐसे शायर हैं जिन्हें संगीत की दुनिया की हर नामी हस्ती ने गाया है। मेहदी हसन साहब ने उनकी ग़ज़लों को लेकर 7 एलबम बनायी थीं। गुलाम अली, जगजीत सिंह, नुसरत फतेह अली खान जैसे कलाकारों के ये पसन्दीदा शायर रहे। इनकी शायरी से एक विश्व नागरिक की झलक मिलती है जो इन्सानी हदों और सरहदों से बहुत आगे बढ़ गया है।
ममता किरण वह शख्सियत हैं जिनके पास समकालीन परिस्थितियों को काव्य परिदृश्य में ढालने की प्रतिभा है और वे दिल को छू लेने वाली चुटकियों का बखूबी इस्तेमाल करने में सक्षम हैं। इसके अतिरिक्त उनके शब्दों का चयन पाठकों का ध्यान केन्द्रित करता है क्योंकि जो विषय विशेष वह चुनती हैं वह चर्चा हेतु पर्याप्त रहता है। आम व्यक्ति की भावनाओं, समकालीन पस्थितियों का भांपने व उनको शब्दों में पिरोना उनकी खास शैली है।
प्रख्यात कवि लक्ष्मी शंकर बाजपेयी भारत में ही नहीं वरन् अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया है। साहित्य जगत में वे किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं और उपमहाद्वीप में भी समकालीन कविता क्षेत्र में उनका सानी नहीं है। अलग-अलग काव्य प्रारूपों में संरचनात्मक तकनीकी के साथ उनकी शैली और शब्द प्रवाह विषय पर उनकी जबरदस्त पकड़ व समझ दर्शाता है।
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