व्यक्ति के व्यक्तित्व के लिए सर्वाधिक आवश्यक अवयव शिक्षा है। शिक्षा का प्रत्यय व्यक्ति में अनुशासन, लक्ष्य के प्रति संकेंद्रण/ सांद्रता ,कार्यक्षमता और कार्य के प्रति उत्सुकता/ जुनून को उत्पन्न करता है। देश को विकसित भारत का चरित्र प्रदान करने, देश की शासकीय व्यवस्था एवं प्रशासनिक विकेंद्रीकरण को सफल बनाने एवं देश की किस्मत बदलने की क्षमता शिक्षा में ही है। आज 21 वीं शताब्दी का भारत जिन लक्ष्यों, उद्देश्यों एवं विचारधारा को लेकर आगे बढ़ रहा है उसमें हमारी शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण उपादेयता है।
विद्या के लिए विमर्श( वाद +प्रतिवाद=संवाद) आवश्यक होता है। शिक्षा के लिए संवाद आवश्यक है, क्योंकि संवाद के मंथन से शिक्षा का अमृतरूपी सारतत्व प्राप्त होता है ।शिक्षा का वही मॉडल /प्रतिदर्श सफल होता है जिसमें प्राचीनता और आधुनिकता (अर्वाचीन) का संगम हो। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ,2020 को देश भर के बुद्धिजीवी अकादमिक जगत के मनीषी और विद्वान ने शिक्षा नीति को एक मिशन के रूप में लिया है। भारत के जन सामान्य ,शिक्षक, एकेडमिक और बुद्धिजीवी ने राष्ट्रीय शिक्षा के क्रियान्वयन और फलीभूत करने में कर्तव्य बोध का भाव दिखाया ,आत्मसमर्पण प्रस्तुत किया और खुले मन से नए विचारों, नूतन प्रत्यय और नए विज्ञान को स्वीकार करने का आत्मीय साहस प्रदान किया ,वह वास्तव में मन और आत्मा को अभिभूत करने वाला है और व्यक्ति के लिए नया ऊर्जा और नया विश्वास पैदा करने वाला है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति ,2020 में परंपरागत ज्ञान से लेकर भविष्योन्मुखी ज्ञान के मध्य संतुलन बनाए गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उपादेयता से विद्यार्थी, शिक्षक और राजनीतिक व्यक्तित्व सर्व परिचित है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति ,2020 नए जोश के साथ 10+2की जगह अब 5+ 3+ 3 + 4 की शिक्षा प्रणाली को विकसित किया है। पढ़ाई की शुरुआती उम्र पांच की बजाय तीन कर दिया गया है। इस प्रयोग से संपूर्ण देश में एकरूपता का माहौल बन रहा है, जिससे विद्यार्थी के संज्ञानात्मक विकास को बल दिया जा रहा है।अब संपूर्ण देश में सीबीएसई स्कूलों में एक तरह का पाठ्यक्रम तैयार कर रही है। तीसरी कक्षा से 12वीं तक की शिक्षाओं के लिए 130 विषयों की नई पुस्तकें आ रही हैं। सबसे बड़ी उपलब्धि है कि सभी पुस्तकें मातृभाषा में लिखित एवं इनको 22 भाषाओं में लिखा गया है।
(लेखक,दूरदर्शन समाचार में परामर्श संपादक हैं)