कामदगिरि प्रदक्षिणा प्रमुख द्वार से 3 किमी दूर और भरतकूप के सीधे रास्ते में खोही गांव से लगभग 2 किलोमीटर आगे श्री राम शैय्या एक पवित्र तीर्थ स्थल विद्यमान है। जो चित्रकूट से करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। खोही-भरतकूप मार्ग पर यह जगह कामदगिरि पर्वत से आगे हैं। रास्ते में सुंदर पहाड़ों का दृश्य देखने के लिए मिलते हैं। मंदिर मुख्य सड़क पर स्थित है। मंदिर के सामने कुआं बना हुआ है, जो प्राचीन है।
राम शैय्या पुरवा उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के चित्रकूटधाम ब्लॉक में एक छोटा सा गांव/टोला है। यह बिहरा पाल दाव पंचायत के अंतर्गत आता है। वैसे यह चित्रकूट मंडल ( बांदा)के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय चित्रकूट धाम से पश्चिम की ओर 33 किमी दूर तथा राज्य की राजधानी लखनऊ से 214 किमी दूर स्थित है। चित्रकूट धाम मण्डल में चार जिले अर्थात बांदा, हमीरपुर,चित्रकूट और महोबा शामिल हैं और इसका प्रशासनिक नियंत्रण मंडलायुक्त चित्रकूट धाम द्वारा किया जाता है।
चित्रकूट में भगवान श्री राम ने लगभग 12 वर्ष गुजारे थे. इस राम शैय्या स्थल में आज भी भगवान श्रीराम के शैय्या के चिन्हों के दर्शन मिलते हैं। यहां प्रभु श्रीराम और माता सीता रात्रि में विश्राम किए थे. राम जी के सम्मान में विन्ध्य पहाड़ी के पत्थरों ने अपनी कठोरता को त्याग कर दिया और मुलायम शैय्या बन गया था, जो गडढ़ेनुमा दबे हुए इन चिन्हों से प्रमाणित होता है।
मान्यता है कि चट्टान में बने उनके चिन्ह के दर्शन से भगवान श्रीराम के लोक की प्राप्ति होती है। यहां पर फैले एक चट्टान के बारे में कहा जाता है कि इसी चट्टान पर श्री राम जी और माता सीता जी रात के समय आराम किये थे। इस अज्ञात पहाड़ी के अंचल में हरे भरे खेतों के मध्य एक विशाल पाषाण शिला एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। जिस पर भगवान श्री राम जी और मां सीता के विश्राम के चिन्ह अंकित हैं। शिला पट्ट के पहले निशान की लंबाई 15 फीट और दूसरे की 11 फीट है। माना जाता है कि यहीं पर भगवान राम और माता सीता लेटते थे, जिसकी वजह से निशान बन गए हैं। उस शिला पर भगवान श्री राम जी के धनुष-बाण और जटाओं के भी निशान हैं । शिला के पीछे की तरफ श्री भरत लाल जी के द्वारा प्रणाम करने के निशान तथा भगवान श्री सीताराम जी के श्री विग्रह के निशान आज भी स्पष्ट दृष्टिगत होते हैं जिनके दर्शन करके श्रद्धालु तीर्थ यात्रियों के मन में सहसा ही एक भाव आता है कि मेरे प्रभु ने लोक कल्याण के लिए कितने कष्ट सहे थे।
राम जी और सीता जी के बीच में धनुष रखा जाता था। उस धनुष का चिन्ह भी चट्टान में देखने के लिए आज भी मिलता है। इसके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते
हैं। कहा जाता है कि आज भी भगवान श्री राम और माता सीता अदृश्य रूप में इस चट्टान में विश्राम करने आते हैं। कई बार लोगों द्वारा ऐसी छाया आकृति देखी भी गई है। जिससे यह माना जाता है कि भगवान श्री राम अभी भी यहां आते हैं।
यहां से लगभग 100 मीटर दूर सड़क पर कर एक अन्य पत्थर है जिसे लक्ष्मण चौकी कहा जाता है। भगवान राम और सीता जी की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण जी आज भी उसे चट्टान के पास पहरा देते हैं। इस सुन्दर शिला के सिहराने पर किनारे के तरफ अपना धनुष रखे हुए चिन्ह के रूप में देखे जा सकते हैं।
मनीषी जन कहते हैं कि राम शैया के दर्शन से जन्म का पातक नष्ट हो जाता है। इस पावन धाम के दर्शन से भगवान श्रीराम के लोक की प्राप्ति होती है। इस धाम में स्थित प्राचीन शिला पर आज भी प्रभु श्रीराम और देवी सीता के शयन के प्रमाण आज भी मौजूद है। दोनों के बीच मर्यादा रूपी धनुष की आकृति भी शिला पर बनी हुई है। इस शिला की परिक्रमा भी की जाती है। शिला के पास हनुमान जी और राम दरबार के विग्रह स्थापित है। यहां पर दिवंगत पूर्व महंत राम दास जी की समाधि भी बनी हुई है।
यहां के नव निर्मित राम दरबार मंदिर के पुजारी शिव प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि चित्रकूट का राम शैय्या स्थान बहुत ही पवित्र स्थान है। यहां वनवास काल के दौरान श्री राम और माता जानकी ने यहां विश्राम किया था। यहां अयोध्या की भाति और उसी समय में यहां भी 22 जनवरी 2024 को भगवान राम दरबार की मूर्तियों का प्राण प्रतिष्ठा करवाया गया ।
(लेखक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल, आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं। संपर्क 9412300183 )