Sunday, November 24, 2024
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गाँधी जयंती पर विविध आयोजन

कोटा। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर जिले के राजकीय कला महाविद्यालय के रामानुजन हॉल में स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत प्लोगिंन इंडिया कोटा की लांचिंग की गयी।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एडीएम सीलिंग एस.एन. आमेटा, अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय भार्गव, विशिष्ट अतिथि राजकीय महाविद्यालय के डॉ. जयंत विजयवर्गीय, सहायक निदेशक कॉलेज शिक्षा डॉ. रघुराज परिहार, नेहरू युवा केन्द्र के उपनिदेशक महेंद्र सिंह सिसोदिया, सम यज्ञदत्त हाड़ा और कोशिश एन.जी.ओ. के पंकज शर्मा रहे।

प्लोगिंन इंडिया कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि एसएन आमेटा ने कहा कि विकास प्रक्रिया में पॉलिथीन पर्यावरण की दुश्मन बनकर आ गई है। पृथ्वी को यदि बचाना है तो हमें सिंगल यूज प्लास्टिक के विरूद्ध एक व्यापक जन-अभियान चलाना है। इस अभियान में हर संस्था से 30 कि.ग्रा. सिंगल यूज प्लास्टिक अपने आस-पास से नगरीय क्षेत्र-ग्रामीण क्षेत्र से एकत्र करके प्रशासन को नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से सौंपना है। सहायक निदेशक डॉ. परिहार ने कहा कि प्लास्टिक पर्यावरण की सबसे बड़ी दुश्मन है। यह सैकडों साल तक नष्ट नहीं होती। अतः इसके विरुद्ध जन-चेतना का जागरण आवश्यक है।

उपनिदेशक महेंद्र सिसोदिया ने बताया कि यह कार्यक्रम संपूर्ण देश में लांच हो रहा है और इसमें युवाओं को इसलिए संलग्न किया गया है कि वह देश के प्रति, पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे। अंत में महाविद्यालय प्राचार्य ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि समाजसेवा एक बड़ी जिम्मेदारी है जिसका निर्वहन हम सब को करना चाहिए। हमें अपने घरों से इस कार्य को प्रारंभ करना चाहिए। उन्होंने छात्रों से आह्वान किया की 30 कि.ग्रा. प्लास्टिक एकत्र करना कोई मुश्किल काम नहीं है। जन सहयोग से इस कार्य को पूरा किया जा सकता है। एनएसएस के जिला समन्वयक डॉ. विवेक कुमार मिश्रा ने कहा कि जिले की सभी एनएसएस इकाईय इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़ कर भाग लेंगी इसका मुझे पूर्ण विश्वास है।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ.यशवंत कुमार, डॉ धर्म सिंह मीणा, डॉ.राहुल, डॉ. गजानन चर्पे, डॉ.राजेंद्र सिंह राजावत, डॉ. रामावतार मेघवाल, डॉ.फखरून्निसा, डॉ. चंचल गर्ग और डॉ रसीला के साथ ही संकाय सदस्य डॉ सुमन गुप्ता, डॉ.विवेक शंकर, डॉ. रविदत्त, डॉ. ममता सिंगल, डॉ. बसंत बामनिया, डॉ. हरि ओम वर्मा और स्वयंसेवक अबरार अहमद, गजेंद्र नागर, टीना राठौर, आसिफ अहमद, मनोज मीणा, तौसिफ और महफ़ूज़ आलम भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. विवेक कुमार मिश्रा और डॉ. फखरून्निसा ने कियाऔर धन्यवाद डॉ. जयंत विजयवर्गीय ने दिया।

कोटा विश्वविद्यालय के महात्मा गांधी पीठ के द्वारा गाँधी जयंती पर शीर्षक राष्ट्रपिता का शिक्षा दर्शन एवं नई शिक्षा नीति विषय पर 02 अक्टूबर 2021 को एक दिवसीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि कुलपति राजस्थान तकनीकी विश्विद्यालय प्रा.े आर.ए. गुप्ता ने नई शिक्षा नीति में श्रम व कौशल के समावेश से विद्यार्थियों को रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करने की नीतियों को गांधीजी के आत्मनिर्भर व स्वावलंबी अवधारणा से जोड़ कर प्रस्तुत किया। मुख्य वक्ता निदेशक राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी डॉ. बी.एल. सैनी ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पहलुओं पर गाँधी के सिद्धांत को बताते हुए चर्चा की एवं कई नीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता को उजागर किया।

विशिष्ट अतिथि पंकज मेहता ने विद्यार्थियों से सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ चरित्र निर्माण के साथ मौलिक, व्याहारिक ज्ञान को अपनाने एवं गाँधीजी के उसूलों को जीवन मे अपनाने की अपील की। अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति कोटा विश्वविद्यालय प्रो. नीलिमा सिंह के संदेश वाचन में गाँधीजी के सिद्धांतों को नई शिक्षा नीति के नींव के रूप में अपनाने की बात कही एवं गाँधीजी के मातृभाषा के प्रति लगाव, शांति, अंहिसा व आत्मनिर्भरता के आदर्शों को शिक्षा नीति का अहम भाग होना बताया। महात्मा गांधी पीठ की समन्वयक डॉ. श्वेता व्यास ने वेबिनार का संचालन किया एवं स्वागत भाषण दिया। कुलसचिव डॉ. आर.के. उपाध्याय ने गाँधी धन्यवाद ज्ञापित किया।

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शनिवार को को राजस्थान उपभोक्ता संरक्षण समिति के कार्यालय पर गोष्ठी कर राष्ट्रपिता को याद किया गया। इस गोष्ठी में शामिल हुए युवाओं, छात्र-छात्राओं ने विचार रखे। माना कि महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलकर तरक्की और खुशहाली लाई जा सकती है। सभी ने बापू के आदर्शों को जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया। कार्यक्रम में पार्षद सलीना शेरी ने कहा कि हमारा देश गुलाम था। अंग्रेज यहां व्यापार करने के बहाने आए और फिर राज करने लगे। उनका अत्याचार जब हद से बढ़ गया तो आजादी की जंग शुरू हुई। इसमें महात्मा गांधी ने अहम भूमिका निभाई। उन्होने अहिसा का रास्ता अपनाया। आखिर में गांधी जी के अंहिसा आंदोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। हमें भी अहिसा के मार्ग पर चलना चाहिए।
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