Sunday, November 24, 2024
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विलायत में शाकाहारी खाना : बाबूजी ज़रा धीरे चलो

बोर्नमाथ इंगलैंड के दक्षिणी तट का छोटा सा समुद्री तट से सटा शहर है जिसकी कुल जन-संख्या दो लाख से भी कम है . लेकिन काफ़ी दूर तक फैले रेतीले समुद्री तट के कारण दूर दूर के पर्यटकों को आकर्षित करता है .

बोर्नमाथ का समुद्र तट देखने हम भी पहुँचे , दो दिन फ़िरंगी खाना खाते खाते दिल ऊब गया, हम लोग शाकाहारी हैं और जिस किसी रेस्टौटेंट में शाकाहारी और मांसाहारी दोनों क़िस्म का खाना पकता है वहाँ का शाकाहारी भी खाते हुए पता नहीं क्यों अजीब सा लगता है . तभी किसी मित्र ने एक भारतीय शाकाहारी रेस्टौटेंट के बारे में सुझाया, नाम था बाबूजी किचन ! यह क्राइस्ट चर्च रोड पर स्थित है .

जब हम रेस्टौटेंट पहुँचे तो पता चला कि यह पूर्णतः शाकाहारी है . प्रवेश करते ही वहाँ मेरठ , मुज़्ज़फ़रनगर या फिर मुरादाबाद के ख़ालिस ताऊ का बड़ा सा पोस्टर लगा हुआ था . दूसरी बात , जिस बालीवुड को आज कल गरियाने का कंपीटिशन चल रहा है उसी के नए पुराने पोस्टरों से इसकी दीवारों को सजाया हुआ था .

खाने की बात करें तो खाने में तंदूरी रोटी देखने में वैसी ही थीं जैसी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ढाबों पर होती हैं यानी गरम गरम और मक्खन में लिपटी हुई , खाने में एक दम करारी करारी. अगर मेन्यू की बात करूँ तो बात काफ़ी लम्बी हो जाएगी , पर ज़्यादातर आइटम का विवरण से तो ऐसा ही लग रहा था जैसे अपने किसी गाँव की घूँघट वाली ताई की रसोई से सीधे सीधे आ रही हों . एक डिश का विवरण बड़ा रोचक लगा, नाम था आर्युर्वेदिक वेज़्ज़ी, इसमें मटर और कौरगेट् को ताज़ा ताज़ा नारियल में पकाया हुआ था , इसमें सरसों के पिसे बीज और करी पत्ते का ज़बरदस्त तड़का लगा हुआ था . दाल मखनी ज़्यादा मखनी नहीं थी , पनीर की सब्ज़ी एक दम सादा सादा थी , ढाबे जैसी प्याज़ लहसुन की ग्रेवी नहीं दिखी एकदम घर जैसी लगी . गाजर हलवा भी घर जैसा ही था बस उसके ऊपर वनीला आइसक्रीम का स्कूप रख दिया था . उत्तर भारतीयों को कुछ न कुछ मुफ़्त खाने को मिले तो आनंद बढ़ जाता है इसलिए बासमती चावल का बोल एक दम फ़्री . बाबूजी क्योंकि देश के बाहर हैं इसलिए उनका भोजन स्थानीय रेस्टौटेंट के मुक़ाबले महँगा था .

अब बाबूजी विलायत में हैं थोड़ा रंग ढंग विलायती भी अपनाया हुआ है , यानी दारू का भी पूरा बंदोबस्त किया हुआ , लेकिन बाबूजी काफ़ी सारे सारे नशीले पेय बोटैनिकल स्रोत से बने हुए ही पेश करते हैं.

कुल मिला कर बाबूजी में खाने पीने का अनुभव अच्छा है इसलिए फ़िरंगी लोग भी यहाँ खाना खाने आ ही जाते हैं .

(लेखक लंदन में हैं ओर वहाँ से भारतीयों से जुड़े मुद्दों पर नियममित रूप से लिखते रहते हैं)

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