राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस 24 अप्रैल पर
लोग इंतजार करते थे गुरुवार का। उनकी ग्राम पंचायत पर खुल गया था मिनी ग्राम सचिवालय। सरपंच, उप सरपंच, वार्ड पंच, ग्राम सेवक और पटवारी सब बैठते थे । साथ ही बिजली, पानी, सिंचाई,कृषि, स्वास्थ्य, महिला एवं बाल विकास, वन आदि विभागों के स्थानीय और जिला स्तर के अधिकारी और कर्मचारी। समस्या कैसी भी कहने और समाधान का एक मंच इस दिन उन्हें मिलता था। किसी कार्यालय और अधिकारी के बार – बार चक्कर काटने के झंझ्ट से निजात।
ग्राम पंचायत के इस मिनी सचिवालय में लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे, बताते और समाधान पाते। हाथों हाथ हल होने वाली समस्याओं को उसी समय समाधान कर दिया जाता और जिनमें समय लगने की सम्भावना होती उनके लिए समयबद्ध निराकरण का प्रयास किया जाता। लोग अचरज में थे इस व्यवस्था को देख कर और खुश भी की उनकी फ़रियाद सुनी भी जा रही है और राहत भी मिल रही है।
वृद्ध,विधवा,निशक्त,परित्यकता को पेंशन मिलने लगी। जमीन और खेत सम्बन्धी समस्याएं जो लंबे समय तक दूर नहीं होती थी हाथों हाथ होने लगी। भूमि की पैमाईश हो, खाते का नामांतरण और विभाजन हो, जमाबनदी की नकल लेनी हो या अन्य समस्या गायब रहने वाले पटवारी को ढूंढने और चक्कर लगाने नहीं पड़ते थे। बिजली नहीं आने, ट्रांसफार्मर जलने, खाद – बीज नहीं मिल रहा हो, राशन की तकलीफ, पात्र व्यक्ति को किसी भी सरकारी योजना में लाभ नहीं मिल रहा हो, बीमार का इलाज नहीं हो रहा, आंगनबाड़ी पर पोषाहार को व्यवस्था में अनियमितता हो, अतिक्रमण का मामला हो ,हैंडपंप खराब हो नया लगाना हो, कीचड़ की परेशानी, भ्रष्टाचार की बात हो जैसी कई व्यक्तिगत और सामुदायिक समस्याओं का समाधान होने की राह निकलने लगी। अधिकारी मौका मुआयना कर कार्रवाई करते और अपनी रिपोर्ट शाम तक देते।
ज्यादा से ज्यादा लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिले वह योजनाओं के बारे में जाने इसके लिए सभी विभागों की योजनाओं के सम्पूर्ण विवरण एवं उनके आवेदन फार्म के साथ एक पुस्तक बनवा कर प्रत्येक ग्राम पंचायत पर रखी गई। लोग को इससे बड़ा लाभ हुआ। वो योजनाओं को जान कर उनका लाभ लेने लगे। परेशानी से घिरे लोग जब लौटते तो उनके चेहरों पर संतोष का भाव साफ दिखाई देता था। पंचायत के विभिन्न विकास कार्यों के प्रस्ताव भी लिए जाते और उन्हें गांवों की बनने वाली विकास योजना में शामिल किया जाता।
पंचायती राज को सशक्त बना कर लोगों को अच्छे राज का अनुभव कराने के लिए किए गए इन प्रयासों की यह कहानी है राजस्थान में कोटा जिले की जब करीब दस वर्ष पूर्व टी.रविकांत यहां के जिला कलेक्टर हुआ करते थे। आज जब की पंचायती राज दिवस मना रहे हैं उनके ये नवाचार स्मरण हो आता है। व्यवस्था की वे स्वयं गहन निगरानी करते और जिला स्तर से प्रत्येक पंचायत समिति के लिए वरिष्ठ और अनुभवी प्रशासनिक अधिकारी को प्रभारी बनाया गया। सभी विभागों के जिला स्तरीय अधिकारियों को ग्राम सचिवालय में पहुंचना अनिवार्य किया और वे अपना प्रतिवेदन उन्हें प्रस्तुत करते थे। बतौर जन सम्पर्क अधिकारी इस सफल नवाचार में उनके साथ सक्रिय रूप से जुड़ कर कार्य करने का मौका मुझे भी मिला।
ग्राम सचिवालय की इतनी प्रभावी क्रियान्विति और बेहतर परिणाम देख कर सांगोद के विधायक भरत सिंह इतने प्रभावित थे कि जब वे ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के मंत्री बने तो पूरे राज्य में उन्होंने यह व्यवस्था लागू कर दी। पूरी निष्ठा, लग्न,ईमानदारी के साथ ऐसे ही नवचार हो तो देश में हमारी पंचायत राज के सपने सही मायनों में साकार हो सकते हैं।
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( लेखक पत्रकार और पूर्व जनसंपर्क कर्मी हैं)
Mob 9928076040
कोटा, राजस्थान