महोदय,
बड़ा दुखद समाचार है कि फ़िरोज़ाबाद में ईद के दिन )नमाज के अवसर पर हमारे महापुरुष स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा व एक अन्य साहित्यकार पयं बनारसी दास चतुर्वेदी की प्रतिमा को वहां के ही प्रशासन द्वारा ढका गया । भारत में अगर अपने ही महापुरुषो की प्रतिभा को किसी उत्सव पर ढकने का काम प्रशासन करेगा तो क्या यह उन महापुरुषो का अपमान नहीं होगा ? हम अपने ही देश में एक सम्प्रदाय विशेष के लिए क्योंकर इतने उदार हो जाते है।जबकि वे हमारी धार्मिक भावनाओं का निरंतर अनादर करके हमारा उत्पीड़न करते रहते है।आज जबकि सड़को को घेरकर नमाज पढना उच्चतम न्यायालय के अनुसार प्रतिबंधित है फिर भी वे मुख्य मार्गो को घेर कर आवागमन बाधित करते है। इस अवसर पर विशेषतौर पर पशुओ व गायो की बलि भी लाखों स्थानों पर खुलेआम की गई , क्यों ? क्या गायों आदि पशुओं की सार्वजनिक स्थानों पर हत्या करके हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुचा कर किसी अप्रिय घटना की कुचेष्टा तो नहीं थी?
परंतु सारा देश अपमानित होता रहें और वे गौ काटते रहे,सड़क घेर कर नमाज पढते रहे,वन्देमातरम् का विरोध करें,पाकिस्तान व आई एस के झंडे लहरा कर पाकिस्तान की जय और जिसका अन्न खाओ उसी देश के मुर्दाबाद के नारे लगाये तो क्या यह मुस्लिम तुष्टिकरण का अतिवाद नहीं ?
कब तक राष्ट्रवादी समाज अपमानित व ठगा जाता रहेगा ? सबको समझना होगा छोटी छोटी घटनायें समझ कर उसकी अवहेलना आत्मघाती हो रही है।इसी प्रकार की नित्य होने वाली छोटी छोटी घटना धीरे धीरे विकराल रुप ले लेती है और दीमक के समान अंदर से सब कुछ खोखला करते हुए अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहती है ।आज जो इस्लाम दुनिया को अपने झंडे के नीचे लाने के लिए विश्व शान्ति के लिए एक बहुत बड़ा संकट बन गया है वह क्योंकर अपने लक्ष्य से भटकेगा ? आज भटक तो हम रहें है जो अपने धर्म से दूर होते जा रहें है और आत्म समर्पण से आत्ममुग्ध हो रहें है। ‘साचो और समझो’ मुगलकालीन बर्बरता के इतिहास की पुनरावृति से बचो क्योकि इस्लामिक स्टेट ने 2020 तक भारत को मुस्लिम देश “खुरासान” बनाने की चेतावनी दे रखीं है।
अतः प्रशासन को सावधान रहना होगा और साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए एक ही समुदाय को अनेक प्रकार से प्रसन्न करके दूसरे की उपेक्षा करके उसे निराश व हताश होने से बचाना होगा, नहीं तो कभी भी स्थिति विस्फोटक हो सकती है।
विनोद कुमार सर्वोदय
नया गंज, गाज़ियाबाद