नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान उच्चायोग में पाकिस्तान दिवस के कार्यक्रम से लौटने के बाद विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने लगातार कई ट्वीट करके इस कार्यक्रम में शामिल होने पर 'सफाई' दी और अपनी 'खीज' निकाली।
हालांकि अपने एक ट्वीट में उन्होंने ये भी कहा कि ये उनका कर्तव्य था जिसे करने के लिए वो बाध्य थे। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान उच्चायोग ने अलगाववादी नेता मसरत आलम को भी आमंत्रित किया था लेकिन मसरत ने तबियत खराब होने की बात कहकर कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया था।
उधर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह के लगातार ट्वीट्स को लेकर ट्विटर पर जबर्दस्त प्रतिक्रियाएं हो रही हैं। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लिखा है, “ये उम्मीद करना कितना बेतुका है कि वीके सिंह पाकिस्तान के राष्ट्रीय दिवस समारोह में न जाते।
ऐसे कूटनीतिक मौकों पर जाना बतौर विदेश राज्य मंत्री उनका काम है।”वहीं पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा है, “क्या वीके सिंह इस सरकार में पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने सरकार से अपनी असहमति दिखाई है। और इस बार भी ट्विटर पर।”
जबकि कांग्रेस नेता मनीष तिवारी कहते हैं कि यदि वीके सिंह को इतनी ही शर्मिंदगी महसूस हो रही है तो उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। मनीष तिवारी ने ये भी लिखा है कि पहले कई मंत्री पाकिस्तान उच्चायोग के के आयोजनों में जाने से इनकार कर चुके है।
वहीं एक यूज़र अर्षित पाठक ने वीके सिंह और मनीष तिवारी दोनों के ट्वीट्स पर टिप्पणी की है और लिखा है, "वीके सिंह की नाराज़गी उनका कर्तव्य है जबकि मनीष तिवारी का काम ही नाराज़ होना है।"
पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन ने भी वीके सिंह के ट्वीट्स पर आश्चर्य जताया है कि और कहा है कि यदि वो अपनी इच्छा से नहीं गए तो उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
जे अंबादी अपने अकाउंट पर लिखते हैं, "नाराजगी को ट्विटर पर लाने में वीके सिंह को एक घंटा लग गया और बाद में इसका दोष उन्होंने मीडिया पर मढ़ दिया।"