शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष वसीम रिजवी ने आज इस्लाम धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म अपना लिया। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में डासना देवी मंदिर शिव शक्ति धाम के महंत यति नरसिम्हा नन्द गिरि महाराज ने वसीम रिजवी को सनातन धर्म की दीक्षा दिलाई। वसीम रिजवी ने जितेंद्र नारायण नाम से हिंदू धर्म ग्रहण किया है। रिजवी ने कहा कि जब मुझे इस्लाम से निकाल ही दिया गया तो फिर ये मेरी मर्जी है कि मैं कौन सा धर्म स्वीकार करूं। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पहला धर्म है, जिसमें सबसे ज्यादा अच्छाइयां है। उन्होंने कहा कि वह इस्लाम को धर्म समझते ही नहीं है। मुस्लिम संगठनों द्वारा फतवों पर रिजवी ने कहा कि जब हमको इस्लाम से निकाल दिया गया और हर जुमे की नमाज के बाद हमारा और महंत नरसिंहानंद गिरी जी के खिलाफ सर काटने के फतवे दिए जाते हैं और इनाम बढ़ाया जाता है तो ऐसी स्थिति में हमको मुस्लिम कहे, हमको खुद शर्म आ रही है।
वसीम रिजवी बीते दिनों कई बयानों के कारण सुर्खियों में रहे हैं। इसके अलावा तब सबसे ज्यादा सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने कुरान की आयतों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। इसके बाद वसीम रिजवी के खिलाफ कई अल्पसंख्यक संगठनों ने उनका विरोध किया। साथ ही वसीम रिजवी की किताब को लेकर बीते दिनों का विवाद हो चुका है। वसीम रिजवी के हिंदू बनने का बड़ी संख्या में हिंदू धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है।
वसीम रिजवी अपनी वसीयत में लिख चुके हैं कि मरने के बाद उन्हें दफनाने की बजाय हिंदू रीति-रिवाजों से उनका अंतिम संस्कार किया जाए। हालांकि मुस्लिम समुदाय का कहना है कि इसका इस्लाम और शिया से कोई लेना-देना नहीं है। कुछ दिन पहले वसीम रिजवी ने एक वीडियो भी जारी किया था, जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी हत्या की साजिश रची जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया था कि कट्टरपंथी संगठन के लोग उनकी गर्दन काटना चाहते हैं। वसीम रिजवी हमेशा ही कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं क्योंकि वह लगातार इस्लाम धर्म में सुधार की बात उठाते रहे हैं।