उज्जैन। मध्य प्रदेश के लोकनिर्माण एवं उज्जैन के प्रभारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि उन्होंने कहा देश की नदियां देवियों के समान है और गंगा तो हम सबकी मां है। इसलिए ऐसी पवित्र मां से झूठ नहीं बोलना चाहिए। वह राष्ट्रीय जल सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जैसे हम लोग भी क्षिप्रा नदी का प्रदूषण दूर नही कर पाये जिसके लिए हम सभी दोषी है जिसको हम सार्वजनिक तौर पर स्वीकार्य भी करते है। आज हमने इंजीनियरों से कहा है कि मुख्यमंत्री से बात कर अन्य विभागो के बजट में कटौती ही क्यों ना करनी पडे लेकिन हम छिप्रा को अविरल और निर्मल बनाकर रहेगे। उन्होंने कहा कि जल पुरूष के मन में नदियों की दुर्दशा को देखकर जो ज्वाला भभक रही है वो उन्हें आधुनिक भारत का भागीरथ बनाती है। हम सबको उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए।
जल पुरूष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि इस देश में नदियों के साथ जो अन्याय हुआ है वह 21वी सदी के लिए सबसे बडा संकट है आज नदियों को हम माई कहते है लेकिन उनसे कमाई करते है। यह नदियों के साथ एक धोखा है। 111 दिन तक गंगा की अविरलता करते हुए इस देश के प्रख्यात वैज्ञानिक एवं संत प्रो0 जी0डी0 अग्रवाल को प्रशासनिक उपेक्षा और समाज की उदासीनता के कारण अपने को बलिदान करना पडा। इस देश में नेताओ ने जनता के साथ धोखा किया है सबसे ज्यादा धोखा नदियों को दिया है। उन्होने कहा कि देश के 101 नदी घाटी के लोग यहां पर उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर एकत्र हुये है जो अपने-अपने इलाके मेें नदी पुनर्जीवन के लिए प्रयासरत है इनके द्वारा किये गये प्रयास से उज्जैन नगर के लोग सीख लेगे और क्षिप्रा और आस-पास की नदियों को अविरल और निर्मल बनाने का कार्य शुरू करेगे। इसके लिए में भी हमेेशा साथ खडा रहूगा।
जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि सम्मेलन का उददेश्य नदियों पर कार्य करने वाले देश के सभी पर्यावरणविदों को एक मंच पर लाना है। समाज और सरकार के सहयोग से नदिया कैसे अविरल हो सकती है, इसके लिए सामूहिक पहल प्रारम्भ करना इस कार्यक्रम का उददेश्य है। क्षिप्रा सहित देश की 101 नदियों को अविरल बनाने के लिए जल जन जोडो अभियान सक्रिय है।
जल बिरादरी के संयोजक, कृष्णा नदी पुनर्जीवन पर कार्य करने वाले सत्यनारायण जी ने कहा कि नदियों को सरकारे प्रदूषित कर रहे है रिवर फ्रेंट डेवलेपमेंट के नाम पर अतिक्रमित और प्रदूषित कर रही है। इसकी लडाई उन्होंने अपने राज्य मेें अमरावती शहर के राज्य राजधानी क्षेत्र के निर्माण पर लडी, नदियों का खनन राजनेताओं की कमाई का जरिया है।
गोदावरी नदी से आये राजेश पंडित ने कहा कि उन्होंने गोदावरी बचाने का सामूहिक प्रयास किया है और इस प्रयास में उनको न्यायिक सहयोग भी मिला है। नासिक और उज्जैन का आपस में बहुत गहरा रिश्ता है जहां हर 12 वर्ष में कुम्भ का आयोजन होता है। जहां करोडों लोग आते है ऐसे स्थानों को अविरल एवं निर्मल रखना समाज की जिम्मेदारी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. बालकृष्ण शर्मा ने की उन्होंने कहा कि नदी की पहचान उसके नाद से होती है नाद का मतलब स्वर है। जो नदी कल-कल आवाज के साथ बहती है वही नदी अविरल और निर्मल होती है। मानव के लालच ने नदियों से यह अविरलता एवं निर्मलता छीन ली है। सृष्टि जल के बिना संभव और जीवन भी जल के बिना संभव नहीं है विनाश भी जल के अभाव मेे होगा।
सुबह उज्जैन नगर में क्षीरसागर से झालरिया मठ तक जल यात्रा का आयोजन किया गया, जिसमेें देशभर से नदी पुनर्जीवन पर कार्य करने वाले कार्यकर्ता, गायत्री परिवार के सदस्य, एन. सी. सी. एवं एन. एस. एस. के कैडिट समेत लगभग 2000 लोगों के द्वारा सहभागिता की गयी।
कार्यक्रम का संचालन डॉ.नलिनी लंगर ने किया, इस अवसर पर छतरपुर की पुनिया बाई, टीकमगढ की किरन ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर रंजन धीगरा, रविप्रकाश लंगर, आर जे पाठक, असलम लाला, सजेन्द्र खरात, रमेश शर्मा, पुरूषोत्तम वशिष्ठ, कमल भुराडिया, अनिल शर्मा, रामकृष्ण शुक्ला, सुधीन्द्र शर्मा, विमल गर्ग आदि उपस्थित थे।