उदयपुर । पानी ,पेड़ , हरीतिमा एवं पहाडो को बचाने से ही पृथ्वी बचेगी । पृथ्वी का अस्तित्व बचाने के लिए झीलों, तालाबो, कुओ ,हरित क्षेत्र व पहाडियों को बर्बाद होने से रोकना होगा। उक्त विचार डॉ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा आयोजित संवाद में व्यक्त किये गये।
जल विशेषज्ञ डॉ अनिल मेहता ने कहा कि धरती को बचाना है तो पानी को बचाना है। उदयपुर में झीलों को प्रदूषित किया जा रहा है तथा पहाडो को कटा जा रहा है वन क्षेत्र नष्ट किया जा रहा है इससे उदयपुर का भविष्य संकट में नज़र आ रहा है।
चांदपोल नागरिक समिति के अध्यक्ष तेज शंकर पालीवाल ने कहा कि सिवेरेज के रिसाव से झीले व भूजल प्रदूषित हो रहां है .यह एक तरह से धरती की शिराओ जिनमे जीवनोपयोगी जल है उसमे ज़हर मिलाया जा रहा है।
गाँधी स्मृति मंदिर के सुशिल दशोरा ने कहा कि पहाडियों पर वृक्षारोपण किये बिना जल को बचाना मुश्किल है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिये मनुष्य को प्रकृति उन्मुख बनना होगा।
ट्रस्ट सचिव नन्द किशोर शर्मा ने कहा कि बढ़ते कार्बनिक उत्सर्जन को रोकना होगा। जल एवं पृथ्वी की अत्यधिक दोहन पर विचार करना होगा। खेती को प्रकृति उन्मुख बनाना होगा। गांधी जी ने कहा था प्रकृति के पास मनुष्य की जरुरत के लिए सब कुछ है किन्तु उसकी लालच के लिए कुछ नहीं। मानव की लालच ने पृथ्वी को बर्बादी के कगार पर ला दिया है।
पर्यावरण प्रेमी नितेश सिंह ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के मुहाने खड़ी दुनिया को बचाने की साझा कोशिश ही पृथ्वी बचाने में कारगर हो सकती है।
नितेश सिंह कछावा
कार्यालय प्रशाशक
पानी ,पेड़ , हरीतिमा एवं पहाडो को बचाने से ही बचेगी पृथ्वी
एक निवेदन
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