आजकल जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में ए.आई. का उपयोग किये जाने की चर्चा हो रही है तो स्वाभाविक रूप से हम सभी के मन में प्रश्न उठता है कि ये ए.आई या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या कृत्रिम बुद्धि वास्तव में है क्या और बुद्धि कृत्रिम कैसे हो सकती है?
हिंदी के कृत्रिम शब्द का अर्थ है बनावटी यानि जो मूल नहीं है नक़ल है, यही अर्थ आंग्ल भाषा के शब्द आर्टिफिशियल का भी है अतः स्पष्ट है कि कृत्रिम रूप से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता ही कृत्रिम बुद्धि अथवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस है जिसे संक्षेप में ए.आई कहते हैं। ए.आई. के माध्यम से कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्हीं तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिनके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आरम्भ 1950 के दशक में हुआ था इसका जनक जॉन मैकार्थी को माना जाता है उनके अनुसार ए.आई. बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात यह मशीनों में विकसित और मशीनों द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली अथवा मशीनों द्वारा प्रदर्शित की जाने वाली बुद्धि है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह बौद्धिक रूप से सोचने वाला सॉफ्टवेयर बनाने का एक तरीका है जो यह अध्ययन करता है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता है? आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले सिस्टम ने 1997 में शतरंज के सर्वकालिक महान खिलाड़ियों में से एक गैरी कास्परोव को खेल में हरा दिया था ।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर विशेषज्ञ ‘टेक्नोलॉजिकल सिंगुलैरिटी’ यानी तकनीकी एकलता जैसी स्थिति बनने का संकेत करते हैं। इसका तात्पर्य है भविष्य में ऐसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना की जाएगी, जो मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तीक्ष्ण होगी और यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है। अनुमान है कि 2045 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगी और इतनी तेज़ गति से सोचने, समझने और काम करने लगेंगी कि मानव विकास का पथ हमेशा के लिये बदल जाएगा।
भारत में केंद्र में भाजपा की सरकार आने के बाद ए.आई. के कार्य को गति मिली. वर्ष 2018-19 के बजट भाषण के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह उल्लेख किया था कि नीति आयोग जल्दी ही राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम (एन.ए.आई.पी.) की रूपरेखा तैयार करेगा। राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलॉजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डॉलर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट ऑफ थिंग्स, 3-D प्रिंटिंग और ब्लॉक चेन शामिल हैं। इसके अलावा सरकार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिंग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है।पिछले वर्ष अक्टूबर में केंद्र सरकार ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग करने के लिये 7-सूत्री रणनीति तैयार की थी जो भारत की सामरिक योजना का आधार तैयार करेगी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस भारत में अभी शैशवावस्था में है और देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जा सकते हैं। देश के विकास में इसकी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग लाभकारी हो सकता है जबकि सरकार ने उद्योग जगत से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये एक मॉडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है।
भारत सरकार सुशासन की दृष्टि से सभी संभव स्तरों पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रयोग के लिए आगे बढ़ रही है । आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के प्रमुख अनुप्रयोगों में से एक है ए.आई. परिचय जो विभिन्न प्रकार के पहचान पत्रों के मिलान तथा सत्यापन में सहयोगी है वही एक अन्य अनुप्रयोग ए.आई. वाणी है जो मेघराज क्लाउड के माध्यम से सेवाओं को एक मंच पर लाकर चैटबॉट्स, वॉयस बॉट और ट्रान्सलिटरेशन जैसी सेवाएं प्रदान करता है। एनआईसी ने 20 चैटबॉट जैसे ई-वे बिल, आरटीओ, कंज्यूमर फोरम, आई खेडुत, मेघालय कोविड-19 आदि की सुविधा प्रदान की है। उनमें से कुछ विभिन्न मंत्रालयों/विभागों और राज्यों में विभिन्न योजनाएं के लिए बहुभाषी और 8 द्विभाषी वॉयस सपोर्ट सेवाएं जैसे पीएम-किसान, पीएम-कुसुम, आईवीएफआरटी आदि हैं।
एनआईसी ने कुछ परियोजनाओं के लिए मॉडल की सुविधा प्रदान की है जैसे कि स्वच्छ भारत शहरी में स्वचालित टॉयलेट सीट के लिए स्वच्छता मोबाइल ऐप और जियो टैग्ड टॉयलेट इमेज में लाभार्थी का पता लगाना, इसी तरह के मोटर दुर्घटना दावा याचिका मामले के लिए संज्ञानात्मक खोज आदेश, निचली न्यायपालिका में ई-न्यायालय, पिछले अंकों के आधार पर कला, विज्ञान और वाणिज्य विषयों के लिए सीबीएसई बारहवीं कक्षा की परीक्षा में छूटे हुए छात्रों के लिए अंकों का आँकलन।
ए.आई. की उपयोगिता को देखते हुए, प्रदेश के विकास के लिए प्रतिबद्ध तथा प्रदेश को एक ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस क्षेत्र के लिए लघु तथा दीर्घकालीन योजना बनाने पर बल देते हुए आगामी पांच वर्षों में प्रदेश की राजधानी लखनऊ को पहला ए. आई. सिटी बनाने को कहा है।
जिस तरह से कृत्रिम बुद्धि वाली मशीनों और उनकी कार्यक्षमता की चर्चा हो रही है उसे सुनकर कई बार यह प्रश्न भी उठता है कि क्या मशीनें भविष्य में मानव कार्यबल का स्थान ले लेंगी? फिर मनुष्य जीवन कैसा हो जायेगा? इस क्षेत्र में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों का मत है कि मशीनें कभी भी मानव मस्तिष्क का स्थान नहीं ले पाएंगी.