महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले का खर्डी गाँव, जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज की पूज्य माताजी जीजाबाई की समाधि है उस गाँव व आसपास के गाँवों की दशा व दिशा बदलने का संकल्प लिया है नवी मुंबई की मंजूषाजी, बेलापुर के अजय जी व मुंबई के श्री संजय पटेल ने।
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नवी मुंबई की मंजूषा जी महाराष्ट्र के रायगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की छोटी छोटी समस्याओं का निराकरण करने के लिए कोशिश कर रहे थे। बेटर सोसायटी फाउंडेशन से शुरु हुई उनकी यात्रा ने एक नया मोड़ ले लिया और वे गोविंदाचार्य जी के भारत विकास संगम तक जा पहुँची। यहाँ उनकी मुलाकात बेलापुर के अजय जी से हुई जो इटर्नल हिंदू फाउंडेशन के माध्यम से रायगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे थे। फिर उनकी मुलाकात संजय पटेल से हुई तो उन्हें काम करने का हौसला ही नहीं मिला बल्कि उनकी दिशा ही बदल गई। आज मंजूषा जी और अजय जी दोनों ही रायगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में सक्रिय रूप से कार्य ही नहीं कर रहे हैं बल्कि यहाँ के लोगों और बच्चों को एक नई दिशा भी दे रहे हैं।
संकल्प और समर्पण क्या होता है ये मंजूषा जी और अजय जी से सीखना चाहिए। मंजूषा जी खुद मार्केटिंग में एमबीए है और नवी मुंबई में कोचिंग क्लास चलाती थी। उनकी क्लास में संपन्न व मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे पढ़ने आते थे, लेकिन उनकी टीस थी कि गरीब बच्चों को इसमें कैसे जोड़ा जाए। फिर उन्होंने कोशिश करके गरीब बच्चों को पढ़ाने की कोशिश की तो उन्हें बच्चों के माध्यम से बच्चों की और उनके गरीब माता-पिता की समस्याओं के बारे में जानकारी मिली, इसके बाद मंजूषा जी ने अपने काम की दिशा ही बदल दी। इन गरीब बच्चों से बातचीत के दौरान उन्होंने महसूस किया कि अगर बचपन में ही इन बच्चों को ढंग का शिक्षक नहीं मिला तो इनके जीवन की गाड़ी पटरी से उतर सकती है। शिक्षा इनके जीवन में कितनी महत्वपूर्ण है ये बात इन बच्चों को पता ही नहीं थी। इसी दौरान उनकी मुलाकात बेटर सोसायटी फाउंडेशन की नीती गोयल से हुई। नीति गोयल और उनके पति अपने सीमित संसाधनों के साथ स्कूलों में जाकर गरीब बच्चों को पढ़ने के लिए आवश्यक किताबों के साथ ही अन्य मदद करते थे। लेकिन कोरोना के बाद हुए लॉक डाउन से स्कूल बंद हो जाने पर उनका अभियान ठंडा पड़ गया। इसी बीच मंजूषा जी ने रायगढ़ जिले के खर्डी गाँव में अपना फार्म हाउस और गौशाला बनवा ली। यहाँ उन्होंने जब बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला शुरु किया तो देखा कि बच्चों की रुचि पढ़ने में नहीं बल्कि काम करने में है। उन्हें ये देखकर आश्चर्य हुआ कि पढ़ने व खेलने-कूदने की मासूम उम्र में भी बच्चे काम करना चाहते हैं। समस्या की गहराई में गई तो पचा चला कि इन बच्चों के घरों में इतनी गरीबी है कि माँ-बाप इनके खाने लायक ही कमाई नहीं कर पाते हैं, पढ़ाई का तो ये सपना भी नहीं देखते।
इन बच्चों के माध्यम से वो इनके माँ-बाप तक पहुँची और इसके साथ ही समस्या की ज़ड़ तक भी। श्री संजय पटेल ने कहा कि इन ग्रामीणों को प्रशिक्षण देन के लिए कोई केंद्र शुरु करना होगा। इसके बाद उन्होंने गाँव की महिलाओँ को अपने साथ जोड़ा। सात महिलाओँ को सिलाई मशीन देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम किया। तीन डिज़ाईन मशीन देकर उन्हें डिज़ाईनिंग का काम सिखाया। इन महिलाओं ने लॉकडाउन में मास्क बनाकर 300 से 400 रुपये रोज कमाना शुरु कर दिया। आज ये काम बीस तीस महिलाएँ मिल कर रही है।
यहीं उनकी मुलाकात गाँव की महिला विद्या से हुई। विद्या ने ग्रामीण महिलाओं को जोड़कर बैंक में बचत समूह बनवाए हैं। विद्या के माध्यम से वे क्षेत्र की 100 महिला बचत समूहों से जुड़ चुकी है। इस कार्य में भारत विकास मंच के श्री संजय पटेल उनका हौसला ही नहीं बढ़ा रहे हैं बल्कि उनका मार्गदर्शन भी कर रहे हैं।
मंजूषा जी और अजय जी ने महसूस किया कि ये ग्रामीण लोग नमक और चावल के लिए ही संघर्ष कर रहे हैं। इनमें आत्मविश्वास पैदा करने के लिए मंजूषा जी ने संजय पटेल जी के माध्यम से इन लोगों तक घर का राशन देने का सिलसिला शुरु किया। पिछले दिनों भारी बारिश के बीच संजय पटेल, मंजूषा जी और अजय जी खर्डी गाँव पहुँचे और 120 ग्रामीण परिवारों को एक महीन का राशन दिया। जिसमें गेहूँ, चावल, शकर, तेल, दाल जैसी सामग्री थी। इस राशन का प्रबंध संजय पटेल जी ने मुंबई के समाज सेवी श्री सुशील सिंघानिया जी की सहायता से किया।
इसके बाद श्री संजय पटेल ने बचत समूह महिलाओँ से सीधा संवाद कर उन्हें बताया कि छोटे छोटे कामों के माध्यम से वे कैसे खुद की और अपने गाँव की आर्थिक स्थिति बदल सकती है। महिलाओं के लिए ये जानकारी चौंकाने वाली तो थी ही इससे उनमें आत्मविश्वास भी पैदा हुआ। बैठक में एक महिला ने अपने मंदिर की समस्या को लेकर बात की और कहा कि मंदिर में शेड नहीं होने की वजह से बहुत समस्या आ रही है। संजयजी, अजयजी और मंजूषा जी के प्रयासों से मंदिर की इस समस्या का निराकरण तो हुआ ही 8 जुलाई को मंदिर में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन भी होने जा रहा है। इस अवसर पर यहाँ वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी रखा गया है। गाँव के लोग जिन समस्याओं को बोझ की तरह ढो रहे थे, अब उन्हें एक नई दिशा मिल गई है। गाँव की महिलाओं ने संकल्प ले लिया है कि वे समस्याओं के निराकरण पर बात करेंगी समस्याओं पर नहीं।
जो काम हमारी सरकारें हर साल करोड़ों रूपये खर्च कर नहीं कर पा रही है तो दूसरी ओर तमाम अभावों और समस्याओं के बावजूद अजय जी, मंजूषा जी और संजय पटेल जैसे समर्पित लोग सीमित संसाधनों से करके ग्रामीणों को आत्म निर्भर ही नहीं बना रहे हैं बल्कि उनमें आत्मविश्वास भी पैदा कर रहे हैं।