आप सोचते थे कि अयोध्या पर फैसला आने के बाद ‘वो’ खामोश रहेंगे? आप गलतफहमी में थे..तो फिर गिनिए…
१) कांग्रेस का मुख पत्र नेशनल हेराल्ड भारत के सर्वोच्च अदालत की तुलना पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट से कर रहा है।
२) डीयू की माओवादी प्रोफेसर नंदिनी सुंदर SC को सरकार का गुलाम बता रही हैं।
३) सोनिया गांधी के NAC में सांप्रदायिक लक्षित हिंसा विधेयक का ड्राफ्ट तैयार करने वाले हर्ष मंदर ने SC को मुस्लिम विरोधी करार दिया है। यह वही हर्ष मंदर है, जिसकी सोच थी कि हिंदू हमेशा दंगाई होते हैं।
४) नंदिनी सुंदर के पति सिद्धार्थ वरदराजन के द वायर ने फैसले को अल्पसंख्यक विरोधी करार दिया है।
५) जमियत उलेमा-ए-हिंद का मदनी जो शरियत कोर्ट की वकालत करता था, सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अन्याय करार दिया है।
५) मोना आंबेडकर, संयुक्तता वसु, पूर्वा अग्रवाल, अमित बेहरे जैसे मुसलिमवादी सेक्यूलर हिंदू पत्रकार, एक्टिविस्टों ने ‘मुझे हिंदू होने में शर्म आ रही है। अयोध्या में मुझे मस्जिद चाहिए।’ का ट्वीटर पर अभियान चला रखा है।
६) वामपंथी द टेलीग्राफ, जनसत्ता, इंडिया एक्सप्रेस आदि कट्टर मुस्लिमों का बयान छाप-छाप कर उस पूरे समुदाय को उकसा रहा है कि तुम्हारे साथ अन्याय हुआ है, दंगा करो!
७) रिटायर्ड जस्टिस एके गांगुली जैसे कम्युनिस्ट सोच वाले सेवानिवृत्त जजों को मुस्लिमों को उकसाने के लिए फिल्ड में उतारा गया है ताकि सुप्रीम कोर्ट को ग़लत ठहराने का अभियान उनके अंदर से भी आरंभ किया जा सके। यह वही गांगुली हैं, जिन्हें टेलीग्राफ के भरे मंच पर अनुपम खेर ने आईना दिखाया था।
अभी यह सूची बढ़ती जा रही है। इन सबमें एक साम्य स्पष्ट है। भारत के सर्जिकल व एयर स्ट्राइक के समय भी यही लोग सरकार से सबूत मांग-मांग कर पाकिस्तान के लिए लॉबिंग की थी। कश्मीर पर यह अलगाववादी, आतंकी व पाकिस्तान के पक्ष में उतरे हुए थे।
यानी यह भारत के अंदर बैठी वह लॉबी है, जो बाहर के फंड पर देश को आग लगाने के कार्य में हमेशा जुटी रहती है। इस बार रामजन्म भूमि को लेकर यह देश को जलाने के मिशन पर हैं।