महोदय,
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 (3) का उल्लंघन किया जा रहा है न तो प्रधानमंत्री कार्यालय निविदाएँ हिंदी में जारी करता है और न ही भर्ती सूचनाएँ. प्रधानमंत्री कार्यालय मुख्यालय द्वारा सभी परिपत्र और प्रेस विज्ञप्तियां पत्र सूचना कार्यालय (प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो) और समाचार एजेंसियों को केवल अंग्रेजी में भेजी जाती हैं, सूचना का अधिकार अधिनियम के अधीन लगाये आवेदन के जवाब में पत्र सूचना कार्यालय ने बताया है कि उसे प्रधानमंत्री कार्यालय से हिंदी में प्रेस विज्ञप्तियां प्राप्त नहीं होती हैं बल्कि केवल अंग्रेजी में प्रेस विज्ञप्तियां प्राप्त होती हैं हैं, जिनमें से कुछ विज्ञप्तियों का अनुवाद पत्र सूचना कार्यालय के अनुवादक करते हैं.
नवीन जानकारी/विज्ञप्तियां ट्विटर/फेसबुक पर भी केवल अंग्रेजी में साझा की जाती हैं, अधिकारी ट्विटर/फेसबुक और ईमेल/पत्रों द्वारा हिंदी में की गई शिकायतों के उत्तर नहीं देते हैं और यदि कभी-कभार देते हैं तो अंग्रेजी मं देते हैं, यह राजभाषा नियम 1976 के नियम 5 का उल्लंघन है, हिंदी में प्राप्त शिकायतों के उत्तर हिंदी में देना अनिवार्य है.
प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारी प्रधानमंत्री के हिंदी में दिए गए भाषणों को भी पहले वेबसाइट के अंग्रेजी संस्करण पर डालते हैं और हिंदी में दिए गए भाषणों को हिंदी संस्करण पर डालने में कई घंटे लगा देते हैं. शायद उनके लिए हिंदी वेबसाइट सबसे बाद में याद आती है, ऐसा नहीं होना चाहिए, वेबसाइट एकसाथ-एक समय पर अद्यतित होनी चाहिए.
प्रधानमंत्री के हिंदी भाषण लिखने वाले अधिकारी उनके भाषणों में अकारण ही प्रचलित और लोकप्रिय हिंदी शब्दों के स्थान पर अंग्रेजी के कठिन और दुरूह शब्द डाल रहे हैं, इससे हिंदी का स्वरुप बिगड़ रहा है, भाषा प्रदूषित को रही है और महानगरों को छोड़ अन्य देशवासी इन कठिन और दुरूह अंग्रेजी शब्दों को समझ नहीं पाते हैं और वेबसाइट पर डाले गए हिंदी भाषणों में इन शब्दों को अंग्रेजी में (रोमन लिपि) जस का तस लिख दिया जाता है जिसे पढ़ने के लिए शब्दकोष रखना पड़ता है. इसे रोका जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा आयोजित की प्रेस वार्ताओं के बैनर और विभिन्न बैठकों के मेज नामपट केवल अंग्रेजी में बनाए जाते हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय की वेबसाइट पर भी राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 (3) के अंतर्गत आने वाले दस्तावेज अंग्रेजी में अपलोड किए गए हैं क्योंकि अपलोड करने के लिए हिंदी दस्तावेज होता ही नहीं है. वेबसाइट राजभाषा अधिनियम, 1963 की धारा 3 (3) के अंतर्गत आने वाले ज़्यादातर दस्तावेज की पीडीएफ फाइलें केवल अंग्रेजी में हैं. आप स्वयं http://www.pmindia.gov.in/hi/ देख लीजिए.
यह वेबसाइट बाई डिफॉल्ट अंग्रेजी में खुलती है और हिंदी का विकल्प छुपा हुआ है जबकि भारत की राजभाषा हिंदी है उसे पहले स्थान मिलना चाहिए जैसा उपराष्ट्रपति जी की वेबसाइट http://vicepresidentofindia.nic.in/homepage पर है, उनकी वेबसाइट का होमपेज द्विभाषी है. (संलग्न) डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री काल में भी वेबसाइट का होमपेज द्विभाषी था. बदलाव का निवेदन करती हूँ.
प्रधानमंत्री कार्यालय से राजभाषा अनुपालन की त्रैमासिक रिपोर्ट भी राजभाषा विभाग को नहीं भेजी जाती हैं और राजभाषा नियम 1976 के लागू होने के 42 वर्ष बाद भी प्रधानमंत्री कार्यालय में राजभाषा कार्यान्वयन समिति का गठन नहीं किया गया है जबकि भारत सरकार के प्रत्येक कार्यालय में ऐसा करना अनिवार्य है.
राजभाषा नियम, 1976 के नियम 12(1) के अनुसार प्रत्येक प्रशासनिक प्रधान की यह जिम्मेदारी बनती है कि राजभाषा अधिनियम, राजभाषा नियमों और इसके अधीन उपनियमों आदि का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए राजभाषा हिन्दी के प्रयोग हेतु प्रभावी कदम उठाए। कृपया, इस संबंध में की गई कार्रवाई से हमें अवगत कराने का कष्ट करें।
भवदीय
विधि जैन
वाशी, नवी मुंबई ४००७०३