Sunday, November 24, 2024
spot_img
Homeसोशल मीडिया सेफिल्मी दुनिया में कौन क्या है

फिल्मी दुनिया में कौन क्या है

सभी जानते हैं कि संजय दत्त के पिता सुनील दत्त एक #हिंदू थे और उनकी पत्नी फातिमा राशिद यानी नर्गिस एक मुस्लिम थीं। लेकिन दुर्भाग्य देखिए कि संजय दत्त ने हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम #कबूल कर लिया लेकिन वह इतना चतुर भी है कि अपना फिल्मी नाम नहीं बदला। जरा सोचिए कि हम सभी लोग इन कलाकारों पर हर साल कितना धन खर्च करते हैं। सिनेमा के मंहगा टिकटों से लेकर केबल टीवी के बिल तक। हमारे नादान बच्चे भी अपने #जेबखर्च में से पैसे बचाकर इनके पोस्टर खरीदते हैं और इनके प्रायोजित टीवी कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए हजारों रुपए के फोन करते हैं।

एक विचारणीय बिन्दू यह भी है कि बाॅलीवुड में शादियों का तरीका ऐसा क्यों है कि #शाहरुख खान की पत्नी गौरी छिब्बर एक हिंदू है। आमिर खान की पत्नियां रीमा दत्ता /किरण राव और सैफ अली खान की पत्नियाँ अमृता सिंह / करीना कपूर दोनों हिंदू हैं। इसके पिता नवाब पटौदी ने भी हिंदू लड़की शर्मीला टैगोर से शादी की थी। फरहान अख्तर की पत्नी अधुना भवानी और फरहान आजमी की पत्नी आयशा टाकिया भी हिंदू हैं। अमृता अरोड़ा की शादी एक मुस्लिम से हुई है जिसका नाम शकील लदाक है।

सलमान खान के भाई अरबाज खान की पत्नी मलाइका अरोड़ा हिंदू हैं और उसके छोटे भाई सुहैल खान की पत्नी सीमा सचदेव भी हिंदू हैं। अनेक उदाहरण ऐसे हैं कि हिंदू अभिनेत्रियों को अपनी शादी बचाने के लिए #धर्म_परिवर्तन भी करना पड़ा है। आमिर खान के भतीजे इमरान की हिंदू पत्नी का नाम अवंतिका मलिक है। संजय खान के बेटे जायद खान की पत्नी मलिका पारेख है। फिरोज खान के बेटे फरदीन की पत्नी नताशा है। इरफान खान की बीवी का नाम सुतपा सिकदर है। नसरुद्दीन शाह की हिंदू पत्नी रत्ना पाठक हैं।

एक समय था जब मुसलमान एक्टर हिंदू नाम रख लेते थे क्योंकि उन्हें डर था कि अगर दर्शकों को उनके मुसलमान होने का पता लग गया तो उनकी फिल्म देखने कोई नहीं आएगा। ऐसे लोगों में सबसे मशहूर नाम युसूफ खान का है जिन्हें दशकों तक हम #दिलीप_कुमार समझते रहे। महजबीन अलीबख्श मीना कुमारी बन गई और मुमताज बेगम जहाँ देहलवी #मधुबाला बनकर हिंदू ह्रदयों पर राज करतीं रहीं। बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी को हम जॉनी वाकर समझते रहे और हामिद अली खान विलेन अजित बनकर काम करते रहे। हममें से कितने लोग जान पाए कि अपने समय की मशहूर अभिनेत्री रीना राय का असली नाम सायरा खान था। आज के समय का एक सफल कलाकार जॉन अब्राहम भी दरअसल एक मुस्लिम है जिसका असली नाम फरहान इब्राहिम है। जरा सोचिए कि पिछले 50 साल में ऐसा क्या हुआ है कि अब ये मुस्लिम कलाकार हिंदू नाम रखने की जरूरत नहीं समझते बल्कि उनका मुस्लिम नाम उनका ब्रांड बन गया है। यह उनकी मेहनत का परिणाम है या हम लोगों के अंदर से कुछ खत्म हो गया है?

जरा सोचिए कि हम कौनसी फिल्मों को बढ़ावा दे रहे हैं? क्या वजह है कि बहुसंख्यक बॉलीवुड फिल्मों में हीरो मुस्लिम लड़का और हीरोइन #हिन्दू_लड़की होती है? क्योंकि ऐसा फिल्म उद्योग का सबसे बड़ा फाइनेंसर दाऊद इब्राहिम चाहता है। टी-सीरीज का मालिक गुलशन कुमार ने उसकी बात नहीं मानी और नतीजा सबने देखा। आज भी एक फिल्मकार को मुस्लिम हीरो साइन करते ही दुबई से आसान शर्तों पर कर्ज मिल जाता है। इकबाल मिर्ची और अनीस इब्राहिम जैसे आतंकी एजेंट सात सितारा होटलों में खुलेआम मीटिंग करते देखे जा सकते हैं। सलमान खान, शाहरुख खान, आमिर खान, सैफ अली खान, नसीरुद्दीन शाह, फरहान अख्तर, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, फवाद खान जैसे अनेक नाम हिंदी फिल्मों की सफलता की गारंटी बना दिए गए हैं।

अक्षय कुमार, मनोज कुमार और राकेश रोशन जैसे फिल्मकार इन दरिंदों की आंख के कांटे हैं। तब्बू, हुमा कुरैशी, सोहा अली खान और जरीन खान जैसी प्रतिभाशाली अभिनेत्रियों का कैरियर जबरन खत्म कर दिया गया क्योंकि वे मुस्लिम हैं और इस्लामी कठमुल्लाओं को उनका काम #गैरमजहबी लगता है। फिल्मों की कहानियां लिखने का काम भी सलीम खान और जावेद अख्तर जैसे मुस्लिम लेखकों के इर्द-गिर्द ही रहा जिनकी कहानियों में एक भला-ईमानदार मुसलमान, एक पाखंडी ब्राह्मण, एक अत्याचारी – बलात्कारी क्षत्रिय, एक कालाबाजारी वैश्य, एक राष्ट्रद्रोही नेता, एक भ्रष्ट पुलिस अफसर और एक गरीब दलित महिला होना अनिवार्य शर्त है।

इन फिल्मों के गीतकार और संगीतकार भी मुस्लिम हों तभी तो एक गाना #मौला के नाम का बनेगा और जिसे गाने वाला पाकिस्तान से आना जरूरी है। इनकी असिलियत को पहचानिये और हिन्दू समाज को संगठित करिये तब ही हम अपने धर्म की रक्षा कर पाएंगे । कुछ समय के लिए इस #चित्रपट_नगरी का बहिष्कार करने की जरूरत है।

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार