Sunday, December 29, 2024
spot_img
Homeभुले बिसरे लोगकितने लोग जगत सेठ के बारे में जानते हैं

कितने लोग जगत सेठ के बारे में जानते हैं

जगत सेठ एक नाम नहीं, बल्कि पदवी है, जो फ़तेह चंद को मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह ने 1723 में दी थी। इसके बाद यह पूरा परिवार ‘जगत सेठ घराना’ के नाम से मशहूर हुआ। ‘भारत कभी सोने की चिड़िया हुआ करता था’ यह आपने भी किसी न किसी से ज़रूर सुना होगा। लेकिन वे कौन लोग थे, जिनकी अकूत दौलत ने भारत को यह तमग़ा दिलवाया? जिन्हें लूटने के लिए अंग्रेजों को भारत आना पड़ा। अनगिनत लोग और अथाह ख़ज़ाना बताया जाता है।

आज हम इन्हीं में से एक ‘जगत सेठ (Jagat Seth)’ के बारे में बताएंगे, जिनके पास इतना पैसा था कि अंग्रेज़ भी उनसे उधार लिया करते थे। व्यापारी बनकर, शासक बनकर नहीं। असल में ‘जगत सेठ’ एक नाम नहीं, बल्कि पदवी है, जो फ़तेह चंद को मुग़ल बादशाह मुहम्मद शाह ने 1723 में दी थी। इसके बाद यह पूरा परिवार ‘जगत सेठ घराना’ के नाम से मशहूर हुआ। इस घराने का संस्‍थापक, सेठ माणिक चंद को माना जाता है। माणिकचंद न सिर्फ नवाब मुर्शिद क़ुली ख़ां के ख़जांची थे, बल्कि सूबे का लगान भी उनके पास जमा होता था। दोनों ने मिलकर बंगाल की नई राजधानी मुर्शिदाबाद बसाई।

इन्होंने औरंगज़ेब को एक करोड़ तीस लाख की जगह, दो करोड़ का लगान भेजा था। माणिकचंद के बाद, परिवार की बागडोर फ़तेह चंद के हाथ में आई, जिनके समय में यह परिवार बुलंदियों पर पहुंचा। जगत सेठ घराने के बारे में कहा जाता था कि यह परिवार चाहे तो सोने और चांदी की दीवार बनाकर गंगा की धारा को रोक सकता है। इस घराने ने सबसे अधिक दौलत फतेहचंद के दौर में अर्जित की। उस समय उनकी संपत्ति क़रीब 10,000,000 पाउंड की थी, जो आज के हिसाब से करीब 1000 बिलियन पाउंड के करीब होगी।

ब्रिटिश सरकार के दस्तावेजों के अनुसार उनके पास इंग्लैंड के सभी बैंकों की तुलना में अधिक पैसा था, कुछ रिपोर्ट्स का यह भी अनुमान है कि 1720 के दशक में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था जगत सेठों की संपत्ति से छोटी थी। लेकिन चढ़ता सूरज एक न एक दिन ढलता भी है।इस घराने के अंत का कारण बना अंग्रेजों द्वारा दिया गया धोखा।

जगत सेठ ने अंग्रेजों को काफी बड़ा कर्ज़ दे दिया था, लेकिन बाद में अंग्रेज़ों ने इस बात से साफ मना कर दिया कि ईस्ट इंडिया कंपनी के ऊपर जगत सेठ का कोई कर्ज़ है। यह इस घराने के लिए बहुत बड़ा धक्का था। 1912 ई. तक अंग्रेजों की तरफ से इस घराने के सेठों को जगत सेठ की उपाधि के साथ थोड़ी-बहुत पेंशन मिलती रही। लेकिन बाद में यह पेंशन भी बंद हो गई।

साभार – https://twitter.com/Shubhamhindu01

एक निवेदन

ये साईट भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को समर्पित है। हिंदी के विद्वान लेखक अपने शोधपूर्ण लेखों से इसे समृध्द करते हैं। जिन विषयों पर देश का मैन लाईन मीडिया मौन रहता है, हम उन मुद्दों को देश के सामने लाते हैं। इस साईट के संचालन में हमारा कोई आर्थिक व कारोबारी आधार नहीं है। ये साईट भारतीयता की सोच रखने वाले स्नेही जनों के सहयोग से चल रही है। यदि आप अपनी ओर से कोई सहयोग देना चाहें तो आपका स्वागत है। आपका छोटा सा सहयोग भी हमें इस साईट को और समृध्द करने और भारतीय जीवन मूल्यों को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए प्रेरित करेगा।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -spot_img

लोकप्रिय

उपभोक्ता मंच

- Advertisment -

वार त्यौहार