स्वामी रामदेवजी ने अर्णव के शो में न केवल रामराज्य का अर्थ समझाया बल्कि धर्मनिरपेक्ष शब्द को भी गलत बता दिया, धर्म शब्द की व्याख्या करी, धर्मनिरपेक्ष की जगह पंथनिरपेक्ष शब्द को स्थापित करने की बात कही। हिन्दू मुद्दों पर हिंदुओं का मत रखा पर सबने सवा घण्टे के इंटरव्यू के लास्ट के 4-5 मिनट के हंसी मजाक को पकड़ लिया बाकी सारी बात छोड़ दी। उनका स्वभाव ही हंसी मजाक वाला हमेशा से रहा है, साधु होते भी हैं उन्मुक्त, बच्चों जैसे सरल। स्वामी रामदेव जो भी मानते हैं व उनकी प्रवृत्ति व प्रारब्ध है, पर छल छिद्र तो उनमें नहीं दिखता, एक नादानी हो सकती है चाहे उसे लोग मूर्खता समझें। पर इसी व्यक्ति ने विदेशी कम्पनियों को भारी चोट पहुंचाई। तमाम कम्पनियों के कचरा खरीदने खाने वाले पतंजलि उत्पादों में ऐसे दोष निकालने को लालायित रहते हैं जैसे खुद कितना उच्चकोटि का जीवन जीवन जीते हैं, मार्केट में सब एकदम शुद्ध व पवित्र है बस पतंजलि जहर बेच रही है।
स्वामी रामदेव कई साल से सब विरोध झेलकर भी हिंदुओं की आवाज प्रमुखता से बने रहे। 2014 में मोदीजी की विजय की जमीन भी 2011 के बाबा रामदेव के आंदोलन से ही तैयार हुई थी। स्वामी रामदेव ही वह योद्धा हैं जो हिंदुत्व के लिए हर कदम पर खड़े रहते हैं। वामपंथी 2003 से ही योग को घर घर पहुंचाने वाले, गांव गांव घूमकर देशी संस्कृति की अलख जगाने वाले स्वामी रामदेव जी के पीछे हंटर लेकर दौड़ रहे हैं। एक हफ्ते पहले नेशनल टीवी पर देवी देवताओं को गाली देने वाले पेरियार को स्वामी रामदेव ने बौद्धिक आतंकी कह दिया, तो अलगाववादी दिलीप मंडल छाप भीमसैनिक लगातार तिलमिलाकर इनका विरोध कर रहे हैं।
इसके बाद भी बाबा रामदेव जी झुके नहीं, वरना डरपोक तो माफी मांगते घूमते। बाबा ने कहा, “पेरियार के चेले मेरे पीछे पड़े हैं, जो देवी देवताओं को जूतों की माला पहनाता था, राम कृष्ण को जूते मारता था, अब वह जिंदा है नहीं, अगर वो मेरे समय होता तो उसको इतने जूते पड़ते कि जिंदा नहीं बचता। पर मैं क्या करूँ उस समय मैं था नहीं। हमी सूर्यवंशी चन्द्रवँशी हैं। भगवान राम कृष्ण से लेकर हमारा ही साम्राज्य यहाँ रहा है। फिर कुछ दलित आकर मूलनिवासी आंदोलन चलाकर कहते हैं तुम सब बाहर से आए हो, फिर कुछ आदिवासी संगठन, कुछ मुसलमान संगठन, कुछ पेरियार जैसे नास्तिक आकर ये कहते हैं। ये सब धर्मविरोधी हैं। ये सब हमारे ऋषियों का चरित्रहनन करते हैं।”
श्रीराम श्रीकृष्ण के प्रति ऐसी निष्ठा, ऐसा साहस केवल स्वामी रामदेवजी ही कर सकते हैं आज के समय खुलेआम, और लोगों को उन्हें कोसने, मजाक बनाने में मजा आता है। हिंदुत्व की बात करने वालों को गाली देकर स्वयं को बड़ा हिंदूवादी बताने का ब्रांड न्यू फैशन भी है। तीन दिन से दिलीप मंडल पूरे ट्विटर को बाबा के खिलाफ ट्रेंड्स से भर रहा है, सभी हिंदूवादियों को स्वामी रामदेवजी का इस समय समर्थन करना चाहिए।