‘जी न्यूज’ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी अक्सर डिजाइनर पत्रकार शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन लोगों के मन में अक्सर ये सवाल उठता है कि आखिर ये शब्द है क्या और सुधीर चौधरी ने इसे क्यों बनाया है। इसी तरह के और कई मामले लेकर समाचार4मीडिया डॉट कॉम के संपादकीय प्रभारी अभिषेक मेहरोत्रा ने सुधीर चौधरी से चर्चा की।
अभिषेक मेहरोत्रा द्वारा डिजाइनर पत्रकार शब्द के इस्तेमाल करने और मीडिया में रहकर भी मीडिया विरोधी मुहिम चलाने के बारे में पूछे गए सवाल पर सुधीर चौधरी ने बताया कि आखिर वह क्यों ऐसा करते हैं।
सुधीर चौधरी का कहना था कि जेएनयू में हुए देशद्रोह कांड का ये फायदा हुआ कि इसमें ‘जी न्यूज’ ने देश को तीन मुख्य शब्दावली दीं। इनमें पहली तो अफजल प्रेमी गैंग थी, जिसमें ये लोग अफजल की फांसी को उसकी हत्या बता रहे थे। दूसरी शब्दावली थी टुकड़े-टुकड़े गैंग। यह इसलिए दी गई थी कि ये लोग अपने नारे में देश के टुकड़े करने की बात कह रहे थे। तीसरी शब्दावली थी डिजाइनर पत्रकार।
सुधीर चौधरी ने बताया कि डिजाइनर पत्रकार से आशय ऐसे पत्रकारों से है जो दिल्ली के लुटियन जोन में रहते हैं। ये अंग्रेजीदा पत्रकार महंगे क्लब मे जाते हैं, कॉफी पीते हैं। ऐसे पत्रकार दिल्ली से बाहर कभी निकले नहीं हैं। ये लोग गांव-देहात कभी जाते नहीं हैं, लेकिन ए.सी कमरों में बैठकर रणनीतियां बनाते हैं और देश के लोगों को देश का माहौल बताते हैं, ऐसे पत्रकारों के लिए हमने डिजाइनर पत्रकार शब्द का इस्तेमाल किया।
सुधीर चौधरी का कहना था कि मीडिया को यह आजादी तो मिल गई कि वह किसी का भी आकलन कर सकती है, किसी के बारे में कुछ भी कह सकती है, लेकिन हमारा मानना है कि मीडिया को अपना आकलन खुद करना चाहिए।
उनका कहना था कि पहले नेताओं के बारे में और राजनीति के बारे में लोगों की राय बहुत निगेटिव थी। लोग नेताओं को काफी भ्रष्ट कहते थे, लेकिन आजकल देश के लोगों को नेताओं के बाद सबसे ज्यादा शिकायत मीडिया से है।
दिल्ली के जवाहललाल नेहरू विश्वविद्यालय कैंपस में देशविरोधी नारा लगाने के मामले में छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ दिल्ली पुलिस द्वारा पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाखिल होने के बाद देश की राजनीति एक बार फिर गर्मा गई है।
जेएनयू में करीब तीन साल पहले हुए इस मामले को उजागर करने को लेकर ‘जी न्यूज’ की भूमिका पर काफी सवाल उठे थे। हालांकि कुछ लोगों ने ‘जी न्यूज’ की काफी सराहना की थी, वहीं कुछ लोगों का कहना था कि जेएनयू में हुई घटना के विडियो से छेड़छाड़ कर चैनल द्वारा उसे जारी किया गया है। हालांकि ‘जी न्यूज’ ने दावा किया था कि जिस रॉ फुटेज को उसने जारी किया था, उससे कोई छेड़छाड़ नहीं की गई थी।
अब चूंकि यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है, ऐसे में समाचार4मीडिया डॉट कॉम के संपादकीय प्रभारी अभिषेक मेहरोत्रा ने ‘जी न्यूज’ के एडिटर-इन-चीफ सुधीर चौधरी से इस मुद्दे पर खास बातचीत की।
इस दौरान सुधीर चौधरी ने इस घटना को दुखद बताते हुए कहा कि 9 फरवरी 2016 को जब ‘जी न्यूज’ ने इस खबर को ब्रेक किया था, तो उसके अगले दिन से ही सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ ट्रोलिंग शुरू हो गई थी। सुधीर चौधरी का कहना था, ‘खुद को उदारवादी कहने वाले ऐसे लोग सबसे पहले किसी भी घटना के विडियो को ही झूठा करार दे देते हैं। यदि घटना का विडियो नहीं होता है तो वे स्टोरी करने वाले पत्रकार और एडिटर को ही झूठा करार देते हुए उस पर बिकाऊ होने का आरोप लगा देते हैं। इसके बाद वे लोग चैनल की विश्वसीनयता पर प्रहार करते हैं।‘
सुधीर चौधरी का कहना था, ‘यदि कोई मामला अदालत में चला जाता है तो ऐसे छद्म उदारवादी लोग इसे ‘फिक्स’ बताते हुए जांच एजेंसी पर बिकाऊ होने का आरोप लगाते हैं और उसके बाद अदालत व जज की विश्वसनीयता पर चोट करते हैं। हमारे मामले में भी यही हुआ था और अगले दिन से इस चर्चा ने जोर पकड़ लिया था कि विडियो डॉक्टर्ड है यानी उससे छेड़छाड़ की गई है।’
बातचीत के दौरान सुधीर चौधरी ने कहा, ‘अब मैं लोगों से यही कहना चाहता हूं कि नौ फरवरी 2016 के बाद उस महीने के ‘डीएनए’ शो देखेंगे तो उसमें हर जगह मैंने यही कहा है कि कोई भी ये साबित करके दिखाए कि ये विडियो झूठे हैं। मैंने इस शो में यह भी कहा है कि लोगों को एक न एक दिन अपने आरोप वापस लेने पड़ेंगे। हम भाग्यशाली है कि वह दिन लगभग तीन साल में आ गया।’
सुधीर चौधरी का कहना है कि इस पूरे मुद्दे पर मीडिया ने सबसे निगेटिव भूमिका निभाई। उस समय के लगभग सभी अखबारों ने अपने फ्रंट पेज पर इसे पब्लिश किया और कहा कि कथित रूप से ये टेप डॉक्टर्ड है। सुधीर के अनुसार, ‘मीडिया का मानना है कि ‘कथित रूप से’ लिखने के बाद उन्हें कुछ भी पब्लिश करने की आजादी मिल जाती है। जब हमारे ऊपर आरोप लगाया तो पहले पेज पर तीन कॉलम में खबर पब्लिश की, जिसके बाद काफी ट्रोलिंग हुई। जब विडियो सही निकला तो किसी भी अखबार ने ये नहीं पब्लिश किया कि ‘जी न्यूज’ की न्यूज सही साबित हुई।’
उनका कहना है, ‘चूंकि कन्हैया कुमार के खिलाफ चार्जशीट में ‘जी न्यूज’ का जिक्र है और कहा गया है कि जांच में विडियो सही पाया गया है, ऐसे में ‘जी न्यूज’ का एडिटर होने के नाते मेरे लिए यह बहुत ही संतोष और खुशी की बात है। इसके साथ ही अपने दर्शकों से मैं ये कहना चाहूंकि कि सत्य की हमेशा जीत होती है। जिन लोगों ने उस समय हमारे ऊपर विश्वास किया और तीन साल तक अपना विश्वास डिगने नहीं दिया, यह उन लोगों की जीत है।’
साभार- http://www.samachar4media.com से