विडंबना! आने वाले कुछ वर्षों में हिन्दुओं के घरों से कुछ रिश्ते हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे, भाई, भाभी, देवर, देवरानी, जेठ, जेठानी, काका, काकी सहित अनेक रिश्ते हिन्दुओं के घरों से समाप्त हो जाएंगे।
बस ढाई तीन लोगों के परिवार बचेंगे, ना हिम्मत देने वाला बड़ा भाई होगा, ना तेज तर्राट सुख दुख में साथ रहने वाला छोटा भाई होगा, ना घर में भाभी होगी, ना कोई छोटा देवर होगा, बहु भी अकेली होगी, ना उसकी कोई देवरानी होगी ना जेठानी। कुल मिलाकर इस एक बच्चा फैशन और सिर्फ मैं मैं की मूर्खता के कारण हर इंसान अकेला होगा।
हिन्दु परिवार खत्म होते जा रहा हैं, दो भाई वाले परिवार भी अब आखरी स्टेज पर है, अब राम लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न सीता उर्मिला मांडवी जैसे भरे पूरे परिवार असम्भव हो चले हैं, पहले कच्चे घरो में भी बड़े परिवार रह लेते थे, अब बड़े बंगलो में भी ढाई तीन लोग रहने का फैशन चल पड़ा है, अपने बच्चे, पत्नी, और पति के अलावा किसी को कोई रिश्तेदार पसंद नहीं रहा,
मन दुखी होता है ये सोचकर, हम हिन्दुओ को ईमानदारी से इस दिशा में सोचना चाहिए, इस चुनौती पूर्ण सदी में हम एक बच्चे को कहा कहा अड़ा पाएंगे, और उसमें हिम्मत कौन भरेगा, बिना भाइयों के कंधे पर हाथ कौन रखेगा, हिंदुओं की घटती हुई जनसंख्या चिंता का विषय है।
हिंदुओं को अपना ट्रेंड परिवर्तन करना चाहिए, बच्चों की शादी की सादी सही उम्र पर करना चाहिए, ज्यादा बड़े और कामयाब बनाने के चक्कर में सभी मोह माया खत्म हो जाता है, रिश्तों में दुरियां बन जाती है, लड़के लड़कियां अकेले और आजादी चाहने लगते हैं, माता पिता को भी साथ रखना पसंद नहीं करते हैं।
ऐसे ही हर माता-पिता, की हर एक पीढी खत्म होते जा रही है, हमारे रीति- रिवाज, सभ्यता, संस्कृति, खुशियां हमारे धर्म और हमारे आचरण से धीरे धीरे गायब होती जा रही है।