4 फरवरी 2021 डाज़ी कॉइन क्यों 2013 में प्रस्तुत की गई थी को प्रमोट करके एलन मस्क ने अचानक लगभग 34 बिलियन डालर का व्यवसाय तक बढ़ा दिया। एलन मस्क जैसा व्यक्ति अगर किसी प्रोडक्ट को प्रमोट किया है तो लोगों का विश्वास पर बढ़ जाएगा । इस के बाद डॉज़ी क्वाइन की वैल्यू 69% बढ़ गई। जब अचानक सबके दिमाग में खलबली मची तब आप सोच रहे होंगे कि क्या वजह है कि भारत सरकार क्रिप्टो करेंसी पर हथोड़ा चलाने की बात कर रही है। अगर आपने बजट पूर्व 10 जनवरी 2021 के आसपास प्रकाशित समाचार पत्रों को ध्यान से पढ़ा होगा तो आपको पता चल गया होगा कि-“भारत सरकार और उसका रिजर्व बैंक भारत में क्रिप्टो करेंसी पर नकेल कसने वालें हैं ।
ऐसा नहीं है कि रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी को प्रतिबंधित ना किया हो जी हां याद कीजिए सन 2018 में क्रिप्टो करेंसी पर भारतीय रिजर्व बैंक के जरिए भारत सरकार ने प्रतिबंध लगाया था। सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद यह प्रतिबंध हट गया था।
क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगने के कई कारण थे । कारणों कि पहले हम जान लेते हैं क्रिप्टो करेंसी का का इतिहास क्या है ?
क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी परिकल्पना का आकार है जिसकी बुनियाद 1983 में अमेरिका के डेविड चाउम ने की थी। वे चाहते थे कि करेंसी डिजिटल भी हो सकती है। यहीं से शुरू हुई क्रिप्टो करेंसी की कल अपनी की यात्रा। पैसे का डिजिटल ट्रांसफर जिसे अमेरिका ने डिजीकैश के रूप में परिभाषित किया और इसी क्रम में जापान के एक कंप्यूटर विशेषज्ञ या कहा जाए डेवलपर सतोषी डाकामोटो 2009 में बिटकॉइन की शुरुआत की। इसके पहले बिटकॉइन की तरह किसी ने भी केंद्रीकृत आभासी करेंसी का प्रयोग नहीं किया था। अब तक दुनिया में 25 प्रकार की क्रिप्टो करेंसी प्रचलन में है।
क्रिप्टो करेंसी पूरी तरह से डिजिटल करेंसी है। ना तो आप इसे छू सकते हैं ना ही इसकी खनक सुन सकते हैं।
इसके बहुत से फायदे हो सकते हैं लेकिन इससे होने वाली फजीहतों को देखते हुए भारत सरकार ने इस पर एक बिल लाने की तैयारी कर ली है। क्योंकि यह करेंसी अंतरजाल पर होने के कारण हैकर द्वारा है की जा सकती है। करेंसी का धारक किसी जालसाजी का शिकार हो सकता है। इस करेंसी पर भारत की परंपरागत करेंसी की तरह यह नहीं लिखा जाता कि मैं धारक को ….. रुपए अदा करने की गारंटी देता/देती हूं।
उपरोक्त के अलावा इसे वैश्विक अधिमान्यता नहीं है।
दक्षिण एशियाई देशों में भारत एक ऐसा देश है जो आतंकवाद एवं मादक पदार्थों के अवैध व्यापार के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है। यह करेंसी ब्लैक मनी बनाती है। और भारत सरकार का इनकम टैक्स विभाग रिजर्व बैंक इससे मिलने वाले लाभ पर ना तो कर लगा सकता है ना ही जीएसटी वसूल कर सकता है। एक समानांतर आर्थिक सत्ता स्थापित हो जाने से भारतीय प्रशासनिक आर्थिक और सामाजिक ढांचा भविष्य में गड़बड़ भी हो सकता है। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।
ऐसी स्थिति में भारत सरकार भारत में 16 एक्सचेंज के माध्यम से निवेश करने वाले 10 करोड़ भारतीय निवेशकों को सुरक्षा देना चाहती है।
यद्यपि यह करेंसी अमेरिका और जापान में विकसित हुई है परंतु इसके निवेशक भारत में सर्वाधिक है जो लगभग 10 करोड़ भारतीय नागरिक के रूप में पहचाने गए हैं। एक मजेदार तथ्य है कि अधिकांश निवेशक औसतन 24 वर्ष की उम्र वाले हैं। चलिए अब हम जानते हैं कि भारत के अलावा शेष तीन और कौन से देश है जहां क्रिप्टो करेंसी सर्वाधिक रूप से प्रचलित है जी हां इनमें अमेरिका जहां लगभग दो करोड़ व्यक्ति रूस और नाइजीरिया जहां एक करोड़ से अधिक लोग क्रिप्टो करेंसी में अपनी धनराशि निर्देशित कर चुके हैं। टर्की में इस आभासी खनक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
क्रिप्टो करेंसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व से अनुरोध किया था कि इससे आतंकवादियों ड्रग माफिया जैसे वर्ग को सबसे ज्यादा लाभ हो रहा है और यह करेंसी अगर रेगुलेट नहीं होती है तो विश्व के लिए भी खतरा है। आप सोच रहे होंगे कि मोदी जी डिजिटल करेंसी को बढ़ावा दे रहे हैं लेकिन इस डिजिटल करेंसी को बढ़ावा क्यों नहीं दिया जा रहा..?
आपका सवाल बिल्कुल वाजिब है किंतु आप जानिए एक समानांतर अर्थव्यवस्था जैसा मैंने पूर्व में कहा किसी भी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को चौपट कर सकती है। यह अर्थव्यवस्था वैसी ही है इसमें राष्ट्र को पूर्व में वर्णित लाभ यथा आयकर जीएसटी इत्यादि नहीं मिलती दूसरे यह करेंसी अवैधानिक कार्यों को अंजाम देने के लिए बेहद आसान संयंत्र भी है।
आज मेरे मित्र पूछ रहे थे इन 10 करोड़ निवेशकों का क्या होगा अगर भारत में निजी क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगेगा..?
एक भारतीय के नाते उन्हें यह सुझाव मान लेना चाहिए कि वह अपना निवेश क्रिप्टो करेंसी में अब ना करें और जो किया है उसे वापस प्राप्त करलें । अगर निवेशकों को क्रिप्टो में ही निवेश करना ही है तो प्रतीक्षा करें शायद रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी जारी कर दे। क्योंकि रिजर्व बैंक करेंसी धारक को राशि अदा करने की गारंटी अवश्य ही देगी।