अगर दुनिया भर के मशहूर किलों की बात चले तो उनमें सबसे ऊपर विंडसर कैसल का नाम आएगा। इसकी कई सारी वजह हैं। इनमें सबसे खास यह कि यूरोप के दूसरे किलों की तुलना में इसमें सबसे लम्बे समय से शाही घराने के लोग रह रहे हैं। यही नहीं यह एक हज़ार से भी अधिक वर्षों से यह धन, वैभव, कला और वास्तु की दृष्टि से अतुलनीय है। कोई आश्चर्य नहीं कि इंग्लॅण्ड आने वाले पर्यटक सबसे ज्यादा यहीं पहुँचते हैं। हम कई बार से इंग्लॅण्ड आ रहे हैं लेकिन इस कैसल को देखने का अवसर इसी बार लगा। दरअसल यह लन्दन से ज्यादा दूर नहीं , चाहे कार से आएं, या फिर ट्रेन से एक घंटे में पहुँच सकते हैं।
कैसल विंडसर क्षेत्र में टेम्स की ऊपरी धारा के किनारे एक छोटी सी पहाड़ी पर बना है। लन्दन के इर्द गिर्द रोमन और केल्ट शासको ने कुल मिला कर ग्यारह किले बनाये थे , उनमें से विंडसर भी था जो 11वीं शताब्दी में मूलतः काष्ठ से तैयार किया गया। राजा हेनरी प्रथम को इस कैसल से इतना लगाव था कि उसने इसे ब्रिटिश ताज का आधिकारिक आवास बना लिया. यहीं से इसे छोटे और सादे आकार से एक विशाल और भव्य भवन में बदलने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। निर्माण यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ाव इस प्रकार से हैं :
१. हेनरी द्वितीय ने कैसल के चारों ओर पत्थर की दीवार और गोल टावर बनवाई।
२. हेनरी तृतीय ने कैसल को विलासपूर्ण महल में बदल दिया
३. एडवर्ड तृतीय ने इसके डिजाइन में काफी बदलाव किये और इसे मध्य कालीन योरोप के सबसे महंगे भवन में बदल दिया
४. हेनरी चतुर्थ और एलिजाबेथ ने इसे ब्रिटिश ताज, राजनय सत्कार और आवभगत का केंद्र बना दिया
५. १६४२ से लेकर १६५१ के बीच चले इंग्लिश सिविल युद्ध के दौरान यह चार्ल्स प्रथम के लिए कैदखाना और लोकतान्त्रिक शक्तियों का सैनिक हैडक्वार्टर रहा
६. चार्ल्स द्वितीय ने कैसल का बारोक शैली में पुनर्निर्माण कराया
७. जार्ज तृतीय और जार्ज चतुर्थ ने अकूत धन लगा कर पूरे कैसल को दोबारा से सज्जित किया.
८. द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मन बमबारी के दौरान यह कैसल पूरे राज घराने का आश्रय स्थल रहा
९. १९९२ में भीषण आग से कैसल का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया , पुर्निर्माण के बाद इसका बड़ा हिस्सा जनता के दर्शनार्थ खोल दिया गया।
इन दिनों लगभग ५०० लोग विंडसर कैसल में नियमित रूप से कार्य करते हैं और उनके आवास की व्यवस्था भी यहीं है. आज भी शाही घराने और सरकार के महत्वपूर्ण राजकीय भोज, आधिकारिक राजकीय मनोरंजन कार्यक्रमो , रॉयल समारोहों का आयोजन होता रहता है, इनमें हाल ही संपन्न सबसे चर्चित प्रिंस हैरी और मेघन मैर्केल का हाल ही में संपन्न शाही विवाह है जिसका नज़ारा पूरी दुनिया ने टी. वी. के परदे पर देखा और जिसके माध्यम से विंडसर कैसल की भव्यता की झलक देखने को मिली .
इतिहासकारों और शोधार्थियों ने कैसल से संबन्धित काफी सारी रोचक सामग्री जुटाई है। पहली तो यह कि मूल रूप से १००० वर्ष पहले बने कैसल का आकार आज की तुलना में मुश्किल से पांचवां हिस्सा रहा था। दूसरा यह कि प्रारम्भ के ५०० वर्षों तक कैसल की जमीन शाही घराने की अपनी नहीं थी वरन इसे प्राइवेट भूस्वामी से भाड़े पर लिया था. हाल ही में डा. स्टीवेन ब्रिंडल की पुस्तक ‘ विंडसर कैसल : ए थाउजेंड इयर्स ऑफ़ ए रॉयल पैलेस ‘ आई ही जिसमें डा. ब्रिंडल ने इस कैसल के बारे में रोचक जानकारियां जुटाई हैं. उनके अनुसार १०६६ में इंग्लॅण्ड विजित करने वाले विदेशी शासक विलियम ने सबसे पहले यहाँ एक लकड़ी का भवन बनाया था जो एक टीले में बदल गया आज की मुख्य संरचना टावर इसी टीले पर बनी है।
देखा जाय तो विंडसर कैसल प्रिंस हैरी और मेघन मर्केल की ही नहीं अन्य बहुत सारी भव्य शाही शादियों का गवाह भी रहा है। दरअसल ब्रिटिश राजघराने और योरोप के अन्य शाही परिवारों के बीच शादियां होती रही हैं. १८६३ में आज की महारानी एलिजाबेथ के परदादा एल्बर्ट, जो बाद में एडवर्ड सप्तम कहलाये उनकी डेनमार्क की राजकुमारी अलेजेंड्रिआ के साथ यहीं हुई थी। १८६६ में राजकुमारी हेलेना यहीं स्वीडन के राजकुमार क्रिस्टियन के साथ दाम्पत्य सूत्र में बंधीं. १८७९ में राजकुमार आर्थर का विवाह प्रूशिया की राजकुमारी लुइजे मार्गरेट के साथ यहीं संपन्न हुआ।हाल ही के वर्षों में राजकुमार एडवर्ड और राजकुमार चार्ल्स के विवाह भी यहीं संपन्न हुए हैं।
जब हम विंडसर पहुंचे तो देखा कि इन दिनों यहां पर काफी बड़े पैमाने पर रेस्टोरेशन का कार्य चल रहा हैं , जिसके चलते विंडसर कैसल के सबसे बड़े आकर्षण डाल हाउस को देखने के लिए वंचित रह गए। यह कक्ष रानी मेरी के दिमाग की उपज था और उन्होने स्वयं रूचि लेकर बनवाया था. यहाँ हमें बताया गया कि मिनिएचर निर्माण में जितना बारीकी और संरचनात्मक कुशलता यहां पर इस्तेमाल की गयी है उसका जोड़ अन्यत्र कहीं नहीं है।
कैसल की एक और विशेषता इसके विभिन्न राजकीय-कक्ष हैं जो मध्यकालीन भव्यता का उत्कृष्ट उदाहरण हैं , इनका निर्माण चार्ल्स द्वतीय के शासन के दौरान हुआ था , बाद में जार्ज चतुर्थ ने इन्हे दोबारा नए सिरे से सज्जित किया। बाद में आग लगने के कारण रानी एलिजाबेथ ने वापस उसके पूर्व गौरव को लौटने के लिए पुनर्नवीकरण कराया। जब हमने इन कक्षों की ओर चलना प्रारम्भ किया तो सीढ़ियों से ऊपर चढ़ कर प्रवेश द्वार पर हमें घोड़े पर सवार दो जिरहबख्तर और लोहे के टोप से सज्जित नाइट्स स्वागत करते नज़र आये। फिर एक के बाद एक विशाल कक्ष दिखाई दिए, यह काफी बड़े क्षेत्र में हैं , हमें बताया गया कि इतना बड़ा कवर एरिया बकिंघम पैलेस में भी नहीं है। इन सभी कक्षों में अन्य अतुलनीय कलाकृतियों, स्मारिकाओं के अलावा विभिन्न कल खण्डों में बनी तलवार, बंदूकों , पिस्तौलों को भी रोचक तरीके से दीवारों पर सजाया गया हैं. बैंकेट के लिए इन कक्षों का चुनाव विभिन्न देशों से आने वाले राज्याध्यक्षों और उनके दल के आकार और महत्व को ध्यान में रख कर किया जाता है।
कैसल की भीतरी दीवारों पर जो कलाकृतियां लगी हुए हैं वे नायब और बेजोड़ हैं. अपनी कला को लेकर समझ बहुत नहीं है फिर भी इनमें से रेम्ब्रां, रुबेन और कनैलेटो की कृतियां अलग ही नज़र आती हैं। ड्राइंग गैलरी में पेंटिंग्स अदल बदल कर लगाई जाती हैं , कुछ कलाकारों की नियमित रूप से प्रदर्शित की जाता हैं जिनमें मिशेलएंजेलो, रफाएल ,लेओनार्दो, होल्बेन की कालजयी कृतियां शामिल हैं.
रानी मेरी ने १९२० में राजकीय कक्षों के प्रवेश द्वार के बाद के कॉरिडोर में १७ वीं और १८ वीं शतब्दी की चीनी मिटटी की क्राकरी प्रदर्शित करने का स्थान चुना था , ये चीन और जापान दोनों से मंगवाई गयीं थें। यहाँ प्रदर्शित क्राकरी में दो डिनर सेट विशेष रूप से ध्यान खींचते हैं , एक सेट रानी विक्टोरिया का है जिस के रिम पर फिरोजी रंग के पैटर्न हैं। दूसरा सेट वार्केस्टर से है जिसे गार्टर के वार्षिक समारोह में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
राजकीय कक्षों में वाटरलू चैम्बर्स का विशेष महत्व है। ये वाटरलू युद्ध में विजय के बाद बनाये गए थे , यहाँ जो भित्तिचित्र और पोर्टेट्स दीवारों पर लगाए गए हैं, वे इस युद्ध में भाग लेने वाले सहयोगी राजाओं , राजनेताओं , कमांडरों के हैं , इसमें विशेष रूप से आकर्षित करने वाला पोर्टेट ड्यूक आफ वेलिंग्टन का है. यहाँ वैसे तो भारत, ईरान और अन्य देशों से इक्कठी सामग्री सजी है लेकिन भारत से एक जुड़ा एक खूबसूरत कालीन है , रानी विक्टोरिया की पचासवीं सालगिरह पर १८९४ में आगरा जेल के कैदियों ने उनके लिए इसे भेंट किया था, विशाल आकार का होने के वावजूद इसमें कोई जोड़ नहीं है, आकार इतना बड़ा है कि इसे कैसल में पहुंचने के लिए ४० लोगों को लगाना पड़ा था.
कैसल में तैनात सुरक्षा गार्डों की वेशभूषा देखने योग्य है , यहां तैनात गार्ड सक्रिय सेना के अंग हैं. गेट पर गार्डों की टुकड़ी की बदली की गतिविधि अपने आप में एक समारोह से काम नहीं है , इस दौरान गार्ड बैरक्स से निकल कर बैंड के संगीत के साथ कदम से कदम मिलाते हुए छोटे से विंडसर शहर में मार्च करते हैं और गार्ड रूम के बाहर पहुँच कर तैनात गार्ड का स्थान ले लेते हैं। यह सदियों से चली आ रही शानदार शाही परम्परा है, कुछ लोग तो इसे देखने के लिए ही बार बार आते हैं. यह हर सोमवार, मंगलवार, बुद्धवार , शुक्रवार और शनिवार सुबह ग्यारह बजे संपन्न होती है।
कैसल परिसर में सेंट जार्ज चैपल है। इसकी पूरी संरचना गोथिक शैली में है , भव्यता में इसका कोई जोड़ नहीं है , हाल ही में इस चैपल के चित्र पूरे मीडिया में छाए रहे क्योंकि राजकुमार हैरी और मेघन मार्कल का विवाह यहीं संपन्न हुआ था. चैपल में बजने वाला संगीत आध्यत्मिक किस्म का है, जैसे ही बजना शुरू होता है पता नहीं क्यों ध्यान सीधे अपने अंदर की ओर केंद्रित हो जाता है। यह चैपल एडवर्ड तृतीय द्वारा १३४८ में स्थापित गार्टर आर्डर का आध्यात्मिक केंद्र भी है। ब्रिटिश फौज में बहादुरी का यह सबसे बड़ा आर्डर है , इस आर्डर से ही रानी ने राष्ट्र के प्रति निष्ठा , बहादुरी और समर्पण के आधार पर २४ नाइट्स का चयन किया है.
चैपल में ब्रिटिश राजशाही के १० शासकों के पार्थिव शरीर दफनाए गए हैं , इनमें राजा चार्ल्स प्रथम, हेनरी अष्ठम और उसकी तीसरी पत्नी सैम्यूर, जार्ज पंचम प्रमुख हैं। यही नहीं यहाँ एक वाल्ट भी है जिसमें राजघराने से जुड़े सदस्यों के पार्थिव अवशेष रख दिए गए हैं। कैसल की यात्रा के बाद सेंत जार्ज चैपल में जाकर दफ़न राजाओं के पार्थिव शरीरों को देख कर एक ही अनुभूति होती है कि दूर दूर तक देशों को विजित करने के वावजूद भी पार्थिव शरीर को वही आम आदमी जितनी ही चंद फुट जगह की ही जरुरत पड़ती है।
Pradeep Gupta
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