लखनऊ। वक़्त के साथ कदमताल करते हुए डिजिटल इण्डिया और स्मार्ट गवर्नेंस की तरफ कदम बढ़ाते हुए डाक विभाग अब लेटर बॉक्स को भी स्मार्ट बना रहा है। अब लेटर बॉक्स से पत्रों की निकासी को सॉफ्टवेयर आधारित करके इसे नई टेक्नालॉजी से जोड़ा जा रहा है। लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि ‘नन्यथा’ (Nanyatha) सॉफ्टवेयर के जरिये लेटर बॉक्स की मेकेनाइज्ड निकासी व्यवस्था आरम्भ की गई है। श्री यादव ने कहा कि रीयल टाइम आधारित और जीपीएस से लैस इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से जहाँ पत्रों की निकासी की नियमित मॉनिटरिंग हो सकेगी, वहीं आम जन भी http://www.appost.in/nanyatha/ वेबसाइट पर जाकर अपने क्षेत्र के लेटर बॉक्स की अवस्थिति के साथ-साथ यह देख सकेंगे कि उनके क्षेत्र का लेटर बॉक्स प्रतिदिन नियमित रूप से खुलता है या नहीं और इसमें से कितने पत्र निकलते हैं। पारदर्शिता के साथ-साथ इससे डाक विभाग को लेटर बाक्सों के औचित्य स्थापन में भी सुविधा मिलेगी।
डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने इसकी कार्यप्रणाली के बारे में बताया कि, इसके तहत हर लेटर बॉक्स के अंदर 12 अंकों का यूनिक बार कोड लगाया जाता है, जिसमें प्रारम्भिक 6 अंक पिनकोड को दर्शाते हैं। डाककर्मी किसी भी लेटर बॉक्स से पत्रों की निकासी करेगा तो पहले वह अपने पास स्थित एंड्रायड बेस्ड स्मार्ट मोबाइल फोन में स्थित ‘नन्यथा एप’ से उस लेटर बॉक्स के बार कोड को स्कैन करके उसमें निकले कुल पत्रों की संख्या को उसी स्थान से अपलोड करेगा। इससे लेटर बॉक्स की लोकेशन सहित पत्रों की संख्या व निकासी की तारीख और समय सॉफ्टवेयर के माध्यम से तुरंत अपलोड हो जायेगा। फिलहाल, इसे नगरीय सीमा के भीतर अवस्थित डाकघरों में आरम्भ किया गया है। लखनऊ में इस तरह के कुल 201 लेटर बॉक्स हैं, जिनमें से 155 लखनऊ मंडल के अधीन और 46 जीपीओ के अधीन हैं।
निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि लेटर बॉक्स निकासी की इस व्यवस्था से आम जनता को यह आसानी से पता लग जाएगा कि जिस लेटर बॉक्स में पत्र डाला गया है उसकी निकासी कितने बजे हुई। इसके अलावा किसी क्षेत्र विशेष में स्थित लेटर बॉक्स की निकासी प्रतिदिन समयानुसार हो रही है अथवा नहीं की सूचना विभाग के साथ साथ जनता को भी उपलब्ध हो जाएगी, जिससे इस कार्य में और अधिक पारदर्शिता आएगी। यही नहीं इस व्यवस्था से प्रत्येक लेटर बॉक्स में कितने पत्र पोस्ट किए गए इत्यादि से संबंधित आँकड़ों का डाटाबेस उपलब्ध हो सकेगा तथा डाक विभाग को यह सुनिश्चित करने में आसानी रहेगी कि किस क्षेत्र में लेटर बॉक्स लगवाने की अधिक आवश्यकता है। इससे जनता की शिकायतों में भी कमी आएगी।