हिन्दी जगत विशेष
बीकानेर में रचा विश्व सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन ने एक रिकॉर्ड
शशि श्रीवास्तव
बीकानेर। विगत दिनों जब देश के कोने-कोने और विभिन्न अन्य देशों की सोशल मीडिया से जुड़ी विभिन्न विधाओं की सौ के करीब प्रतिभाएँ एक मंच पर इकट्ठा हुईं और उन्होंने अपनी प्रतिभाओं के जौ़हर दिखाये तो सच् एक रिकार्ड ही बन गया। जी हां, हम सब साथ साथ, नई दिल्ली के तत्वावधान में और स्थानीय संस्थाओं; साहित्यिक-सामाजिक संस्था, बीकाणा आईटीआई तथा हिन्दी साहित्य मंथन आदि के सहयोग से राजस्थान के बीकानेर में 5 और 6 मार्च को चैथा सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन व सम्मान समारोह स्थानीय रेल्वे प्रेक्षागृह में समारोहपूर्वक आयोजित हुआ। इसमें फेसबुक, व्हाट्सएप, ट्वीटर आदि जैसी आभाषी कही जाने वाली सोशल साइट्स की सैकड़ों प्रतिभायें न केवल पहली बार एक-दूसरे से रूबरू हुईं अपितु एक प्लेटफार्म पर पहली बार इकट्ठा होकर उन्होंने मैत्री-भाईचारे का एक इतिहास भी रचा। उनकी प्रतिभाओं ने सैकड़ों लोगों को उंगली दबाने पर भी मज़बूर किया।
मैत्री-भाईचारे के पैग़ाम के साथ शुरू हुए दो दिन के इस सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में मैत्री-भाईचारे के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया की भूमिका, कन्या भ्रूण हत्या, लिव इन रिलेशनशिप पर परिचर्चा के अलावा दो सत्रों में कवि सम्मेलन, मनोहारी सांस्कृतिक कार्यक्रम, पुस्तकों का विमोचन और चित्र, फोटो तथा कार्टून प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न दूर-दराज के प्रान्तों सहित नेपाल, कनाडा और यूके से एक प्रतियोगिता के जरिये चुन कर आई फेसबुक, व्हाट्सएप और ट्वीटर आदि सामाजिक साइट्स की आभाषी दुनिया की साहित्य, संगीत, नृत्य और कला क्षेत्रों की सौ के करीब प्रतिभाओं ने अपनी विभिन्न कलाओं के प्रदर्शन से उपस्थित जन समुदाय को मंत्र मुग्ध कर दिया।
पहले दिन कला प्रदर्शनी का उद्घाटन प्रसिद्ध चित्रकार मुरली मनोहर माथुर और कनाडा से पधारे हिन्दी विद्वान सरन घई द्वारा किया गया। जिसमें विवेक मित्तल (बीकानेर) एवं संगीता राज (दिल्ली) के चित्र, मीता रॉय (गाजियाबाद) एवं सृष्टि सिन्हा (झांसी) के कार्टून्स, प्रदीप आर्यन (दिल्ली) के फोटो और हर्षित सिंह (लखनऊ) के हस्त शिल्प का प्रदर्शन किया गया। तत्पश्चात् उद्घाटन सत्र की शुरूआत दिल्ली से पधारीं सुषमा भण्डारी ने अपने मधुर कंठ से कर्ण प्रिय राजस्थानी सरस्वती वंदना गाकर की। वन्दना के बाद सम्मेलन के राष्ट्रीय संयोजक श्री किशोर श्रीवास्तव (दिल्ली) व उनकी टीम (शाह आलम, किरन बाला, शशि श्रीवास्तव, मीता राय एवं सरिता भाटिया) ने ‘इंसान का इंसान से हो भाईचारा, यही पैगाम हमारा’ गीत सुनाकर आपस में मिलजुल कर रहने का संदेश देकर सभी आगंतुकों को भाव विभोर कर दिया। प्रथम सत्र के मुख्य और विशिष्ट अतिथि थे भाजपा नेता नंदकिशोर सोलंकी, राजस्थानी अकादमी के पूर्व अध्यक्ष सत्य प्रकाश आचार्य व उद्योगपति के.बी. गुप्ता। उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता कनाडा से पधारे सरन घई ने की, जबकि स्वागताध्यक्ष बीकानेर के मुख्य आयोजनकर्ता गोवर्धन चैमाल थे।
सभी अतिथियों ने अपने उद्बोधन में भाईचारे और मैत्री के इस सम्मेलन की भूरि-भूरि प्रशंसा की। सत्र का बेहतरीन मंच संचालन संजय पुरोहित ने किया। प्रथम सत्र में ही सभी प्रतिभागियों का परिचय उन्हें बार-बारी से मंच पर आमंत्रित करते हुए श्री किशोर श्रीवास्तव ने कराया। इस अवसर पर मुंबई की प्रतिभागी लता तेजेश्वर की अंग्रेजी पुस्तक ‘वेव्स आॅफ लाइफ’ और किशोर श्रीवास्तव के कहानी संग्रह ‘कही-अनकही’ का विमोचन भी माननीय अतिथियों द्वारा किया गया। ‘मैत्री-भाईचारे के प्रचार-प्रसार में सोशल मीडिया की भूमिका’ और सोशल मीडिया के खट्टे-मीठे अनुभवों पर आधारित सम्मेलन के परिचर्चा सत्र में मुख्य अतिथि कमल रंगा, विशिष्ट अतिथि गार्गी राय चैधरी रहीं तथा अध्यक्षता मालचंद तिवाऱी ने की। परिचर्चा सत्र में अपने विचारों की गंगा बहाने वालों में शामिल थे; अमित साकिरवाल (लखनऊ), रायपुर से अमृता शुक्ला, बीकानेर से डॉ. अजय जोशी, विवेक मित्तल, सीमा भाटी, डॉ. पंकज जोशी, नीलिमा शर्मा, अपूर्वा चैमाल, दिल्ली से किरण बाला, सुरभि सप्रू, विपनेश माथुर, किरण आर्य, श्रीगंगानगर से दीपक अरोड़ा, चित्रकूट से पियूष द्विवेदी, सहारनपुर से ऊंची उड़ान पत्रिका के संपादक पवन शर्मा, गौर (नेपाल) से प्रभा सिंह, देहरादून से राहुल वर्मा, नोएडा से सोमा बिश्वास, अयोध्या से शाह आलम, जयपुर से सुरेश शर्मा, बारांबकी से सुमन श्रीवास्तव, शाहजहांपुर से डा. देशबन्धु आदि। इस सत्र में स्वागताध्यक्ष सुधीर सिंह सुधाकर थे और बेहतरीन मंच संचालन श्री नासिर जैदी ने किया।
सायंकालीन सत्र में भव्य सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया, जिसका कुशल मंच संचालन सुशील कौशिक (बीकानेर) एवं अनुपमा श्रीवास्तव (भोपाल) ने संयुक्त रूप से किया। इस सत्र की मुख्य अतिथि अल्का डॉली पाठक थीं। नृत्य के क्षेत्र में सिक्किम के गंगतोक से पधारी प्रतिभाशाली बाल प्रतिभागी कु. अस्मिता शर्मा एवं दिल्ली की कु. वन्या कंचन सिंह सहित रांची से पधारी युवा कलाकार संदीपिका राय ने अपने खूबसूरत कला प्रदर्शन से उपस्थितजनों को मंत्र मुग्ध करते हुए दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। इसी प्रकार से गायन में हल्द्वानी से गौरी मिश्रा, श्रीगंगानगर से दीपक अरोड़ा, गाजियाबाद से मीता रॉय, भीलवाड़ा से निरंजन नीर, दिल्ली से पारूल रस्तोगी सहित बीकानेर से डॉ. मोहम्मद इकबाल, ओमप्रकाश सोनी, हसन अली, पवन सोनी और सुमधुर गायिका लता तिवारी ने अपने गीतों से उपस्थितजनों का खूब मनोरंजन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान ही किशोर श्रीवास्तव की गीतों और हास्य भरी मिमिक्री ने न केवल श्रोताओं को झूमने पर मजबूर किया अपितु हंसा-हंसा कर लोटपोट भी किया। तबले पर लाजवाब संगत की चुरू से पधारे प्रतिभागी राजेन्द्र शर्मा ने।
रात्रिकालीन सत्र में कवि सम्मेलन (पार्ट एक) का आयोजन किया गया, जिसका मंच संचालन बीकानेर के संजय आचार्य तथा आबू रोड पिण्डवाड़ा से पधारीं आशा पाण्डेय ओझा ने संयुक्त रूप से अत्यन्त सलीके से किया। कवि सम्मेलन में मुख्य अतिथि मो. हनीफ ‘शमीम’ बीकानेरी, विशिष्ट अतिथि इंजी. आशा शर्मा (बीकारनेर) और हरकीरत हीर (गुवाहटी) थीं। इस सत्र की अध्यक्षता कोटा से पधारे वरिष्ठ कवि रघुनाथ प्रसाद मिश्र ‘सहज’ ने की। कवि सम्मेलन में बीकानेर से जाकिर अदीब, आनंद आचार्य, बुनियाद ज़हीन, राजेन्द्र स्वर्णकार, मीनाक्षी स्वर्णकार, बाबूलाल छंगाणी, इरशाद अजीज, मनीषा आर्य,; फरीदाबाद से अजय अज्ञात, चुरू से राजेन्द्र शर्मा, दिल्ली से शुभदा वाजपेयी, सुषमा भण्डारी व नेहा नाहटा, गुवाहटी से चंद्र प्रकाश पोद्दार, जयपुर से विनीता सुराना आदि सहित संचालक द्वय व मंचस्थ अतिथियों ने भी काव्य पाठ किया और खूब वाहवाही लूटी।
दूसरे और अंतिम दिन 6 मार्च को सम्मेलन की शुरूआत दो ज्वलंत विषयों पर परिचर्चा के साथ हुई, विषय थे- कन्या भ्रूण हत्या व लिव इन रिलेशनशिप। चर्चा के लिए खुला मंच था, जिसमें अनेक प्रतिभागियों ने इन विषयों पर विस्तृत चर्चा की। शशि श्रीवास्तव, नेहा नाहटा व किरण बाला ने इस सत्र का मंच संचालन संयुक्त रूप से किया। इस सत्र के मुख्य अतिथि धर्मचंद जैन, विशिष्ट अतिथि, पूर्व कर्नल प्रेम दास निगम, श्याम स्नेही व अतुल प्रभाकर थे तथा अध्यक्षता मुरली मनोहर के माथुर ने की। इस सत्र में अतिथियों ने भी अपने विचार रखे। इसके बाद कवि सम्मेलन का दूसरा सत्र आरम्भ हुआ, जिसकी अध्यक्षता यूके से पधारी शील निगम ने की। मुख्य अतिथि थे भवानी शंकर व्यास व विशिष्ट अतिथि उषा किरण सोनी थीं। मंच संचालन नमिता राकेश व अरविंद पथिक ने संयुक्त रूप से किया। कवि सम्मेलन के इस सत्र में दिल्ली से बादल चैधरी, सुधीर सिंह, संजय शाफ़ी, नरेश मलिक, सरिता भाटिया, शाहजहांपुर से देशबंधु, चम्पावत से कैलाश चंद्र जोशी, मुंबई से लता तेजेश्वर, नौएडा से सीमा गुप्ता शारदा, लखनऊ से निवेदिता श्रीवास्तव, राहुल द्विवेदी, सीकर से निर्मला मुस्कान बरवड़, ग्वालियर से पियूष चतुर्वेदी, वारासिवनी से प्रीति सुराना, राहुल द्विवेदी, मुंबई से लता तेजेश्वर, सरोज लोढाया, गुड़गांव से श्याम स्नेही, कंचनपुर (नेपाल) से सरिता पंथी, तेजपुर (असम) से सरिता शर्मा, भिवानी से डा. अनीता भारद्वाज, बीकानेर से मोनिका गौड़, कासिम बीकानेरी, सरदार अली पडि़हार, गोविंद नारायण, अब्दुल वाहिद अशरफी, कृष्णा आचार्य, गजेन्द्र सिंह राजपुरोहित और बड़ोदरा से वीरेन्द्र सिंह, बारासिवनी से प्रीति समकित सुराना, ग्वालियर से पियूष चतुर्वेदी, आदि प्रतिभागियों ने अपने बेहतरीन काव्य पाठ से लोगों को बार बार तालियां बजाने पर मजबूर किया।
सम्मेलन का सबसे भावुक क्षण समापन सत्र का रहा, जब चैथे सोशल मीडिया मैत्री सम्मेलन के चयनित प्रतिभागियों को सम्मानित किये जाने के साथ ही उनकी बिदाई का समय आया। पुरस्कार वितरण समारोह का संचालन करते हुए प्रतिभागियों के महत्व और उनकी खूबियों को दर्शाने वाली काव्य पंक्तियों से सत्र के संयोजक, संचालक किशोर श्रीवास्तव ने माहौल को और भी अधिक रोचक और भाव विभोर कर दिया। समापन सत्र की अध्यक्षता लक्ष्मीनारायण रंगा ने की, जबकि मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि क्रमशः भवानीशंकर शर्मा, नेमचंद गहलोत व अल्का डॉली पाठक रहीं। प्रतिभागियों का अंग वस्त्र पहनाकर स्वागत करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह, प्रमाण पत्र व पुरस्कार स्वरूप बहुमूल्य किताबों का सेट भेंट किया गया। पूरे सम्मेलन की बेहतरीन फोटोग्राफी के लिये विशाल आर्यन व वीडियोग्राफी के लिये वैशाली आर्यन को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर अतिथियों और अध्यक्ष महोदया ने समूचे आयोजन की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए न केवल मैत्री-भाईचारे की इस भावना की प्रशंसा की अपितु इसे बीकानेर की धरती को भी गौरवान्वित करने वाला पल बताया। सभी ने ऐसे आयोजन की महत्ता पर भी बल दिया। अंत में सम्मेलन की ओर से स्थानीय संयोजक गोवर्धन लाल और राजाराम स्वर्णकार ने सभी प्रतिभागियों और सहयोगियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कुल मिलाकर एक शानदार कार्यक्रम का अत्यन्त खुशनुमा माहौल में न केवल आगाज़ हुआ अपितु समापन भी उसी अंदाज़ में हुआ। सम्मेलन में पारम्परिक जलपान, भोजन के अलावा राजस्थानी मेहमाननवाज़ी का भी बेजोड़ नमूना देखने को मिला जहां बीकानेर से स्थानीय संयोजक गोवर्धन लाल चैमाल, राजाराम स्वर्णकार, विनोद धानुका, आशा शर्मा, मुनीन्द्र अग्निहोत्री, क़ासिम बीकानेरी और अनिल मिश्रा आदि सहित दिल्ली से पधारे राष्ट्रीय संयोजक किशोर श्रीवास्तव और शशि श्रीवास्तव आदि की टीम ढेर सारे मेहमानों की पल पल की खबर रखते हुए उनका बराबर ख़्याल रखे रही। और उनके हर सुख-दुख में बराबर के शरीक रहे।
सम्मेलन का मुख्य आकर्षण सभी प्रतिभागियों का बड़ा सा पोस्टर कोलाज़ भी रहा जहां, दोनों दिन विभिन्न अंदाज़ों में फोटो खिंचवाने और मीडिया को इंटरव्यू देने वालों का कुछ इस तरह से जमावड़ा लगा रहा मानों वह कोई ऐतिहासिक पर्यटन केंद्र हो। अपने तरह के इस पहले और अनूठे सम्मेलन के ज़रिये आभाषी दुनिया से जुड़े सैकड़ों व्यक्ति पहली बार समूचे विश्व का प्रतिनिधित्व करते हुए आपस में एक दूसरे से, उनकी प्रतिभाओं से तो रूबरू हुए ही; दो दिन साथ-साथ रहने से पुरानी दोस्ती भी और प्रगाढ़ हुई और अनेक नये मित्र भी बने। जाते-जाते सभी अपने साथ अनेक मीठी-मीठी यादें भी समेटे हुए ले गये। सबने माना कि ऐसे कार्यक्रमों की समूचे विश्व में आवश्यकता है और इन सम्मेलनों से दोस्ती मात्र औपचारिकता बनकर नहीं रह जाती, बल्कि आपसी प्रेम, भाईचारा, सोहार्द की भावना का भी खूब विकास होता है, जो आज कुछ लोगों के अलगाववाद और वैमनस्य फैलाने वाले माहौल में निहायत ज़रूरी भी हैं।
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