भोपाल। विश्व हिन्दी सम्मेलन के दूसरे दिन ‘गिरमिटिया देशों में हिन्दी’ पर गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा की अध्यक्षता में समानान्तर सत्र हुआ। सत्र में मारिशस की शिक्षा मंत्री श्रीमती लीला देवी दूक्कन लछुमन, श्रीमती सरिता बुद्धराजा और डॉ. रामनरेश तथा श्री मनोहर पुरी ने भाग लिया।
श्री मनोहर पुरी ने सम्मेलन के पहले सत्र में हुई चर्चा के मुख्य बिन्दु की जानकारी दी। इस सत्र में उपस्थित विभिन्न प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दियेश्रीमती सिन्हा ने कहा कि जो भी भारतीय गिरमिटिया देशों की यात्रा में जायें वे कम से कम 10 हिन्दी पुस्तक ले जायें। हिन्दी साहित्य की डिजिटल लायब्रेरी विश्व हिन्दी सचिवालय मारिशस में स्थापित की जाये। श्री एम.एल.गुप्ता ने कहा कि गिरमिटिया देश में विद्यार्थियों को हिन्दी पढ़ाने की व्यवस्था की जाये। उत्तरप्रदेश के लखीमपुर खीरी के सांसद श्री अजय मिश्रा ने कहा कि भारत की उच्च शैक्षणिक संस्थाओं में गिरमिटिया देशों के छात्रों को प्रवेश में आरक्षण दिया जाये।
श्रीमती कैलाश देवी ने कहा कि भाषा के साथ-साथ लिपि पर भी ध्यान दिया जाये। सोशल मीडिया पर हिन्दी का अधिक से अधिक उपयोग हो। डॉ.कमल किशोर मिश्रा ने कहा कि रामायण और अन्य पुस्तकें गिरमिटिया देश में भेजी जाये। श्रीमती सुनीता पाहूजा ने कहा कि हिन्दी के शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवाया जाये। श्री राकेश पाण्डे ने कहा कि यहाँ से जो भी अधिकारी जाये वो वहाँ बोले जाने वाली विभिन्न बोलियों के जानकार हों।
क्वांगचो चीन के श्री गंगा प्रसाद शर्मा ने कहा कि पूरे विश्व के लिये हिन्दी का एकीकृत पाठ्यक्रम बनाया जाये। डाँ. कर्णावट ने कहा कि गिरमिटिया देशों में हिन्दी के पुराने समाचार-पत्रों का संरक्षण किया जाये। इसके साथ पाण्डिचेरी की श्रीमती सुधा सिंह, पटना की मिथिलेश कुमारी, मारिशस के श्री रविकान्त सिंह और श्रीमती सूर्यकांति, छतरपुर की श्रीमती संध्या खरे, नेपाल के श्री राम नारायण यादव, फिजी की श्रीमती नीलम कुमारी, श्रीमती रमा पाण्डेय सहित अन्य प्रतिभागियों ने भी महत्वपूर्ण सुझाव दिये।