लखनऊ के अस्पतालों में अभी भी सी एम ओ बदलने के बाद भी , सी एम ओ की नादिरशाही कायम है। बिना सी एम ओ की संस्तुति के कोई अस्पताल , किसी कोरोना मरीज को अस्पताल में घुसने नहीं दे रहा है। गोया वह सी एम ओ नहीं , सी एम हो। लोग एम्बुलेंस में ही तड़प कर मर जा रहे हैं। यह तो गुड बात नहीं है। का योगी जी इहै होई !
लोग कोरोना से डरें। सी एम ओ टाईप लोगों से अस्पताल डरें। आप से अतीक़ अहमद , मुख्तार अंसारी टाइप के लोग डरें। पर आप किस से डर रहे हैं योगी जी ! जो यह सी एम ओ टाइप भ्रष्ट और नाकारा व्यवस्था को नहीं बदल पा रहे हैं। प्राइवेट या सरकारी अस्पतालों को यह सी एम ओ टाइप का कवच-कुंडल कब तक दिए रहेंगे जिन के डाक्टर कोरोना मरीजों को छूना या देखना भी नहीं चाहते। तमाम प्राइवेट अस्पतालों के डाक्टरों के नाम और फोन नंबर जो आप ने जारी करवाए थे कि यह मदद करेंगे। सब के सब दिखाने के दांत साबित हुए हैं। एक भी डाक्टर फोन नहीं उठाता। इन में से एक भी डाक्टर , मरीज या उस के परिवारीजन से नहीं मिलता। कोई दाएं-बाएं से किसी बहाने संपर्क कर भी लेता है तो वह फिर से सी एम ओ का तराना ऐसे गाता है , गोया जन मन गण गा रहा हो। कि सामने वाला सावधान हो कर सिर्फ़ सुने। कुछ पूछे नहीं।
आप के सारे आदेश और निर्देश पानी मांग रहे हैं योगी जी। लॉक डाऊन आप लगाएं या सुप्रीम कोर्ट जाएं यह आप जानिए। क्यों कि यह काम विधायिका और कार्यपालिका का ही है। न्याय पालिका का नहीं। यह हम भी मानते हैं। पर पैसा खर्च कर भी इलाज नहीं मिले तो यह किसी भी सरकार के लिए शर्म का विषय है। लोग एक-एक बेड के लिए तरस रहे हैं। जिस घर में कोई एक भी कोविड पॉजिटिव निकल रहा है , उस पूरे घर की कोविड जांच नि:शुल्क होनी चाहिए। पर पैसा देने पर भी कोई अस्पतलाल जांच , कहने पर भी नहीं कर रहा। कोई डाक्टर , कंपाउंडर , एक इंजेक्शन भी लगाने को तैयार नहीं हो रहा है। अगर वह जान जा रहा है कि उस के घर कोई पॉजिटिव है।
आप का सारा अमला पूरे मुहल्ले में पॉजिटिव पाए गए व्यक्ति और उस के घर को चोर घोषित कर दे रहा है। एक पर्चा , एक बल्ली लगा कर। न कोई दुकानदार उसे सामान देना चाह रहा है , न दूध , सब्जी वाला। उलटे आप का दसियों कंट्रोल रुम , बीसियों विभाग वाले पॉजिटिव निकले व्यक्ति को फ़ोन कर-कर उस का जीना मुहाल कर दे रहे हैं। रोज-रोज , हर घंटे एक ही सूचना। एक ही संदेश। कभी यह विभाग , कभी वह विभाग। यह कौन सा सिस्टम बना दिया है योगी जी। अस्पताल आप नहीं दे सकते। दवाई आप नहीं दे सकते। सांस तो लेने दीजिए। कोविड पॉजिटिव को। उस को आराम तो करने दीजिए। आराम भी इलाज का एक हिस्सा है।
योगी जी , नौकरशाही के चंगुल से निकलिए। अपना सिस्टम सुधार लीजिए जल्दी से जल्दी। ज़मीनी स्तर पर सुधार लीजिए। जनता त्राहिमाम कर रही है। लगता है आप भ्रष्ट अफसरों , चाटुकारों से घिर कर जनता से कट गए हैं। सही सूचना आप तक , आप के चाटुकार पहुंचने नहीं दे रहे। यह चाटुकार और भ्रष्ट नौकरशाही आप को ले डूबेगी। जब लखनऊ का यह हाल है तो उत्तर प्रदेश में बाक़ी जगहों का क्या हाल होगा भला।
दुर्भाग्य से आप भी कोविड पॉजिटिव हो गए हैं। कभी अपना गेरूआ वस्त्र उतार कर , सामान्य व्यक्ति बन कर लखनऊ या प्रदेश के किसी अस्पताल में अकेले चले जाइए , किसी टैम्पो से , या रिक्शे से । बिना फौज फाटे या प्रशासनिक अमले के। अचानक। बिना किसी सूचना के। बिना किसी को सूचना दिए। आप को खुद सारा हाल मालूम हो जाएगा। पहले भी शासक लोग ऐसा करते रहे हैं , प्रजा का हाल मालूम करने के लिए। आप को भी करना चाहिए। फिर आप तो योगी भी हैं। अंधेर नगरी , चौपट राजा का मुहावरा आप पर भी चस्पा हो जाए , इस से बचिए। आप की जनता सचमुच बहुत संकट में है। कोरोना से कम , सिस्टम से ज़्यादा मर रही है। मर-मर कर सांस ले रही है। इस सांस को टूटने से बचाइए। यह आप का कर्तव्य है।
साभार – http://sarokarnama.blogspot.com/2021/04/blog-post_19.html से