जी न्यूज की जानी-मानी न्यूज एंकर सुमैरा खान ने एक कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को सशक्त बनाने और महिलाओं के सशक्तिकरण के विचारों को समझने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि महिलाओं को श्रेष्ठ बनाने के लिए उन्हें मौका देने की जरूरत है और ऐसा बहुआयामी रणनीति के आधार पर हो सकता है, जिसमें सबसे पहले और बहुत ही जरूरी चीज है कि महिलाओं के लिए रिजर्वेशन बिल पास हो, उन्हें ज्यादा से ज्यादा स्कॉलरशिप दी जाए, उन्हें शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित किया जाए ताकि वे अपनी फील्ड में आगे बढ़ सकें और महारथ हासिल कर सके।
कार्यक्रम ‘2nd लेडी सम्मिट’ का आयोजन महिला दिवस के मौके पर इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया और नॉर्थर्न इंडिया रीजनल कांउसिल के द्वारा किया गया था। यह आयोजन नई दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में हुआ था। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर सुमैरा खान के अतिरिक्त पूर्वी दिल्ली की मेयर नीमा भगत, राज्यसभा टीवी में सीनियर गेस्ट कोऑर्डिनेटर दीप्ति वशिष्ठ और इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के प्रेजिडेंट सीएमए संजय गुप्ता शामिल रहे।
कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में सुमैरा खान ने कहा कि ये हकीकत है कि हम ….. देते रहेंगे तो भी हम अपनी आधी आबादी को अगली सेंचुरी तक सशक्त नहीं बना पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें महिला दिवस जरूर मनाना चाहिए, क्योंकि हर महिला का सम्मान होना जरूरी है और ऐसा एक दिन ही नहीं बल्कि हर दिन होना चाहिए। लेकिन कहना चाहूंगी कि महिला दिवस को हमें ये सोचते हुए एक चुनौती क रूप में भी लेना चाहिए ताकि हम उन महिलाओं के लिए कुछ कर सके, जिन्हें बहुत ज्यादा सशक्त होने की जरूरत है। वैसे तो दोनों ही पहलुओं पर जोर देने की जरूरत है, क्योंकि उन महिलाओं को भी और सशक्त बनाना चाहिए, जो पहले से ही शिक्षित है, जॉब करती हैं, क्योंकि वे बहुत सारी दिक्कतों की वजह से अपनी क्षमताओं का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं। उनके सामने परिवार संभालने का दबाब भी रहता है और उन्हें पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ काम-काज में सामंजस्य बैठानी की जरूरत है। उन्हें हमेशा ही कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। फिर चाहे वह अपनी वर्किंग लाइफ में खुद को श्रेष्ठ साबित करना हो, या फिर बहुत सारी बंदिशों को तोड़कर आगे बढ़ना हो। लेकिन इन सबसे ज्यादा चुनौतियों तो उन महिलाओं के सामने हैं, जिनके पास तो अभी तक ताकत ही नहीं पहुंची है, जिनके पास एजुकेशन नहीं पहुंची है, जिन्हें अभी तक आर्थिक स्वतंत्रता नहीं मिली है। हमें उनके लिए सोचने की जरूरत है।