रायपुर। छत्तीसगढ़ वन विभाग ने हाल ही में पारिस्थितिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण वन क्षेत्र की पहचान की है, जो दंतेवाड़ा वन मंडल के बचेली वन परिक्षेत्र में स्थित है और बीजापुर के गंगालूर वन परिक्षेत्र तक फैला हुआ है। इस विशेष वन क्षेत्र में कई प्राचीन वनस्पतियों की प्रजातियां पाई गयीं है, जो छत्तीसगढ़ राज्य की असाधारण जैव विविधता को प्रदर्शित करता है। इस क्षेत्र को वैज्ञानिकों और वन अधिकारियों ने जैव विविधता के लिए अत्यधिक समृद्ध और महत्वपूर्ण माना है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह खोज न केवल इस क्षेत्र के पर्यावरणीय महत्व को दर्शाती है, बल्कि भविष्य में वन अनुसंधान और संरक्षण के प्रयासों को भी नई दिशा देगी।
सर्वे के दौरान, टीम ने दुर्लभ और प्राचीन वनस्पतियों की कई प्रजातियों का दस्तावेजीकरण किया है, जिनमें ऐल्सोफिला स्पिनुलोसा (ट्री फर्न), ग्नेटम स्कैंडन्स, ज़िज़िफस रूगोसस, एंटाडा रहीडी, विभिन्न रुबस प्रजातियाँ, कैंथियम डाइकोकूम, ओक्ना ऑब्टुसाटा, विटेक्स ल्यूकोजाइलन, डिलेनिया पेंटागाइना, माचरेन्जा साइनेंसिस, और फिकस कॉर्डिफोलिया शामिल हैं। इनमें से माचरेन्जा साइनेंसिस प्रजाति संभवतः छत्तीसगढ़ के केवल इसी वनीय पहाड़ी क्षेत्र में पाई गई है।