दीपावली पर इस बार १४९ साल बाद धन लक्ष्मी योग बन रहा है। इस योग में धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी के पूजन का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस संयोग में लक्ष्मी को प्रसन्न करने से निरंतर धन-धान्य की प्राप्ति होती है। पंचग्रही योग सिद्घांत के अनुसार ऐसा योग ५०० साल में केवल तीन बार ही बनता है। इससे पहले २९ अक्टूबर १८६४ में ऐसा संयोग बना था। अगला योग १६ नवंबर २१६१ में बनेगा।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला का कहना है कि स्थिर लग्न में की गई महालक्ष्मी की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है। इस लग्न में पूजन से माता की कृपा हमेशा बनी रहती है। अर्थात निरंतर धन आगमन का योग बना रहता है। नक्षत्र मेखला की गणना के अनुसार इस बार प्रदोष काल में वृषभ लग्न आ रहा है। लग्न के द्वितीय स्थान में बृहस्पति एकादश अधिपति होकर अपने कारक स्थान यानी धन स्थान पर बैठे हैं। मिथुन राशि में पदस्थ बृहस्पति व्यावसायिक लाभ की दृष्टि से श्रेष्ठ माने जाते हैं। यह योग धन लक्ष्मी योग कहलाता है।
वृषभ लग्न में करें पूजन
ज्योतिष के अनुसार दीपावली पर प्रदोषकाल के दौरान वृषभ लग्न में शाम ६.२३ बजे से ७.५८ बजे तक महालक्ष्मी का पूजन करना अतिशुभ होगा। हालांकि प्रदोष काल के बाद भी अर्धरात्रि तक माता लक्ष्मी का पूजन किया जा सकता है।
शाम तक अमावस्या
इस बार अमावस्या शनिवार रात ८.१२ बजे से शुरू होकर रविवार को दीपावली की शाम ६.२३ बजे तक रहेगी। डब्बावाला ने बताया, शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी पर्व पर अमावस्या का स्पर्श काल मुहूर्त के अंदर ३५ मिनट भी रहता है तो उसे अर्धरात्रि तक मान्य किया जा सकता है।