जब आये १५ अगस्त का दिन
याद दिलाये उन वीरों की
जिनके श्रम और बलिदानों से
भीगी भारतवर्ष की धरती
चौराहों और गलियारों में
फैली एक आज़ाद सी खुशबू
आकाँक्षाएं स्वछन्द विचरती
मन में कुछ दायित्व उभरते
नव-निर्माण के भाव अनोखे
नव-युग के प्रांगण में पलते
गौतम बुद्ध सी नई चेतना
लेकर भारतवासी बढ़ते
तोड़ कर बंधन गुलामी का
झंडा ऊँचा हम हैं करते
ज़िम्मेदार नागरिक होने का
वादा भी हम सब हैं करते
अर्जुन सी दृढ़ शक्ति लेकर
लक्ष्य-भेद का पाठ हैं पढ़ते
लेकर नये सलोने सपने
धरती को अपनी हैं रंगते
जला कर होली बर्बरता की
नव आभा संचारित करते
स्वदेश का लोहा मनवाने को
जग द्वारे पर क़दम बढ़ाते
जल में बहती कश्ती पर हम
मुस्कानों की छवि लुटाते
हटा कर बादल नभ पर सारे
भारत का परचम लहराते ॥
सविता अग्रवाल’सवि'(कैनेडा)